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नई दिल्ली, 11 फरवरी (आईएएनएस)| दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जबरदस्त हार हुई है। लगभग 21 दिनों तक चले आक्रामक प्रचार के बावजूद दिल्ली में भाजपा की नैया डूब गई। भाजपा ने ध्रुवीकरण की आक्रामक पिच तैयार कर रखी थी, इसके बावजदू पार्टी को सफलता नहीं मिली।
शाहीनबाग में प्रदर्शन से मानो भाजपा को मुंहमागी मुराद जैसा कुछ हाथ लग गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य छोटे से लेकर बड़े नेता हर रैली और सभाओं में शाहीनबाग का मुद्दा उछालते रहे। सभाओं में ये नेता जनता के बीच सवाल उछालते रहे कि आप शाहीनबाग के साथ हैं या खिलाफ?
इसके अलावा शरजील इमाम के असम वाले बयान, जेएनयू, जामिया हिंसा को भी भाजपा ने मुद्दा बनाकर बहुसंख्यक मतदाताओं को साधने की कोशिश की। छोटे से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के लिए भाजपा ने जितनी ताकत झोंक दी, उतनी बड़े-बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने मेहनत नहीं की थी। लगभग 45 सौ सभाओं का आयोजन किया गया।
भाजपा ने गली-गली मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद-विधायकों की फौज दौड़ा दी। कोई मुहल्ला नहीं बचा, जहां बड़े नेताओं ने नुक्कड़ सभाएं नहीं कीं। भाजपा ने अपने पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली-पानी देने की योजना पर पार नहीं पा सकी।
दिल्ली भाजपा के एक बड़े नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "केंद्रीय नेतृत्व ने जबरदस्त उत्साह के साथ काम किया। सिर्फ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केवल 11 दिनों में 53 सभाएं की, दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 63 सभाएं की। केंद्रीय नेतृत्व ने महज 21 दिन में चुनाव को टक्कर का बना दिया। लेकिन पूरे पांच साल तक दिल्ली भाजपा सोती रही, जिसकी वजह से हम हार गए।"
भाजपा के नेता मानते हैं कि केजरीवाल ने जिस तरह से दो सौ यूनिट बिजली, महीने में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त कर दिया, उससे आम जन और गरीब परिवारों की जेब पर भार कम हुआ है। लाभ पाने वाला गरीब तबका चुनाव में साइलेंट वोटर बना नजर आया।
बिजली कंपनियों के आंकड़ों की बात करें, तो एक अगस्त को योजना की घोषणा होने के बाद दिल्ली में कुल 52 लाख 27 हजार 857 घरेलू बिजली कनेक्शन में से 14,64,270 परिवारों का बिजली बिल शून्य आया। लाभ पाने वालो ने झाड़ू पर बटन दबाए।
दूसरी तरफ, भाजपा का यह भी मानना है कि शाहीनबाग से हुए ध्रुवीकरण का फायदा आप सरकार को हुआ। नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद से मुस्लिमों की बड़ी आबादी के मन में डर बैठ गया है। मुसलमानों ने उस पार्टी को जमकर वोट दिया जो भाजपा को हराने में सक्षम थी।
कांग्रेस दिल्ली चुनाव में कहीं नजर नहीं आई, ऐसे में मुसलमानों का अधिकतर वोट आम आदमी पार्टी को गया। यहां तक कि चांदनी चौक, सीलमपुर, ओखला आदि सीटों पर मुस्लिमों का वोट कांग्रेस को न जाकर आम आदमी पार्टी को गया।
आम आदमी पार्टी ने महिलाओं पर भी फोकस किया, और इसके जवाब में भाजपा ने कुछ नहीं किया। केजरीवाल सरकार ने बसों में 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से मुफ्त सफर की महिलाओं को सौगात दी। एक आंकड़े के मुताबिक, प्रतिदिन करीब 13 से 14 लाख महिलाएं दिल्ली में बसों में सफर करती हैं।
स्कूलों की वजह से दिल्ली का एक बड़ा तबका प्रभावित हुआ है। दिल्ली सरकार ने सबसे ज्यादा लाभ निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाकर मध्यमवर्गीय जनता को दिया।
गौरतलब है कि अधिकांश स्कूल कांग्रेस और भाजपा नेताओं के हैं। ऐसे में केजरीवाल ने फीस पर नकेल कस दी। इसका लाभ मध्यमवर्गीय परिवारों को हुआ है और चुनाव में जिसका सीधा फायदा आप को हुआ।
भाजपा नेता मानते हैं कि अनाधिकृत कॉलनियों का मुद्दा काम नहीं आया। उलटे 'जहां झुग्गी, वहां मकान' का मुद्दा पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया। इस योजना को लेकर झुग्गियों में खूब अफवाह फैलाया गया।
भाजपा का एक बड़ा वर्ग का यह भी मानना है कि भाजपा का हद से ज्यादा आक्रामक चुनाव प्रचार फायदा देने की जगह नुकसान कर गया। केजरीवाल खुद भाजपा की भारी-भरकम बिग्रेड का बार-बार हवाला देते हुए खुद को अकेला बताते रहे। ऐसे में जनता की केजरीवाल के प्रति सहानुभूति उमड़ी और भाजपा को नुकसान हुआ।
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