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दिल्‍ली: ठंड से मौत पर सियासत, ये रही क्‍व‍िंट की ग्राउंड रिपोर्ट

दिल्ली में बीजेपी ने केजरीवाल सरकार को बेघर लोगों की मौत का जिम्मेदार ठहराया है

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड के कारण हर किसी का बुरा हाल है
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दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड के कारण हर किसी का बुरा हाल है
(फोटो: PTI)

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दिल्ली में कड़ाके की ठंड के चलते 6 दिनों में 40 से ज्‍यादा बेघर लोगों की मौत हो गई. इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्‍ली अर्बन शेल्‍टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) के सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही उन्होंने उपराज्यपाल अनिल बैजल पर सक्षम अफसर नियुक्‍त न करने का आरोप लगाया.

दिल्‍ली में ठंड से मौत के मामले में सियासत गरमाती दिख रही है. द क्‍व‍िंट ने ठंड में शेल्‍टर हाउस के भीतर का हाल जानने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है.

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट में कहा:

मीडिया अपनी रिपोर्ट में ठंड के कारण 44 बेघर लोगों की मौत होने की खबर दिखा रही है. मैं DUSIB के सीईओ को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा हूं. पिछले साल इस से कम मौत हुई थी. इस साल उप-राज्यपाल ने बेकार अफसर नियुक्त किए. उन्होंने अफसर नियुक्त करने से पहले हमसे सलाह लेने से मना कर दिया. इस तरह हम सरकार कैसे चलाएं? 

बता दें कि आजकल दिल्ली-NCR में काफी सर्दी पड़ रही है. सोमवार सुबह दिल्ली में 5 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया. कोहरे का असर रेल और हवाई यातायात पर भी पड़ रहा है.

बीजेपी ने दिल्ली सरकार को ठहराया जिम्मेदार

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को इन मौतों का जिम्मेदार ठहराया है. तिवारी ने ट्विटर पर वीडियो जारी कर कहा कि सड़क से आंदोलन शुरू करने वाले महलों में सो गए और सड़क वाले मौत के मुंह में समा रहे हैं.

दिसंबर 2017 में कंपकंपाती ठंड के कारण करीब 250 लोगों की मौत हो गई. जितना ध्यान केजरीवाल अपनी राज्यसभा की तीन सीटों पर दे रहे हैं, इतना ध्यान अगर सर्दी से बचाव पर दिया होता, तो दिल्ली में इतने लोगों की मौत नहीं हुई होती.
मनोज तिवारी, अध्यक्ष, दिल्ली बीजेपी
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क्विंट ने ग्राउंड रिपोर्ट का लिया जायजा

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने 257 रैन बसेरे बनाए हैं, जिसमें करीब 20,000 बेघरों के लिए रुकने का इंतजाम है.

क्विंट के पत्रकार शादाब मोइजी ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पास एक रैन बसेरा में रातभर रहकर वहां के हालात जानने की कोशिश की. उन्‍होंने रैन बसेरे में एक पूरी रात बिताई. वहां सो रहे उन आम लोगों की तरह जमीन पर, उसी कंबल को ओढ़कर वहां रह रहे लोगों की परेशानियों को समझा.

देखिए पूरी रिपोर्ट:

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