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पिछले दिनों गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने रोहिंग्या मुस्लिमों को डिपोर्ट करने की बात कही थी. इसके बाद से ही यह मामला गरमाया हुआ है.
इनके डिपोर्टेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा.
रोहिंग्या मुस्लिम मूलत: म्यांमार के रहने वाले हैं. लेकिन म्यांमार रोहिंग्या लोगों को अपने देश का नागरिक नहीं मानता. म्यांमार में रोहिंग्याओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा भी हुई है. इसके चलते ये बांग्लादेश और भारत में गैर कानूनी तरीके से प्रवासी बनकर आ गए.
पिछले दिनों रिजिजू ने कहा था कि तय कानूनी प्रक्रिया के हिसाब से रोहिंग्या मुस्लिमों को डिपोर्ट किया जाएगा. कई ह्यूमन राइट्स ग्रुप सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनके मुताबिक डिपोर्टेशन का फैसला मानवीय आधार पर गलत है.
प्रतिक्रिया देते हुए रिजिजू ने इन ग्रुप्स को सरकार को लेक्चर न देने की सलाह भी दी थी. रिजिजू ने कहा था कि भारत एक बेहद सहिष्णु देश है, जहां लाखों प्रवासी हैं, इतने दुनिया में कहीं नहीं हैं.
रिजिजू ने कहा कि इन ग्रुप्स को भारत को बदनाम करना बंद करना चाहिए. भारत इन रोहिंग्या जाति के लोगों को कोई समुद्र में फेंकने वाला नहीं है. इनको डिपोर्ट करने के लिए पूरे कानूनी प्रोसेस का पालन किया जाएगा.
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