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उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के लखनऊ (Lucknow) में एक 22 साल के छात्र की खुदकुशी से मौत को लेकर सवाल उठ रहे हैं. आरोप है कि सिविल सेवा परीक्षार्थी आशीष कुमार रावत ने रहीमाबाद थाने में तैनात दो सब-इंस्पेक्टरों और एक कांस्टेबल द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित करने पर अपनी जान दे दी.
रविवार, 11 जून की शाम सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे मृतक आशीष कुमार की सुसाइड से मौत हो गयी. आशीष ने दुकान में रखे एक सीमेंट कंपनी के एस्टीमेट बुक के दो पन्नों पर सुसाइड नोट लिखा है.
मृतक ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए आगे लिखा है- " मुझपर झूठा केस दर्ज किया... फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने 50 हजार रुपये मांगे नहीं दिया तो चार्जशीट लगा दी. "
वहीं मृतक की मां ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिस मामले में उसे फंसाया गया, पुलिस ने उसके भाई को भी उसमें अभियुक्त बनाया है.
मृतक की मां सुशीला के मुताबिक 8 दिसंबर 2018 को आशीष अपने पिता महादेव के साथ नंदू विश्वकर्मा की दुकान पर ट्रॉली खरीदने गया था. वहां किसी बात को लेकर नंदू से कहासुनी हो गई. इसपर नंदू के मजदूरों ने आशीष के सर पर सरिया से वार कर घायल कर दिया था. पिता महादेव ने नंदू और उसके मजदूरों पर माल थाने में केस दर्ज कराया था.
इस मुकदमे में समझौते के लिए नंदू लगातार आशीष और उसके पिता पर दबाव बनाता था. सुशीला का आरोप है कि समझौता नहीं करने पर नंदु ने शिवपुरी निवासी अपने मित्र श्यामलाल से रहीमाबाद थाने में 28 सितंबर 2022 को एक तहरीर दिलवाई. इसमें कथित तौर पर श्यामलाल ने बताया कि वह महादेव के घर में स्थित मौरंग और गिट्टी की दुकान में सामान खरीदने गया था. वहां खरीदारी के दौरान आशीष व उसके भाई मयंक ने मारपीट की. जिसमें वो घायल हो गया.
आशीष की खुदकुशी से मौत के बाद उसकी मां सुशीला ने थाने में तहरीर देकर दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल और सिपाही मोहित शर्मा के साथ ही बकतौरीपुर निवासी नंदू विश्वकर्मा व श्यामलाल के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाही की मांग की है. भाई मयंक ने बताया कि आशीष सिविल सर्विसेज के लिए तैयारी कर रहा था. वो एक होनहार छात्र था.
पुलिस महकमें की किरकिरी होते देख पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने रात 8.30 बजे दोनों दरोगा व सिपाही को लाइनहाजिर कर दिया. साथ ही इन सबके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू करा दी. मामले की जानकारी देते हुए एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि सुसाइड नोट के आधार पर तीन नामजद और दो अन्य पर मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें तीनों पुलिसकर्मियों समेत पांच पर आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच एसीपी मलिहाबाद वीरेंद्र विक्रम सिंह को सौंपी गई है.
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