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17वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो गया. देश के सियासी इतिहास में कुछ ऐसे चेहरे हैं जो संसद में अक्सर दिखते थे, लेकिन अब नहीं दिखेंगे. ये वो नेता हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति को काफी प्रभावित किया है. आज हम आपको ऐसे ही 8 चेहरों के बारे में बताएंगे.
उम्र के आधार पर टिकट न मिलने के कारण BJP के कुछ दिग्गजों ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. लालकृष्ण आडवाणी भी इन्हीं में से एक हैं. लोकसभा के सबसे पुराने सदस्य रह चुके 91 वर्षीय आडवाणी ने 1991 में गांधीनगर से लोकसभा चुनाव लड़कर एक बड़ी जीत हासिल की थी. आडवाणी ने यहां से छह मौकों पर जीत दर्ज की थी. आखिरी बार उन्होंने 2014 में यहां से चुनाव लड़ा था, तब उन्हें 5 लाख के करीब मार्जिन से जीत मिली थी.
एम एम जोशी जिन्होंने 2014 में कानपुर से चुनाव जीता था. जोशी 1991 और 1993 के बीच भाजपा अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने संसद में इलाहाबाद और वाराणसी का भी प्रतिनिधित्व किया। 2014 में पार्टी ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी को मैदान में उतारने का फैसला किया जिसके बाद उन्हें कानपुर भेज दिया गया. इस बार 75 के पार टिकट नहीं की नीति के कारण जोशी को भी टिकट नहीं मिला. लिहाजा उन्हें 17वीं लोकसभा में नहीं देखा जा सकेगा.
16 वीं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री - श्रम और रोजगार, रेलवे और सामाजिक न्याय और अधिकारिता के रूप में काम किया हुआ है. इस बार उन्हें कर्नाटक के गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र में भाजपा के उमेश जी जाधव से हार का सामना करना पड़ा. लिहाजा विपक्ष के इस जाने-पहचाने चेहरे को आप मौजूदा संसद में नहीं देख पाएंगे
मोदी सरकार की पहली पारी में में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज भी इस बार संसद में नहीं नजर आएंगी. सुषमा ने सेहत खराब होने के कारण इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया था. सुषमा का कहना था कि किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने उन्हें धूल मिट्टी से दूर रहने को कहा है जिस वजह से वें खुली जगहों पर होने वाले चुनाव प्रोग्राम में हिस्सा नहीं ले पाएंगी. पिछली बार सुषमा मध्य प्रदेश की विदिशा से सांसद चुनी गई थीं.
2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह, अब संसद में दिखाई नहीं देंगे. राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका लगभग 30 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है. अगर पार्टी उन्हें आगे कहीं से नॉमिनेट करती है तो वो एक बार फिर संसद में नजर आ सकते हैं..लेकिन फिलहाल तो नहीं दिखेंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री और पिछले तीन दशक से कर्नाटक की बुलंद आवाज रहे देवेगौड़ा ने पहली बार संसद में एंट्री नही की. वें छठी बार तुमकुर से जीत हासिल करते लेकिन BJP के जी एस बसवाराजू ने उन्हें इस बार मात दे दी. इससे पहले. देवेगौड़ा ने हसन संसदीय क्षेत्र से लगातार चुनाव लड़ा. बाद में उन्होंने अपने पोते प्रज्वल रेवन्ना को वहां से मैदान में उतारने के लिए अपनी सीट खाली कर दी.
2014 में सुमित्रा महाजन 8वीं बार लोकसभा के लिए चुनी गई थीं. वह सबसे लंबे समय तक लोकसभा की सदस्य रहने वाली महिला हैं. सुमित्रा ने 1989 से मध्य प्रदेश के इंदौर का प्रतिनिधित्व किया. 16वीं लोकसभा के लिए उन्हें स्पीकर पद के लिए चुना गया था लेकिन इस बार के चुनाव में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, उमा भारती ने भी इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे राजनीति से संन्यास लेने की योजना नहीं बना रही हैं. उन्हेंने कहा कि मैं थक गई हूं लेकिन रिटायर नही हुई हूं. मैं जल्द ही अपनी वापसी करुंगी.
ये 8 नेता अलग-अलग कारणों से इस बार संसद में नजर नहीं आएंगे. लेकिन पिछली लोकसभा तक इनकी प्रसिद्धि कुछ ऐसी रही है कि कैमरा से लेकर पब्लिक तक की निगाहें इन्हें ढूंढ़ेंगी.
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