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गृह मंत्रालय (MHA) ने 7 नवंबर, 2022 को अपनी 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि जन्म, मृत्यु और प्रवास (Migratrion) के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को फिर से अपडेट करने की जरूरत है. ताकि हर परिवार और व्यक्ति के डेमोग्राफिक और अन्य जानकारियों को इकट्ठा किया जा सकेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीआर नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम, 2003 के विभिन्न प्रावधानों के तहत तैयार किया गया है.
115 करोड़ निवासियों के डेटाबेस वाले एनपीआर को जनगणना के पहले चरण के साथ अपडेट किया जाना है. हालांकि अब तक सेंसस की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है, इसे कोरोना के कारण अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है.
देश में एनपीआर को लेकर विपक्षी शासित राज्य में विरोध हो रहा है क्योंकि उनका मानना है कि एनपीआर के तहत ली जा रही जानकारियां ही एनआरसी (NRC) के तहत पहला कदम है.
बता दें कि नागरिकता (Citizenship) नियम 2003 के तहत पहली बार एनपीआर 2010 में तैयार किया गया था और 2015 में देश के सभी सामान्य निवासियों की जानकारी एकत्र करके अपडेट किया गया था.
मंत्रालय ने कहा कि एनपीआर को निवासी खुद ही अपडेट कर सकते हैं क्योंकि वेब पोर्टल कुछ प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद निवासियों को अपने डेटा फील्ड को अपडेट करने की अनुमति देता है.
7 नवंबर को गृह मंत्रालय ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें मंत्रालय को अपनी सालभर की उपलब्धियों और कार्यों के बारे में जानकारी देनी होती है, हालांकि इस रिपोर्ट में कहीं भी नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का जिक्र नहीं है.
2019 में नागरिकता को लेकर पारित किया गया कानून जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह गैर-मुस्लिम समुदायों के लोगों को तेजी से नागरिकता देता है (जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया था) इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है क्योंकि नियम अभी तक तैयार नहीं किए गए हैं.
इसके अलावा, मार्च-दिसंबर 2021 के बीच तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदायों के कुछ लोगों को गृह मंत्रालय द्वारा 2,439 लॉन्ग टर्म वीजा (एलटीवी) दिए गए थे. इसी को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि "इसमें पाकिस्तान (2,193), अफगानिस्तान (237) और बांग्लादेश (9) के वीजा शामिल हैं." एलटीवी मिलना यानी भारतीय नागरिकता मिलने की ओर पहला कदम है.
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