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जानकारी के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष ने सोनिया गांधी इन नेताओं के साथ करीब 35 मिनट की बैठक की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश और संगठन के हालात का जायजा विधायकों से लिया। 22 विधायकों के इस प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस विधायक दल के भीतर समन्वय की कमी और विकास गतिविधियों के लिए निर्धारित सरकारी धन की अनुपलब्धता जैसे मुद्दों को हरी झंडी दिखाई।
बैठक में विकास ठाकरे, कुणाल पाटिल, संग्राम थोपटे सहित अन्य विधायकों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने अपने-अपने दलों के विधायकों की प्रभावी रूप से मदद की। जबकि कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में उनके नेतृत्व द्वारा उपेक्षित महसूस किया। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने भी महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव में देरी पर चिंता व्यक्त की है। नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से ये पद खाली है। विधायकों ने विभिन्न राज्य निगमों में नियुक्तियों के मुद्दे को भी हरी झंडी दिखाई और तीन गठबंधन सहयोगियों के हिस्से को अंतिम रूप देने में एक पारदर्शी प्रक्रिया की वकालत की।
खासबात ये है कि इस बैठक के दौरान कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और पार्टी के महाराष्ट्र प्रभारी एच के पाटिल मौजूद नहीं थे।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस गठबंधन सरकार चलाती हैं।
--आईएएनएस
पीटीके/एएनएम
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