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गर्मी और गेहूं के उत्पादन में कमी का भारत की ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव: Moody's

लॉन्ग टर्म में इस प्रकार के जलवायु संबंधी जोखिमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर प्रभावित होगी- मूडीज

आईएएनएस
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<div class="paragraphs"><p>गर्मी और गेहूं के उत्पादन में कमी का भारत की ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव: Moody's</p></div>
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गर्मी और गेहूं के उत्पादन में कमी का भारत की ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव: Moody's

फोटो- आईएएनएस 

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अंतर्राष्ट्रीय रेंटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि पश्चिमोत्तर भारत में बेतहाशा गर्मी के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ है और बिजली कटौती बढ़ने की संभावना ने पहले से ही उच्चतम स्तर पर बनी महंगाई दर पर नकारात्मक असर डाला है। मूडीज का कहना है कि इससे भारत की वृद्धि दर और क्रेडिट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

रेटिंग एजेंसी ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि दीर्घावधि में इस प्रकार के जलवायु संबंधी जोखिमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर प्रभावित होगी।

मूडीज ने कहा कि उच्च तापमान के कारण भारतीय सरकार ने जून 2022 को समाप्त फसल वर्ष के लिए देश के गेहूं उत्पादन का अनुमान करीब साढ़े पांच प्रतिशत घटाकर साढ़े दस करोड़ टन कर दिया है।

रेटिंग एजेंसी का कहना है कि कम उत्पादन और वैश्विक बाजार में आसमान छूती कीमतों का लाभ उठाने के लिए निर्यात बढ़ाये जाने की आशंका ने घरेलू स्तर पर महंगाई का दबाव बढ़ा दिया। इसे देखकर भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया ताकि गेहूं घरेलू बाजार के लिए उपलब्ध रहे।

मूडीज ने कहा कि भारत सरकार के इस निर्णय से महंगाई का दबाव कुछ हद तक कम होगा लेकिन इससे निर्यात और वृद्धि दर दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मूडीज का कहना है कि यह प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया गया है, जब दुनिया के दूसरे बड़े गेहूं उत्पादक के रूप में भारत वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति के संकट को कम करने में मददगार साबित हो सकता था।

फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से अब तक गेहूं की वैश्विक कीमतों में 47 प्रतिशत की तेजी आई है।

मूडीज के अनुसार, भारत के निर्यात प्रतिबंध के फैसले से बंगलादेश, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमरात और इंडोनेशिया में गेहूं के दाम बढ़ जायेंगे। ये सभी देश भारत से भारी मात्रा में गेहूं खरीदते हैं।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इसके अलावा, लू के थपेड़ों के कारण बिजली की खपत बढ़ गई है और आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी से भी खपत बढ़ी है। खपत बढ़ने के कारण घरेलू स्तर पर बिजली के दाम बढ़ा दिये गये हैं।

मूडीज ने बताया कि बिजली संयंत्र बाजार दर पर कोयले का आयात करके कोयले की आपूर्ति में आई कमी को पाटने की कोशिश कर रहे हैं। देश के 28 में से 16 राज्यों को अप्रैल में हर दिन दो से दस घंटे तक की बिजली कटौती झेलनी पड़ी।

केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने आदेश जारी किया था कि बिजली उत्पादक 12 रुपये यूनिट से महंगी बिजली नहीं बेच सकते हैं। एक आदेश एक अप्रैल से प्रभावी है। इस आदेश के प्रभावी होने के बाद कुल घरेलू कोयला भंडार मई के मध्य तक 23 प्रतिशत घट गया।

कोयले भंडार में और अधिक गिरावट औद्योगिक और कृषि उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। इससे अंतत: भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ेगा और उसकी वृद्धि प्रभावित होगी। मूडीज ने कहा है कि अगर जून के बाद भी मौसम इसी तरह आग उगलता रहा तो देश की आर्थिक वृद्धि दर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

--आईएएनएस

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