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संविधान में चुनौतियों का सामना करने की ताकत: PM मोदी

‘न्यू इंडिया’ के सपने को साकार करने के लिए पीएम ने युवाओं को आगे आने को कहा

द क्विंट
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पीएम ने कहा, हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी है
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पीएम ने कहा, हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी है
(फाइल फोटो: PTI)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश के संविधान में गलती नहीं है, बल्कि उसका पालन करवाने वाली संस्थाओं से गलती हो सकती है. संविधान दिवस के मौके पर पीएम ने कहा, "हमारा संविधान जितना जीवंत है, उतना ही संवेदनशील भी है. हमारा संविधान जितना जवाबदेह है, उतना ही सक्षम भी है. हमारे संविधान में चुनौतियों का सामना करने की ताकत है." उन्होंने कहा कि संविधान का हर शब्द पवित्र है. आज का दिन संविधान निर्माताओं को नमन करने का दिन है. 26 नवंबर 1949 को ही संविधान पारित हुआ था.

'आंतरिक कमजोरियां दूर नहीं हुई'

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में पीएम ने देश के अंदर मौजूद आंतरिक कमजोरियों को दूर करने की वकालत की. उन्होंने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद भी देश के भीतर से आंतरिक कमजोरियां दूर नहीं हुई हैं. इसलिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका, तीनों ही स्तर पर मंथन किए जाने की जरूरत है कि अब बदले हुए हालात में कैसे आगे बढ़ा जाए.

'न्यू इंडिया के रास्ते पर आगे बढ़ें'

न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए उन्होंने युवाओं को आगे आने को कहा. प्रधानमंत्री ने कहा, "ये समय भारत के लिए गोल्डन पीरियड की तरह है. देश में आत्मविश्वास का ऐसा माहौल बरसों के बाद बना है. निश्चित तौर पर इसके पीछे 125 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति काम कर रही है. इसी सकारात्मक माहौल को आधार बनाकर हमें न्यू इंडिया के रास्ते पर आगे बढ़ते चलना है."

भारत आज दुनिया का सबसे नौजवान देश है. इस नौजवान ऊर्जा को दिशा देने के लिए देश की हर संवैधानिक संस्था को मिलकर काम करने की जरूरत है. 20वीं सदी में हम एक बार ये अवसर चूक चुके हैं. अब 21वीं सदी में न्यू इंडिया बनाने के लिए, हम सभी को संकल्प लेना होगा. 
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
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‘हमें जो करना है, अभी करना है’

प्रधानमंत्री ने किसी काम को कल पर टालने के बजाए आज करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, “हम ये मानकर चलेंगे कि हमारे पास काफी समय है, आने वाली पीढ़ियां ही सब करेंगी तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा. जो करना है हमें अभी करना है. हम ये सोचकर नहीं रुक सकते कि इसके परिणाम आते-आते तो हम नहीं रहेंगे.”

सोच भी आत्मविश्वास से भरी होनी चाहिए. हम रहें या न रहे लेकिन ये देश रहने वाला है. हम रहें या न रहें लेकिन जो व्यवस्था हम देश को दे कर जाएंगे वो सुरक्षित स्वाभिमानी और स्वावलंबी भारत की व्यवस्था होनी चाहिए.

परेशानियां कम करने के लिए कानून में बदलाव

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों की परेशानियां कम करने के लिए हमारा संविधान सक्षम है. इसी दिशा में कानून में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं. उन्होंने कहा, “चाहे दिव्यांगों के लिए कानून में बदलाव का फैसला हो या एससी/एसटी कानून को और सख्त करने का फैसला हो. या फिर बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए रेरा. ये सभी इसलिए लिए गए ताकि आम लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली परेशानियां कम हो.”

पीएम ने कहा कि देश में होनेवाला हर भ्रष्टाचार कहीं न कहीं किसी गरीब का हक छीनता है. ऐसे में इस पर रोक लगाने की जरूरत है.

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Published: 26 Nov 2017,06:34 PM IST

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