advertisement
पिनराई विजयन ने बुधवार को केरल के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है. राज्यपाल पी. सदाशिवम ने उन्हें शपथ दिलाई. लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए लेफ्ट पार्टी के केरल में जीतने के बाद भी उन्हें अपनी ही पार्टी के नेता से मुकाबला करना पड़ा.वो और कोई नहीं बल्कि वरिष्ठ नेता वीएस अच्युतानंदन थे.फिर भी पार्टी पर अपनी पकड़ के चलते विजयन ने उनको पछाड़ दिया.
आइए जानते हैं कि इस नए मुख्यमंत्री का राजनीतिक सफर कैसे शुरु हुआ और कैसा है उनका अच्युतानंदन के साथ इतिहास?
21 मार्च 1944 को कन्नूर जिले के पिनराई में जन्मे विजयन 26 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने. इसके बाद वह कई बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए. उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और आपातकाल के दौरान उन्हें प्रताड़ित भी किया गया. विजयन के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक पुत्र और एक पुत्री है.
गरीब परिवार से नाता रखने वाले पिनराई विजयन की छवि एक सख्त एक ‘‘टास्कमास्टर’’ की है जिनकी संगठन पर खासी पकड़ रही है. विजयन दक्षिणी प्रदेश में संभवत: अकेले ऐसे पार्टी नेता हैं जिनका 16 साल तक पार्टी पर पूरा नियंत्रण रहा. उनका यह नियंत्रण पिछले साल तब तक रहा जब तक वह राज्य सचिव के पद पर रहे.
मितभाषी विजयन ने राज्य सचिव के अपने कार्यकाल के दौरान अपने सांगठनिक कौशल का परिचय दिया. वह 1996 से 1998 के बीच कुछ समय के लिए राज्य के बिजली मंत्री भी रहे. उस समय दिवंगत ई के नयनार मुख्यमंत्री थे. मंत्री के रूप में उठाए गए उनके कदमों के कारण उस दौरान राज्य में बिजली उत्पादन तथा वितरण क्षमता में काफी विस्तार हुआ.
बिजली मंत्री रहते उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. यह आरोप तीन पनबिजली परियोजनाओं के आधुनिकीरण के लिए एक कनाडाई कंपनी ‘‘एसएससी-लैवलिन’’ को ठेका दिए जाने से संबंधित था. उनके विरोधी उन पर निशाना साधने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करते रहे हैं. लेकिन विजयन ने हमेशा इन आरोपों का नकारा है और कहा है कि यह राजनीतिक रूप से प्रेरित मामला था और कोई गलती नहीं की गयी थी.
एनएससी-लैवलिन कंपनी के अलावा आरएमपी नेता टी पी चंद्रशेखरन की हत्या जैसे मुद्दों को लेकर उनकी छवि प्रभावित हुई है. पूर्व माकपा नेता चंद्रशेखरन की 2011 में कोझिकोड में हत्या कर दी गयी थी जब वह पार्टी के राज्य सचिव थे.
उनके आलोचक उन्हें ऐसा नेता करार देते रहे हैं ‘’जिनके चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं होती.’’ वहीं पार्टी में उनके प्रतिद्वंद्वी उन पर पार्टी लाइन से अलग हटने का आरोप लगाते रहे हैं.
विजयन माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं जो राजनीतिक रूप से प्रभावशाली थिय्या समुदाय से आते हैं जबकि पार्टी में उनके प्रतिद्वंद्वी अच्युतानंदन दक्षिण केरल के एझावा समुदाय से आते हैं.
पिनराई ने केरल विधानसभा में वाम की जीत सुनिश्चित करने के लिए 93 वर्षीय नेता वी एस अच्युतानंदन द्वारा जोशपूर्ण प्रचार किए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उन्हें पीछे छोड़ दिया.
जब विजयन राज्य सचिव थे, उसी दौरान अच्युतानंदन और उनके बीच तकरार सामने आयी. उनके मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने को अच्युतानंदन के साथ सत्ता संघर्ष में उनकी जीत के तौर पर भी देखा जा रहा है. अच्युतानंदन एक लोकप्रिय नेता हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान काफी प्रचार किया. वह भी मुख्यमंत्री पद की होड़ में थे.
अच्युतानंदन के साथ वियजन को 2007 में पोलितब्यूरो से निलंबित कर दिया गया था. दोनों नेताओं ने खुलेआम मीडिया के जरिए एक दूसरे की आलोचना की थी. बाद में उन्हें पोलितब्यूरो में फिर शामिल किया गया. हालांकि बाद में अच्युतानंदन को पार्टी अनुशासन तोड़ने के आरोप में फिर से हटा दिया गया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined