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‘पद्मावती’ को विदेश में रिलीज होने से रोकने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को उनकी गैर जिम्मेदार बयानबाजी के लिए फटकार भी लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती फिल्म के खिलाफ बयानबाजी करने वाले सभी संगठनों के लोगों के बयानों पर नाराजगी जताई है. अदालत के मुताबिक जब फिल्म को अभी तक सेंसर बोर्ड से पास नहीं हुई है तो सरकार में बड़े पदों पर बैठे लोग इसे लेकर अनर्गल बातें क्यों कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संगठन के नेताओं द्वारा की जा रही अनर्गल बयानबाजी पर भी नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "जब यह मामला सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के पास विचाराधीन है, तो फिर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग फिल्म के बारे में बयानबाजी क्यों कर रहे हैं? फिल्म को सर्टिफिकेट जारी किया जाए या नहीं, इस पर सीबीएफसी को ही फैसला लेने दें."
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के बारे में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की ओर से की जा रही बयानबाजी को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह फिल्म के बारे में पहले से धारणा बनाने जैसा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी करना कानून के शासन के सिद्धांत का उल्लंघन करना है क्योंकि सेंसर बोर्ड ने अभी तक फिल्म के लिए प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई चन्द्रचूड की पीठ ने विदेश में फिल्म की रिलीज रोकने का निर्देश निर्माताओं को देने की मांग करने वाली ताजा याचिका खारिज कर दी.
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एम. एल. शर्मा ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सीबीआई को निर्देशक संजय लीला भंसाली और अन्य लोगों के खिलाफ मानहानि और सिनेमैटोग्राफी कानून के उल्लंघन का मामला दर्ज करने का निर्देश दे.
हालांकि, नाराज बेंच ने एमएल. शर्मा के सुप्रीम कोर्ट में ही वकील होने के चलते जुर्माना नहीं लगाया.
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