Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Jumat-ul-vida: देश की इन मस्जिदों में महिलाएं भी पढ़ सकती हैं नमाज

Jumat-ul-vida: देश की इन मस्जिदों में महिलाएं भी पढ़ सकती हैं नमाज

इस्लामिक ग्रंथ में मस्जिदों में महिलाओं के जाने पर रोक जैसी बात नहीं लिखी है.

शाइना परवीन अंसारी
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>मस्जिदमें महिलाओं की एंट्री&nbsp;</p></div>
i

मस्जिदमें महिलाओं की एंट्री 

(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

अकसर ये सुनने को मिलता है कि भारत में महिलाएं बहुत कम मस्जिद जाती हैं और महिलाओं के लिए अलग से मस्जिदों की संख्या भी काफी कम हैं. अभी हाल ही में महिलाओं के मस्जिद जाने का एक मामला अदालत पहुंचा था. इसी पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने 8 फरवरी 2023 को एक हलफनामे के जरिए सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नमाज के लिए मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं है.

इस्लामिक ग्रंथ में भी मस्जिद में महिलाओं के जाने पर रोक जैसी बात नहीं लिखी है. साथ ही मौलवी बताते हैं कि कुरान की कोई भी आयत महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने से मना नहीं करती है और पितृसत्तात्मक समाज में प्रचलित सामाजिक रीति-रिवाजों के कारण यह समस्या बनी हुई है.

अपनी किताब वीमेन इन मस्जिद: ए क्वेस्ट फॉर जस्टिस में लेखक और पत्रकार जिया उस सलाम लिखते हैं, “मुगलों के पतन और अंग्रेजों के आने के साथ यह सब बदलना शुरू हो गया. महिलाओं को मस्जिदों और कब्रिस्तान दोनों से बाहर रखा जाने लगा."

लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं और महिलाओं ने अपने हक के लिए आवाज उठाना शुरु कर दिया है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे उन शहरों की मस्जिदों के बारे में जिनमें महिलाएं भी नमाज पढ़ सकती हैं.

दिल्ली

जामा मस्जिद

मस्जिद अरबी शब्द जामी से आया है, जो जामा शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 'एक साथ आना'. 17वीं शताब्दी में शाहजहां द्वारा बनवाई गई ऐतिहासिक जामा मस्जिद ने हमेशा मस्जिद में महिलाओ को नमाज पढ़ने की इजाजत दी है. इस कदम की शुरू में कुछ लोगों ने आलोचना भी की. ऐतिहासिक रूप से, इस्लाम में महिलाओं के लिए मस्जिद में नमाज अदा करना और पढ़ने लिखने के लिए वहां जाना एक आम बात थी. हालांकि, समय के साथ यह गलत समझा जाने लगा.

Ramadan 2023: दिल्ली की जामा मस्जिद

(फोटो- मोहम्मद साकिब/क्विंट हिंदी)

निजामुद्दीन

निजामुद्दीन दरगाह में हमेशा से ही महिलाओं के लिए नमाज पढ़ने के लिए जगह बनाई गई है जहां महिलाए पांच वक्त की नमाज अदा कर सकती हैं.

इशात-ए- इस्लाम मस्जिद

दक्षिण पूर्वी दिल्ली में जमात-ए-इस्लामी हिंद की इशात-ए-इस्लाम मस्जिद लंबे समय से महिलाओं की मेजबानी कर रही है. सेंट्रल हॉल के बाईं ओर की जमीन का एक हिस्सा महिलाओं द्वारा हर ईद के लिए उपयोग किया जाता रहा है. वहीं साल 2021 से मस्जिद ने न केवल महिलाओं को नमाज के लिए एक हिस्सा दिया है बल्कि उनके लिए एक पूरा फ्लोर बना दिया है. साथ ही मस्जिद में ना सिर्फ शुक्रवार की नमाज बल्कि दिन की पांचों वक्त की नमाजें महिलाए अदा कर सकती हैं.

जमात-ए-इस्लामी हिंद की इशात-ए-इस्लाम मस्जिद

फोटो- नादिर हाशमी

हॉल में 850 महिलाएं एक साथ नमाज अदा कर सकती हैं. उनके लिए अलग से मस्जिद में दाखिल होने और बाहर जाने के दरवाजे भी हैं और वे अपने साथ बच्चों को भी ला सकती हैं.

शाहीन बाग, सनाबिल मरकज

शाहीन बाग के सनाबिल मरकज में हर साल महिलाओं के लिए ईद की नमाज होती है. साथ ही रमजान के महीने में तरावीह का भी इंतेजाम होता है. बता दें इस साल, दिल्ली के ओखला इलाके में कई मस्जिदों में महिलाओ के लिए तरावीह पढ़ने का इंतेजाम किया गया.

केरल

थजथांगडी (Thazhathang)

पहली बार साल 2016 में, केरल के कोट्टायम जिले की 1000 साल पुरानी थजथांगडी जुमा मस्जिद को मुस्लिम महिलाओं के लिए खोला गया. वहीं मुख्य इमाम मौलुद्दीन सिराजुद्दीन हसनी ने कहा, "समिति द्वारा तय किए गए दो दिनों में ही सही कपड़ों में मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में प्रवेश कर सकती हैं."

कोझिकोड (KOZHIKODE): सैकड़ों मुस्लिम महिलाएं नदापुरम की वालिया जुमा मस्जिद में पहली बार मस्जिद के अंदर जाने और मस्जिद को देखने के लिए उमड़ पड़ीं. मस्जिद के निर्माण के 30 साल बाद मस्जिद को महिलाओं के लिए उनके कई अनुरोधों के बाद खोला गया . मस्जिद समिति के अध्यक्ष के कुंजबदुल्ला ने कहा, "हम शुरू में सिर्फ मस्जिद को महिलाओं के लिए एक ही दिन खोलने वाले थे, लेकिन भीड़ को देखते हुए हमें इसे बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा."

यह केरल की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है और अन्य मस्जिदों की तरह, हम अजान के लिए मस्जिद में माइक का उपयोग नहीं करते हैं.”

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कश्मीर

कश्मीर की कुछ मस्जिदें जैसे नौहट्टा में जामिया मस्जिद, ईदगाह में आली (अली) मस्जिद और शहर-केंद्रों और कस्बों में महिलाओं के लिए अच्छी तरह से व्यवस्था की जाती है, लेकिन वे आमतौर पर ईद, जुम्मा-तुल-विदा जैसे धार्मिक अवसरों पर ही मस्जिदों में नमाज पढ़ सकती है. इसी तरह समय के साथ धीरे-धीरे हिन्दुस्तान के अलग अलग कोने में महिलाओं के लिए मस्जिदों के दरवाजे खोले जा रहे हैं.

महिलाओं का अभियान

मुस्लिम महिला स्टडी सर्कल (Muslim women's study circle), कोलकाता, पश्चिम बंगाल स्थित एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन है. जिसका उद्देश्य मुस्लिम महिला समूह के द्वारा मस्जिदों में महिलाओं को सामान्य बनाने का है. जिसकी थीम है "मुस्लिम वीमेन इन मस्जिद (मस्जिद)".यह आंदोलन साल 2020 में दिल्ली में शुरु हुआ. हिन्दुस्तान के 15 शहर नागपुर, मुंबई , गुवाहाटी, दीमापुर, जमशेदपुर, बेंगलुरु, सहारनपुर, कोलकाता, पूर्णिया, आगरा, बेरहामपुर, दिल्ली, हैदराबाद, श्रीनगर और अलीगढ़ में यह अभियान चल रहा है. जिसके तहत इन‌ शहरों में महिलाओं के लिए मस्जिदों की संख्या बढ़ाने का काम‌ चल रहा है. साथ ही महिलाओं की मस्जिदों में एंट्री को भी सामान्य बनाने में यह ग्रुप जुटा हुआ है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT