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निर्भया केस:बदनामी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं रविदास कैंप के निवासी

रविदास कैंप के निवासी अपनी बस्ती के लिए नया नाम चाहते हैं

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रविदास कैंप के निवासी अपनी बस्ती के लिए नया नाम चाहते हैं
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रविदास कैंप के निवासी अपनी बस्ती के लिए नया नाम चाहते हैं
(फोटो:PTI)

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नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) सोलह दिसंबर सामूहिक बलात्कार मामले के चार दोषियों का घर होने की वजह से दुनियाभर में बदनाम हुए रविदास कैम्प के निवासी अब इस कलंक भरे इतिहास से पीछा छुड़ाना चाहते हैं और इसलिए अपनी बस्ती के लिए नया नाम चाहते हैं।

तंग गलियों और छोटे-छोटे किराये के मकानों में रहने वाले रविदास कैम्प के लोग इसके अलावा अपने लिए सीवर की बेहतर सुविधाएं और स्वच्छ सामुदायिक शौचालय चाहते हैं। यहां के 600 मतदाताओं में से ज्यादातर ऑटो रिक्शा चालक, पटरी-रेहड़ी वाले और घरेलू कामगार हैं। वे इस कॉलोनी का नाम बदलने की भी मांग कर रहे हैं। यह क्षेत्र दक्षिण दिल्ली सीट के अंतर्गत आता है।

यहां के निवासियों का कहना है कि निर्भया कांड से रविदास कैम्प का नाम जुड़े होने के कारण उनके लिए बेहतर जीवन सुविधाओं की संभावना नहीं है। उनमें से कुछ लोग नौकरी गंवाने के डर से अपने निवास की जगह का नाम भी उजागर नहीं करते।

एक दशक से अधिक समय से कैम्प में रह रही और अनुबंधित सफाई कर्मचारी कमला देवी ने कहा, ‘‘चुनाव आते-जाते रहते हैं लेकिन हमारी जिंदगी जस की तस रहती है। हर कोई हमारे साथ ऐसा व्यवहार करता है जैसे हम अछूत हों और कोई भी इस इलाके के विकास की बात नहीं करता।’’

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को 23 साल की फिजियोथेरेपी छात्रा से पांच लोगों और एक नाबालिग ने चलती बस में वीभत्स तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया था। छात्रा को उस समय निर्भया नाम दिया गया था और घटना के 13 दिन बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।

इस मामले ने पूरे देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इसके बाद शुरू हुए एक आंदोलन से भारत में बलात्कार के बारे में कानून बदलने पड़े थे।

इन छह दोषियों में से जिम इंस्ट्रक्टर विनय शर्मा, फल विक्रेता पवन गुप्ता और दो भाई राम सिंह तथा मुकेश सिंह रविदास कैम्प में रहते थे।

राम सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को इस इलाके से गिरफ्तार किया गया था।

इस घटना के बाद से यहां के दूसरे निवासियों के लिए हालात पहले जैसे नहीं रहे।

कैम्प की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख बिहारी लाल ने दो साल पहले बस्ती का नाम बदलने के अनुरोध के साथ जिला प्रशासन का रुख किया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।

लाल ने कहा, ‘‘यह मामला इतिहास का हिस्सा बन गया है। जो भी इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार थे वे सलाखों के पीछे हैं और उन्हें सजा मिलनी चाहिए लेकिन पूरे समाज को क्यों सजा मिले? कैम्प में रहने वाले हर व्यक्ति को यहां रहने की शर्मिंदगी क्यों उठानी पड़े?’’

स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस झुग्गी बस्ती में कुछ ही सामुदायिक शौचालय हैं जो हमेशा बंद और गंदे रहते हैं।

भाजपा के रमेश बिधूड़ी इस क्षेत्र से मौजूदा सांसद हैं और वह दक्षिण दिल्ली से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। बिधूड़ी के खिलाफ आप के राघव चड्ढा और कांग्रेस की तरफ से मुक्केबाज विजेंदर सिंह खड़े हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में 12 मई को मतदान होगा।

भाषा

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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Published: 07 Apr 2019,01:00 PM IST

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