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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि इतिहास बनाने में नाकाम रहने वाले इसमें छेड़छाड़ का प्रयास करते हैं। मोदी ने इतिहास को उसके वास्तविक रूप में स्वीकार करने एवं किसी विचारधारा द्वारा इसमें छेड़छाड़ नहीं करने देने की जरूरत पर बल दिया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों पर पहले शब्दकोश के विमोचन के दौरान मोदी ने कहा कि अगर इतिहास को उसके वास्तविक रूप में स्वीकार किया जाता है तो ही यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।
गौरतलब है कि मोदी की पार्टी भाजपा पर विपक्ष अक्सर इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाता रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास को विचारधारा के पैमाने पर तोलने के प्रयास होते हैं और इन प्रयासों के कारण कई बार इतिहास से छेड़छाड़ होती है। मुझे लगता है कि इतिहास को इतिहास के रूप में लिया जाना चाहिए... यह आपकी या मेरी विचारधारा से बाध्य नहीं होना चाहिए और हमें इसमें बदलाव नहीं किया जाना चाहिए...बहस चलती रहेगी...’’
उन्होंने आरोप लगाया कि जो इतिहास रचने में नाकाम रहते हैं वे ही इसे अपने अनुरूप करने के लिए इसमें छेड़छाड़ करते हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘जो इतिहास नहीं रच सकते, वे कई बार इतिहास को अपने रंग में रंगना चाहते हैं क्योंकि उनमें इतिहास रचने की क्षमता नहीं होती। इतिहास को इन रंगों में रंगने के बजाय, हमें इतिहास को उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए जैसा कि वह है और फिर हम देश की महान सेवा करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि इतिहास की विभिन्न तरीके से व्याख्या की जा सकती है लेकिन तथ्यों को नहीं बदला जा सकता।
भाषा
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
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