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मप्र चुनाव : बुधनी में शिवराज के लिए चुनौती बने अरुण

मप्र चुनाव : बुधनी में शिवराज के लिए चुनौती बने अरुण

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मप्र चुनाव : बुधनी में शिवराज के लिए चुनौती बने अरुण
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मप्र चुनाव : बुधनी में शिवराज के लिए चुनौती बने अरुण
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भोपाल, 20 नवंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का रंग पूरी तरह चढ़ चुका है। सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा क्षेत्र में रोचक मुकाबला हो चला है। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने कांग्रेस ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को उतारा है।

मुख्यमंत्री चौहान जहां नामांकन भरने के बाद चुनाव प्रचार कार्यकर्ताओं और परिवार को सुपूर्द कर दोबारा न आने का वादा कर प्रदेश में प्रचार कर रहे हैं, तो दूसरी ओर अरुण यादव गांव-गांव और गली-गली घूम रहे हैं।

सीहोर जिले का बुधनी विधानसभा क्षेत्र वर्ष 2003 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे में है। यहां मुख्यमंत्री बनने के बाद चौहान ने उपचुनाव में वर्ष 2006 में जीत दर्ज की थी। उसके बाद से चौहान लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। चौहान ने वर्ष 2008 में 40 हजार से ज्यादा और वर्ष 2013 में 84 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।

मुख्यमंत्री चौहान एक बार फिर बुधनी से चुनाव मैदान में हैं। चौहान ने नामांकन भरने के बाद कार्यकर्ताओं की सहमति पर तय किया कि वे चुनाव प्रचार करने नहीं आएंगे और उनका चुनाव कार्यकर्ता ही लड़ेंगें। यही कारण है कि नामांकन भरने के बाद चौहान प्रचार करने नहीं पहुंचे हैं। उनके प्रचार की कमान पत्नी साधना सिंह और पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान संभाले हुए हैं।

साधना सिंह और कार्तिकेय ने विकास को मुद्दा बनाया है, दोनों ही अन्य कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर पहुंचकर बीते 15 सालों में हुए विकास कार्यो का ब्यौरा देते हुए कह रहे हैं कि चौहान को जिताकर फिर मुख्यमंत्री बनाइए, आगे भी विकास का दौर जारी रहेगा।

दूसरी ओर कांग्रेस ने चौहान को कड़ी चुनौती देने के लिए पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा है। यादव नामांकन भरने के बाद से विधानसभा क्षेत्र में ही डेरा डाले हुए हैं और गांव-गांव, गली-गली घूम रहे हैं। यादव कहते है, "उनका नर्मदा नदी से नाता है। उनके खेतों की सिंचाई नर्मदा नदी के पानी से होती है और वे नर्मदा के किनारे बसे बुधनी से चुनाव लड़ रहे हैं।"

बुधनी में चुनाव रोचक है। वजह यहां दो पिछड़ों का चुनाव मैदान में होना है। चौहान भी इसी वर्ग से आते हैं, तो यादव भी इसी वर्ग से हैं। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं। वे अपनी-अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। यादव ने जहां नर्मदा की दुर्दशा और अवैध खनन को मुद्दा बनाया है, तो भाजपा विकास का बखान कर रही है।

चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री चौहान के परिवार को कई गांवों में विरोध का सामना करना पड़ा और ये वीडिया पूरे प्रदेश में वायरल हुए और इन वीडियो के आधार पर कांग्रेस ने भाजपा की प्रदेश सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस का आरोप है कि जब मुख्यमंत्री के इलाके का यह हाल है तो प्रदेश के अन्य हिस्सों का क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस मानते हैं, "इस बार का बुधनी में चुनाव रोचक तो है ही, मुख्यमंत्री चौहान के लिए कांग्रेस की ओर से दिया गया वॉक ओवर भी नहीं है। इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार पूरी तरह गंभीर हैं और प्रचार में जोर लगाए हुए हैं। वहीं शिवराज का परिवार चुनावी कमान संभाले हुए है।"

उन्होंने कहा, "यह चुनाव शिवराज भले ही जीत जाएं, मगर वोट का अंतर वह नहीं रहने वाला है, जो पहले के चुनावों में रहा है। अभी तक तो यही नजर आ रहा है।"

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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