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गणेश चतुर्थी को लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुंबई में एक अलग ही जश्न देखने को मिलता है. बड़े- बड़े सेलिब्रिटी से लेकर आम जनता तक लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja) की एक झलक पाने के लिए बेसब्री से उनका इंतजार करते हैं.
हर साल एक लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु लालबागचा के दर्शन के लिए आते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिरकार मुंबई के लालबागचा राजा इतने प्रसिद्ध क्यों हैं? क्या खास है लालबागचा राजा पंडाल वाले गणेश जी में?
लालबागचा राजा का महत्व अपनी भव्यता के कारण चर्चा में रहता है. ऐसा माना जाता है कि लालबागचा राजा से जो मन्नत मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है. इसीलिए उन्हें व्रतों का राजा भी कहा जाता है. यहां की परंपरा है कि गणेश चतुर्थी से दो दिन पहले बप्पा के मुख दर्शन किए जाते हैं.
लालबागचा राजा में दर्शन के लिए दो लाइनें लगी होती हैं- एक मुख दर्शन और दूसरी नवस या चरण स्पर्श दर्शन. यहां दर्शन के लिए हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है, दर्शन 24 घंटे चलते रहते हैं. मुख दर्शन आपको कुछ ही घंटों में मिल जाएंगे. लेकिन नवस या चरण स्पर्श दर्शन के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है.
गणेशोत्सव की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक ने की थी. उस समय भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था. ऐसे में लोगों को एक ऐसे स्थान की जरूरत पड़ी, जहां सभी लोग एकत्र होकर आजादी की लड़ाई पर चर्चा कर सकें. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर वर्ष 1934 में लालबाग के राजा पंडाल की स्थापना हुई.
कोली समुदाय के मछुआरों ने लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल की स्थापना लालबाग बाजार में की. इस पंडाल में आजादी की लड़ाई को लेकर लोग चर्चा करते थें.
लालबागचा राजा की प्रतिमा को हर साल एक अलग थीम पर बनाया जाता है. इस साल, प्रतिमा को “गणेश जी के अवतार” की थीम पर बनाया गया है. हर साल की तरह इस बार भी लालबागचा राजा की प्रतिमा बेहद खूबसूरत और मनमोहक है. गणेश जी लाल वस्त्र धारण किये हुए हैं. उनके एक हाथ में चक्र है और वह अपने शाही अंदाज में सिंहासन पर बैठे हैं. बताया जा रहा है कि लालबागचा राजा की मूर्ति 12 फीट ऊंची है.
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