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इनमें से लगभग सभी राज्यों में अंतर्राष्ट्रीय दौरा एक महत्वपूर्ण कारक है। इसलिए शोधकर्ताओं का सुझाव है कि भविष्य में महामारी के प्रकोप के मामलों में, इन राज्यों से आने-जाने की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए।
पीयर-रिव्यू जर्नल करंट साइंस में प्रकाशित यह अध्ययन 1 अप्रैल से 25 दिसंबर, 2020 तक 640 जिलों में किया गया।
अध्ययन के लिए, टीम ने स्पैनिश ़फ्लू (1918-1919), एच1एन1 (2014-2015), स्वाइन ़फ्लू (2009- 2010), और कोविड-19 (2019-2021) के प्रकोप और कोविड-19 के बीच सामान्य पैटर्न पाया।
उन्होंने यह भी पाया कि तापमान और आद्र्रता के मामले में जल निकायों का क्षेत्र के माइक्रॉक्लाइमेट पर एक मजबूत प्रभाव पड़ता है, जो क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जिसे आमतौर पर झील प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
आईआईटी-मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. सरिता आजाद ने एक बयान में कहा, भारत में विभिन्न महामारियों के केंद्र बिंदु और फैलने कारणों में उल्लेखनीय समानता रही है, जैसे कि स्पेनिश फ्लू, स्वाइन फ्लू और कोविड-19 ज्यादातर सभी महामारियां शुरू हो गई हैं और देश के उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में इनके एपिक सेंटर पाए गए हैं।
--आईएएनएस
एसजीके
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