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आरोपी को 26 फरवरी को दिल्ली की स्पेशल सीबीआई अदालत में पेश किया जाएगा और उसके बाद मुकदमा शुरू होगा।
7 जनवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी - तत्कालीन एसएचओ/इंस्पेक्टर; फिर तीन सब-इंस्पेक्टर; एक हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल के खिलाफ विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के न्यायालय में आईपीसी की धारा 302, 323, 325, 506, 218, 201, 34, 120-बी और 149 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
चार्जशीट में कहा गया है कि 27 सितंबर 2021 को रामगढ़ ताल निरीक्षक जे.एन. सिंह, फलमंडी पुलिस चौकी प्रभारी उप-निरीक्षक अक्षय मिश्रा और विजय यादव और तीन अन्य पुलिसकर्मी उत्तर प्रदेश के कानपुर में होटल के कमरे में कथित तौर पर घुस गए थे, जहां मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ थे।
पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर एक तर्क के बाद उनकी पिटाई की, जिसके दौरान गुप्ता की मौत हो गई। प्राथमिकी में नामजद सभी छह पुलिसकर्मी इस समय गोरखपुर जेल में हैं।
सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर 2 नवंबर 2021 को मामला दर्ज किया था और 29 नवंबर को जांच अपने हाथ में ली थी।
27 सितंबर को मनीष गुप्ता की पत्नी की शिकायत पर थाना-रामगढ़ ताल, जिला-गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सूत्रों ने 5 जनवरी को आईएएनएस को बताया था कि जांच के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा पावर का इस्तेमाल करने के सबूत मिले थे।
जांच की जानकारी रखने वाले एक सीबीआई अधिकारी ने कहा कि फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा घटनाओं के क्रम की जांच की गई, ताकि चोटों के पैटर्न और प्रकृति का पता लगाया जा सके, जबकि सभी आरोपी पुलिसकर्मियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी जांचे गए, ताकि यह पता चल सके कि उनका पीड़ित के साथ कोई पूर्व संबंध था या नहीं, लेकिन ऐसा कोई लिंक नहीं मिला।
सीबीआई टीम मनीष गुप्ता के दोस्तों प्रदीप चौहान और हरदीप चौहान को भी होटल ले गई और उनके बयानों से मेल खाने के लिए क्राइम सीन रिक्रएट किया गया, ताकि यह पता चल सके कि वास्तव में उस दिन होटल के कमरे के अंदर क्या हुआ था।
--आईएएनएस
एचके/आरजेएस
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