advertisement
संसद ने एसपीजी कानून में संशोधन करने वाले एक विधेयक को मंगलवार को स्वीकृति दे दी जिसके तहत प्रधानमंत्री तथा पद छोड़ने के पांच साल बाद तक पूर्व प्रधानमंत्री को यह विशिष्ट सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा। सरकार ने यह स्पष्ट किया कि यह प्रस्तावित कानून गांधी परिवार के सदस्यों को ध्यान में रखकर नहीं लाया गया है क्योंकि इसे लाने से पहले ही इस परिवार के तीन सदस्यों की सुरक्षा श्रेणी को एसपीजी से बदलकर जेड प्लस कर दिया गया था।
गृह मंत्री अमित शाह ने विशेष संरक्षा ग्रुप (संशोधन) विधेयक 2019 पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक न तो राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के साथ और न ही किसी परिवार विशेष को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित कानून के कारण यदि सबसे ज्यादा किसी का नुकसान होगा तो वह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं क्योंकि इस शीर्ष पद से हटने के पांच साल बाद उनसे यह विशिष्ट सुरक्षा घेरा वापस ले लिया जाएगा।
हालांकि विधेयक पर गृह मंत्री की यह सफाई कांग्रेस सदस्यों को संतुष्ट नहीं कर पाई तथा उनके सदस्यों ने वाम दलों और द्रमुक के सदस्यों के साथ शाह के जवाब के बाद सदन से वाकआउट किया।
शाह के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
गौरतलब है कि विधेयक की धारा 4 में एक उपधारा का प्रस्ताव किया गया है कि प्रधानमंत्री और उनके साथ निवास करने वाले उनके निकट परिजनों को एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। इसी के साथ किसी पूर्व प्रधानमंत्री और उनके आवंटित आवास पर उनके निकट परिजनों को संबंधित नेता के प्रधानमंत्री पद छोड़ने की तारीख से पांच साल तक एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
इसमें धारा 4 के खंड ‘‘ख’’ को शामिल किया गया है। इसके तहत पूर्व प्रधानमंत्री की एसपीजी सुरक्षा हटाने पर उसके निकट परिजन की सुरक्षा भी हट जाएगी।
शाह ने कहा, ‘‘ ऐसी भी बात देश के सामने लाई गई कि गांधी परिवार की सरकार को चिंता नहीं है। हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सुरक्षा हटाई नहीं गई है। सुरक्षा बदली गई है। उन्हें सुरक्षा जेड प्लस सीआरपीएफ कवर, एएसएल (अग्रिम सुरक्षा प्रबंध) और एम्बुलेंस के साथ दी गई है । ’’
गृह मंत्री ने इस बात पर हैरत जतायी कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, वी पी सिंह, आई के गुजराल, पीवी नरसिंह राव आदि के परिजनों की भी एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई लेकिन किसी ने आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई। किंतु कांग्रेस ने कभी मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाने का विरोध क्यों नहीं किया?
इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने अपने स्थान पर खड़े होकर एक पत्र दिखाया और कहा कि उन्होंने यह पत्र भेजकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाये जाने पर ऐतराज व्यक्त किया था।
हालांकि शाह ने उनकी इस सफाई को खारिज करते हुए कहा, ‘‘फ़ॉरमेल्टी (औपचारिकता) एवं विरोध में अंतर होता है आजाद साहब।’’
शाह ने कहा कि वह गृह मंत्री होने के नाते गांधी परिवार के साथ साथ देश के सभी 130 करोड़ नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी परिवार के तीन सदस्यों और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ‘जेड प्लस’ सुरक्षा में जिन सुरक्षाकर्मियों को लगाया गया है वे किसी न किसी समय एसपीजी में काम कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि एसपीजी में सीआरपीएफ, बीएसएफ सहित विभिन्न बलों के कर्मचारी लिये जाते हैं जिन्हें पांच साल में बदल दिया जाता है।
कांग्रेस सदस्यों के गांधी परिवार की सुरक्षा कम किये जाने के दावे को गलत बताते हुए शाह ने कहा, ‘‘वह परिवार के नहीं बल्कि परिवारवाद के विरोधी हैं...परिवारवाद के कारण अव्यवस्था आती है।’’ उन्होंने यह भी दावा किया, ‘‘..हमारे दिल में जब तक ताकत है, हम परिवारवाद का विरोध करते रहेंगे। ’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि इससे पहले एसपीजी कानून में जितने संशोधन किए गए, वे सभी एक परिवार को ध्यान में रखकर किए गए।
शाह ने गांधी परिवार के सुरक्षा खतरों के आकलन के नाम पर उनकी सुरक्षा घटाने के फैसले को कांग्रेस सदस्यों द्वारा ‘‘राजनीतक’’ बताने के आरोपों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारें बदलती रहती हैं। किंतु खुफिया एजेंसी आईबी वही रहती है और सुरक्षा खतरों का आकलन वही करती है।
सुरक्षा मामलों पर वाम दलों के सदस्यों के राजनीतिक प्रतिशोध के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में वाम दलों को बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनके शासन वाले केरल में ‘‘भाजपा के 120 कार्यकताओं की हत्या की गयी है।’’
शाह की इस टिप्पणी का वाम दलों और कांग्रेस के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। कांग्रेस के वी के हरिप्रसाद ने कहा कि इस टिप्पणी से समझ नहीं आता कि शाह देश के गृहमंत्री हैं या भाजपा के।
हरिप्रसाद की इस टिप्पणी पर शाह ने कहा कि वह पूरे देश के गृह मंत्री हैं और भाजपा के जो 120 कार्यकर्ता हिंसा में मारे गये हैं, वे भी इसी देश के नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि केरल में चाहे कांग्रेस की सरकार आए या वाम दलों की, हत्या तो भाजपा के कार्यकर्ताओं की होती है।
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)