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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) जिले में 23 अक्टूबर की रात एक गुब्बारे बेचने वाले 49 साल के दलित मानू विलियम की मौत हो गई. घटना के दिन मानू की मौत की सूचना बाहर नहीं आई, जब मामले का सीसीटीवी फुटेज बरामद हुआ तब पता चला कि इस हादसे का मानू शिकार हुआ है.
43 सेकंड के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि एक तेज रफ्तार से आती हुई स्कॉर्पियो कार कई बार पलटी खाने के बाद सड़क पर दोबारा सीधी खड़ी हो जाती है. इसी हादसे में कार से कुचलकर मानू की मौत हुई.
घटना के बाद स्कॉर्पियो में बैठे कुछ लोग मौके से फरार हो गए, लेकिन कार में बैठा एक घायल शख्स पुलिस की हिरासत में है.
मृतक मानू विलियम उन्नाव जिले के नारायण दास खेड़ा गांव का रहने वाला था. वह कई साल से मेरठ के कंकरखेड़ा थाना अंतर्गत रेलवे कॉलोनी में अपने बहनोई तारा सिंह के परिवार के साथ रहता था.
घटना के बाद तारा सिंह की तहरीर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 338 और 304 ए के अंतर्गत मेरठ के सदर बाजार थाने में अज्ञात गाड़ी चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ.
तारा चंद ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि थाने पर पुलिसवालों ने उनसे अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा. उन्हें यह भी बताया गया कि अभी इस मामले में कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है, जबकि कार में बैठे एक शख्स को लोगों ने पुलिस के हवाले किया था. इसीलिए ताराचंद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, जांच के दौरान पता चला है कि कार में मौजूद सभी लोग शराब के नशे में थे. कार के अंदर से 12 से 14 बोतल शराब भी बरामद हुई थी. घटनास्थल से पकड़े गए आरोपी अनुभव गोयल को मेडिकल जांच और बयान के बाद पुलिस ने जाने दिया. इलाज के नाम पर वह मुजफ्फरनगर के एक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती है.
जब मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवान से पूछा गया कि मौके से कार में बैठे अनुभव गोयल की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई तो उनका कहना था कि जब वह स्वस्थ हो जाएंगे तो कार्रवाई होगी.
उन्होंने आगे बताया कि, "यह जो मुकदमा है इसमें 304 A की धारा लगी है .इसमें गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है. मेडिकल के बाद जब अल्कोहल और अन्य चीजों की पुष्टि हुई उसके बाद 304 की धारा बढ़ाई गई."
इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है. कार के अंदर से शराब की कई बोतलें बरामद हुई थीं. घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने कार सवार अनुभव गोयल को पुलिस के हवाले भी किया था.
ऐसी स्थिति में पुलिस ने आरोपी को कैसे रिहा कर दिया?
अगर उसका इलाज हायर सेंटर में होना भी था तो उसे पुलिस कस्टडी में क्यों नहीं रखा गया?
आरोपी अनुभव गोयल का नाम पुलिस को पता था. अनुभव से पूछताछ कर उसके साथियों का नाम भी पता लगाया जा सकता था. ऐसे में पुलिस ने पीड़ित के परिजनों को गुमराह कर अज्ञात में मुकदमा दर्ज क्यों कराया?
मुकदमे में कार के अंदर शराब की बोतल मिलने या फिर कार सवार लोगों के नशे में होने का कोई जिक्र क्यों नहीं है?
एसएसपी रोहित सिंह सजवान ने कहा कि, "प्रथम दृष्टया थाना पुलिस की कोई लापरवाही सामने नहीं आई है. घटना के समय गाड़ी चला रहे माणिक दलाल की गिरफ्तारी की है, बाकी आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है."
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