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'पानी' से सूखे बुंदेलखंड की तस्वीर व तकदीर बदलने की तैयारी

'पानी' से सूखे बुंदेलखंड की तस्वीर व तकदीर बदलने की तैयारी

IANS
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भोपाल, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)| देश और दुनिया में बुंदेलखंड की पहचान सूखा, गरीबी और भुखमरी के कारण है, ऐसा इसलिए है क्योंकि बुंदेलखंड और पानी एक दूसरे के बैरी बने हुए हैं। अब मध्य प्रदेश की सरकार ने 'पानी' के सहारे ही इस क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर बदलने की तैयारी कर ली है। इसका खाका भी खींचा जा चुका है, ताकि बारिश का पानी बर्बाद न हो और उसे सहेजकर सूखा ग्रस्त क्षेत्र को जल संपन्न इलाका बनाया जाए।

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश के सात और उत्तर प्रदेश के सात जिलों को मिलाकर बनता है। दो राज्यों में फैले इस हिस्से की तस्वीर एक जैसी ही है। यहां हर साल सूखे के हालात बनते हैं, पीने के पानी का संकट होता है, हर साल उम्मीद की जाती है कि आने वाले साल में ऐसा नहीं होगा, मगर साल-दर-साल यह दोहराया जा रहा है। इतना ही नहीं वक्त गुजरने के साथ हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ते ही जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश में बीते साल सत्ता में हुए बदलाव के बाद इस क्षेत्र की समस्या के निदान के लिए कदम ताल जारी है। इसी क्षेत्र में टीकमगढ़ जिले के पृथ्वीपुर से विधायक और छतरपुर व सागर जिले के प्रभारी मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने पानी संबंधी समस्या के निपटारे के लिए खाका खींचा है। इसमें नदियों के पानी को गांव के तालाब और खेतों तक ले जाने की विस्तृत योजना है।

राठौर ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा, "बुंदेलखंड में नदियां हैं, हर साल बारिश का पानी इन नदियों में आता है और बह जाता है। इस पानी को संग्रहित कर लिया जाए तो इस इलाके की स्थिति को बदला जा सकता है। इसके लिए नदियों के पानी को खेतों और तालाबों तक लाने की योजना पर अमल होना चाहिए। इससे एक तरफ जहां सूखा की समस्या से मुक्ति मिलेगी, वहीं खेती बेहतर होगी और पलायन पर अंकुश लगेगा।"

राठौर कहते हैं कि इस क्षेत्र में सब कुछ है और अगर कोई कमी है तो वह पानी की है। पानी की इस समस्या से निपटा जा सकता है, बस जरूरत है कि योजनाबद्ध तरीके से कदम आगे बढ़ाए जाएं। उन्होंने कहा कि पानी के जरिए ही यहां की तस्वीर और तकदीर दोनों को बदला जा सकता है।

बुंदेलखंड वह इलाका है जो किसी दौर में अपनी जल संरचनाओं के कारण जल संग्रहण के मामले में देश में विशिष्ट पहचान बनाए हुए था, मगर अब यही इलाका पानी के संकट के तौर पर पहचाना जाता है।

राठौर का कहना है, "क्षेत्र में बारिश पर्याप्त होती है, मगर पानी बह जाता है। जरूरत है कि इस पानी को रोका जाए। नदियों के पानी को तालाबों तक लाया जाए, इसके लिए हमने केंद्र सरकार से संपर्क भी किया है, राज्य सरकार तो इस क्षेत्र पर लगे कलंक को मिटाने के लिए तैयार है और इसके लिए प्रयास भी हो रहे हैं। नदियों का पानी तालाब और खेतों तक आने पर भू जल स्तर बढ़ेगा, खेतों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा और पेयजल संकट से मुक्ति मिलेगी, इससे क्षेत्र मंे खुशहाली आएगी।"

क्षेत्र में उपलब्ध जल संरचनाओं और ऐतिहासिक धरोहरों का जिक्र करते हुए राठौर ने कहा कि जल संरचनाएं पानी से भरी हो और उनमें जल क्रीड़ा के इंतजाम किए जाएं तो इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और लोगांे को रोजगार भी मिलेगा।

इसी के चलते कई जल संरचनाओं में पर्यटकों को लुभाने के प्रयास हुए हैं, जल क्रीड़ा को शुरू किया गया है। सभी पर्यटन स्थलों पर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने की मुहिम जारी है।

ओरछा और खजुराहो को टूरिस्ट सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है, ताकि यहां आने वाला पर्यटक चार से पांच दिन रुके और यहां की प्राकृतिक छटा का आनंद ले। इससे क्षेत्र को लेकर लोगों का नजरिया बदलेगा।

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