मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने की कन्नड़वाद की वकालत, दिए ये तर्क

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने की कन्नड़वाद की वकालत, दिए ये तर्क

कर्नाटक के झंडे और दूसरी मांगों को लेकर सिद्धारमैया सख्त, फेसबुक पर पोस्ट लिखकर की वकालत 

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Updated:
कर्नाटक के CM ‘कन्नड़वाद’ की तरफ,फेसबुक पर लिखा 500 शब्दो का पोस्ट
i
कर्नाटक के CM ‘कन्नड़वाद’ की तरफ,फेसबुक पर लिखा 500 शब्दो का पोस्ट
(फोटो: ट्विटर\Siddaramaiah)Verified accoun)

advertisement

कर्नाटक के सीएम सिद्धरामैया ने शुक्रवार को एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कन्नड़ अस्मिता और राज्य के लिए एक अलग झंडे की मांग को पुरजोर तरीके से रखा है. राज्य सरकार ने जुलाई 2017 में एक कमिटी इसलिए बनाई थी जो ये तय कर सके कि क्या राज्य के लिए एक अलग झंडा हो सकता है, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से इसकी कड़ी आलोचना हुई. ऐसे में सिद्धारमैया ने कर्नाटक में होने वाले चुनाव से ठीक पहले एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है, जिसमें कर्नाटक अस्मिता और एक अलग झंडे की बात कही गई है.

झंडे का पुरजोर समर्थन

(फोटो: ट्विटर\@siddaramaiah)

सिद्धारमैया ने अपने पोस्ट में लिखा है कि पिछले साल जुलाई के महीने में दिल्ली में स्थित टेलीविजन स्टूडियो ने कर्नाटक के अलग झंडे के मांग की आलोचना की थी. एंकर परेशान थे और इसे राष्ट्रीय एकता के खिलाफ खतरा मांग रहे थे. इस साल कमिटी ने रिपोर्ट सौंपी है और राज्य सरकार ने उसे मंजूरी देकर केंद्र सरकार से अलग झंडे की मांग की है. क्या है राष्ट्रीय अस्मिता के खिलाफ खतरा है?

उन्होंने आगे लिखा कि देश के आजाद होने के 70 साल पूरे हो चुके हैं, एक यूनियन स्टे से हम फेडरेशन ऑफ स्टेट की तरफ विकसित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में मुझे नहीं लगता कि अधिक संघीय स्वायत्तता और क्षेत्रिय पहचान की मांग करना देश के लिए कुछ गलत है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

टैक्स की बात भी सिद्धरामैया ने रखी

सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र केंद्र से जितना पाते हैं उससे ज्यादा का टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं.  उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से हमें सेंट्रल टैक्स और स्कीम के तौर पर शेयर का ही हिस्सा मिलता है. क्योंकि पूरे देश को ध्यान में रखकर स्कीम का निर्धारण होता है, सिद्धरामैया ने कहा कि हमें ऐसे सिस्टम की जरूरत है कि हमारे राज्यों को टैक्स का ज्यादा हिस्सा मिले. अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि दक्षिण के राज्य उत्तर भारत के राज्यों का आर्थिक बोझ भी उठाते हैं, इन राज्यों को ज्यादा टैक्स देने के बावजूद भी कम हासिल होता है.

कन्नड़वाद की पुरजोर वकालत

सिद्धरामैया ने अपने पोस्ट में कहा कि यूरोप के कई देशों से कर्नाटक बड़ा है, भारत की समृद्धि के लिए हर राज का विकास जरूरी है. ऐसे में राज्यों को इकनॉमिक पॉलिसी और ढांचागत व्यवस्था के लिए ज्यादा सुविधाओ की जरूरत है. जिससे केंद्र के तमाम लाइसेंस और प्रोगाम से बचे बगैर, राज्य अपने हितों को हासिल कर सकें. उन्होंने कहा कि हमारी कई भाषाएं और संस्कृति भारत की 'पहचान' से भी पुरानी है, तब भी हम भारतीय एक साझा इतिहास, संस्कृति और भाग्य के साझेदार हैं. सिद्धारमैया ने कहा कि अगर मैं एक कन्नड़ नागरिक हूं तो इससे मेरे भारतीय होने की बात कहीं से भी कम नहीं हो जाती. इसलिए कर्नाटक में हम ज्यादातर कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करते हैं, और हिंदी भाषा के थोपे जाने को तर्कों से काटते हैं, साथ ही एक राज्य के झंडे की मांग करते हैं. हम एक मजबूत भारत बनाने की तरफ प्रतिबद्ध हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 16 Mar 2018,11:16 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT