advertisement
तिरुवनन्तपुरम, 29 अगस्त (आईएएनएस)| केरल में सदी की सबसे प्रलयकारी बाढ़ के साथ पड़े ओणम पर्व की 10 दिनों की छुट्टियां खत्म होने के बाद प्रदेश के ज्यादातर स्कूल बुधवार को खुल गए।
त्रासदी के बाद ज्यादातर स्कूल राहत शिविर में बदल गए थे। स्कूल खुलने पर राहत शिविरों में रहने वाले विद्यार्थियों सहित सैकड़ों विद्यार्थी अपनी कक्षाओं में पहुंचे। इस दौरान वे अपने पुराने सहपाठियों और शिक्षकों से दोबारा मिलकर तथा कुछ मामलों में अपने विद्यालयों की क्षतिग्रस्त इमारतों को देखकर भावुक हो गए।
केरल में नौ अगस्त से अभूतपूर्व बाढ़ आने से 14 लाख लोग लगभग 3,000 राहत शिविरों में रह रहे थे। इनमें ज्यादातर राहत शिविर स्कूलों में बनाए गए थे।
शिक्षामंत्री सी. रवींद्रनाथ ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि बाढ़ से 650 स्कूल प्रभावित हो गए थे, जिनमें 211 स्कूलों को छोड़कर अन्य सभी स्कूल खुल गए हैं। रवींद्रनाथ कॉलेज के प्रवक्ता रह चुके हैं।
उन्होंने कहा, आज पढ़ाई नहीं हुई। बारिश और बाढ़ से परेशानी झेलने वाले इन युवा मस्तिष्कों के लिए यह भावनात्मक क्षण था।
उन्होंने कहा, पिछले सप्ताह मैं जब राहत शिविरों में गया था तो कई विद्यार्थियों ने मुझसे आकर पूछा था कि क्या वे स्कूल जा सकते हैं।
अलप्पुजा जिला के कुट्टानाडु क्षेत्र में व्यापक सफाई अभियान जारी होने के कारण कई स्कूल बंद रहे।
हालांकि सबसे ज्यादा प्रभावित स्थानों में से एक इडुक्की में सभी 458 स्कूल खुल गए।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, एक स्कूल को नजदीकी गिरिजाघर से संचालित किया गया। ज्यादातर स्कूलों में कल शाम ही सफाई हुई।
इसी तरह मलप्पुरम और कोझिकोड में स्कूल खुले।
एक अधिकारी ने कहा, कोझिकोड में 160 स्कूलों में राहत शिविर बनाए गए थे और सभी चल रहे हैं।
प्रत्येक जिले में, प्रशासन ने विद्यार्थियों को भावनात्मक सहयोग करने वाले स्वयंसेवियों के लिए परामर्श सत्र शुरू कर दिए हैं।
त्रिसूर के चलक्कुडी में स्वयंसेवियों द्वारा पूरे स्कूल की सफाई करने के बावजूद बुधवार को विद्यार्थियों ने दोबारा सफाई की।
कक्षा नौ के एक छात्र ने कहा, मेरे पास कुछ नहीं बचा है और जो यूनीफॉर्म मैंने पहन रखा है वह प्रशासन ने मुझे मंगलवार को दिया। मेरी सभी किताबें और प्रमाण पत्र बाढ़ में बह गए।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)