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Dussehra 2022: विजयादशमी के जहां पूरा देश रावण दहन के साथ ही बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाता है. वहीं, विदिशा के रावन गांव में लोग रावण को पूजते हैं और शुभ काम की शुरुआत रावण के नाम से ही करते हैं. यहां के लोग दशहरे के दिन दूर्गा की नहीं बल्कि रावण की ही पूजा करते हैं.
ये मध्य प्रदेश का रावन गांव है. राजधानी भोपाल से 90 किलोमीटर दूर विदिशा जिले की शमशाबाद विधानसभा में नटेरन जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत में ये गांव आता है. इस गांव के अराध्य रावण बाबा हैं.
बताया जाता है कि गांव में किसी के घर शादी हो या किसी नए काम की शुरुआत करनी हो, यहां सबसे पहले रावण बाबा की पूजा करने की प्रथा सालों पुरानी है. कभी आपने बुराई के प्रतीक माने जाने वाले रावण को शुभ काम में पूजते हुए देखा है क्या. कभी नहीं देखा हो, लेकिन यहां ऐसा हजारों सालों से चला आ रहा है.
मध्य प्रदेश के रावन गांव में रावण की विशालकाय प्रतिमा है, जहां मंदिर में रावण की लेटी हुई प्रतिमा है. इस गांव में लोग लंकापति रावण की पूजा करते हैं. हर कार्य की शुरुआत रावण की पूजा से ही होती है. इस गांव के लोग दशहरे को उत्सव के रूप में मनाते हैं. रावन गांव में ये वर्षों से चली आ रही परंपरा है, जहां रावण को पूजा जाता है.
मध्यप्रदेश के मन्दसौर में भी दशहरे पर रावण का वध न करते हुए उसे पूजा जाता है. यहां का नामदेव समाज रावण को दामाद मानता है और विजयादशमी के दिन शहर के खानपुरा में सीमेंट से बनी रावण की 41 फिट की प्रतिमा की पूजा करता है.
ऐसा माना जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी नामदेव समाज की बेटी होकर मन्दसौर की रहने वाली थी. जिसके कारण रावण को मन्दसौर के दामाद का दर्जा दिया गया. विजयादशमी के दिन नामदेव समाज रावण की प्रतिमा के स्थान पर ढोल-धमाके के साथ आता है. यहां समाज के लोग रावण के दाहिने पैर में लच्छा बांधकर उसकी पूजा भी करते हैं.
मालवा में दामाद को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए यहां यह मान्यता है कि समाज की हर महिला रावण के सामने घूंघट कर ही गुजरती है. इसके अलावा एक विशेष प्रकार का बुखार आने पर रावण के दाहिने पैर में लच्छा बांधने से वह बुखार भी ठीक हो जाता है. इसके अलावा मनोकामना पूरी होने पर रावण को तरह तरह के भोग भी लगाए जाते है. अब विजयादशमी के अवसर पर यहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दशहरा धूमधाम से मनाया जाएगा.
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