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सर्दी का असर अपने आखिरी पड़ाव पर है और गर्मी अपने शबाब की ओर आगे बढ़ रही है. ऐसे वक्त में पूरी तीन साल के अंतराल के बाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) के प्रगति मैदान (Pragati Maidan) में विश्व पुस्तक मेले (New Delhi World Book Fair) का आयोजन किया गया है, जो हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य के अलावा कई अन्य जुबानों का संगम है. यहां पर भारत के राजकमल प्रकाशन (Rajkamal Publication) , वाणी प्रकाशन (Vani Publication), हिंदी युग्म (Hindi Yugm) के अलावा अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों (International Book Publications) की स्टॉल लगी हुई है.
पुस्तक मेले में जाने पर ऐसा लगता है कि हम किताबों के समंदर में गोता लगा रहे हैं.. हर तरफ साहित्य और अदब की ही फिजा सजी दिख रही है. आइए यहां आए हुए लोगों से बात करके उनका अनुभव जानने की कोशिश करते हैं और यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि साहित्य और अदबी दुनिया में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह जगह खास क्यों है. इसके अलावा पहले के मुकाबले इस बार के पुस्तक मेेले में क्या कुछ अलग और खास है.
हम पहुंचे वाणी प्रकाशन के साहित्य घर में और वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति महेश्वरी (Aditi Madhishwari) से हमने बात की. वो क्विंट हिंदी से बात करते हुए बताती हैं कि साहित्य घर में इस बार नया क्या है.
राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी (Ashok Maheshwari) क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं कि हम पुस्तक मेले को उत्सव के रूप में लेते हैं.
वो राजकमल प्रकाशन के जलसाघर के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि यहां पर नए से नए और पुराने से पुराने लेखकों की किताबें हैं. सबसे नया यही है कि युवा पाठक हमसे जुड़ रहे हैं, हर तरफ युवा ही युवा हैं...ये हमारे लिए खास है और खुशी की बात है और खासियत ये है कि हम सबको साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं.
चंडीगढ़ से पुस्तक मेले में शामिल होने के लिए आईं रिया क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहती हैं कि चंडीगढ़ (Chandigarh) में इस तरह का बुक फेयर नहीं होता है, मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है और मजा आ रहा है. इस मेले में लोगों को जरूर आना चाहिए, यहां पर अलग-अलग तरह की किताबें उपलब्ध हैं.
पंजाब से पुस्तक मेले में शामिल होने के लिए आए सोडीसाहेब सिंह ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए मेले का अनुभव साझा किया. वो कहते हैं कि मैं बहुत किस्तमत वाला हूं कि मैं मेले का हिस्सा बन सका.
बुक फेयर में किताबें खरीदने आईं जयंती कहती हैं कि मेले में बहुत सारी तरह की किताबें हैं...हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच. यहां पर आकर मैंने किताब खरीदी है जो मुझे ऑनलाइन नहीं मिली. पुस्तक मेले में लोगों को जरूर आना चाहिए और जो रीडिंग क्लब वाले लोग हैं उनको तो आना ही चाहिए.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) में रिसर्च स्कॉलर मेघा कहती हैं कि इस बुक फेयर का इंतजार हमें काफी दिनों से था क्योंकि कोरोना के बाद ये पहला पुस्तक मेला है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में पीएचडी स्कॉलर मोनिका दुबे क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहती हैं कि बुक फेयर मेरी जिंदगी का एक ऐसा अहम हिस्सा है, जिसको मैं कभी छोड़ नहीं सकती हूं. यहां पर आकर मुझे बहुत अच्छा लगता है.
पुस्तक मेले में आए मीडियापर्सन जयकरन सिंह कहते हैं कि जिसे किताबों से मोहब्बत और दोस्ती है उसको विश्व पुस्तक मेले का हमेशा इंतजार रहता है. हमें बहुत खुशी हो रही है, बहुत सारे लेखकों से मिलने का मौका मिल रहा है. बहुत सारी नई किताबें आई हैं, जिनका हमें इंतजार था.
जयकरन सिंह कहते हैं कि हमारा मकसद सिर्फ किताबें खरीदना नहीं है, उससे कहीं ज्यादा होता है लेखक को सुनना, लेखक से मिलना, लेखक की साइन की हुई कॉपी लेने का उत्साह होता है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा शीतल कहती हैं कि यहां पर ऐसी-ऐसी किताबें भी मौजूद हैं, जो बाहर नहीं मिल पाती हैं. मैं राजकमल प्रकाशन गई हुई थी, वहां पर मैंने एक ऐसी किताब ली, जो हमें बाहर नहीं मिली.
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