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पिछले एक हफ्ते की घटनाएं बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच तीखी खींचतान की मिसाल हैं. उदाहरण के लिए इन तीन घटनाओं को देखें-
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी.
दिल्ली नगर निगम के अंदर बीजेपी और आप पार्षदों के बीच मारपीट.
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने राज्य का बजट सत्र शुरू करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया.
लेकिन सच बात ये है कि, AAP अभी भी बीजेपी के लिए एक बड़ा राष्ट्रीय खतरा नहीं है, क्योंकि यह केवल दिल्ली और पंजाब में मजबूत है, वहीं गोवा में थोड़ी सी मौजूदगी और गुजरात में पैर जमाने की कोशिश भर माना जा सकता है.
हालांकि दिल्ली में विधानसभा स्तर पर हार के बावजूद, बीजेपी अब तक लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के खिलाफ लगातार दो बार 7-0 से जीत हासिल करके काफी मजबूत रही है.
वहीं गुजरात चुनाव के दौरान की एक घटना से पता चलता है कि बीजेपी आम आदमी पार्टी को किस नजरिए से देखती है. खबरों के मुताबिक बीजेपी की आंतरिक बैठक के दौरान राज्य के एक नेता ने कहा कि यह अच्छा है कि AAP कांग्रेस का वोट काट रही है. इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कथित तौर पर जवाब दिया कि बीजेपी को अगले चुनाव के बारे में सोचने की जरूरत है, न कि केवल मौजूदा चुनाव के बारे में.
अब आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ कई केस में दम हो भी सकता है और नहीं भी. लेकिन दोनों पार्टियों के बीच लगातार हो रही खींचतान गौर करने लायक है.
बीजेपी AAP के साथ जो कर रही है वह खेल रणनीति ' मैन-टू-मैन मार्किंग' (जोकि शाहरुख खान की चक दे इंडिया मूवी के बाद ज्यादा प्रचलित हुई) की तरह है. सामने वाली टीम के हर खास प्लेयर को टारगेट करने के लिए अपने खास खिलाड़ियों को काम पर लगाना.
यह कम से कम चार स्तरों पर हो रहा है
सीबीआई ने कथित शराब घोटाले के सिलसिले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया है. एजेंसी राजनीतिक विरोधियों की कथित जासूसी के सिलसिले में भी उनसे पूछताछ कर रही है. 2012 में AAP के गठन से पहले से ही सिसोदिया अरविंद केजरीवाल के नंबर दो रहे हैं.
सिसोदिया की गिरफ्तारी इस खींचतान में आप को अब तक का सबसे बड़ा झटका है. केजरीवाल के राजनीतिक विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, यह सिसोदिया ही थे जिन्होंने दिल्ली में प्रशासनिक जिम्मेदारियों का एक बड़ा हिस्सा संभाला था.
उनकी गिरफ्तारी विधानसभा में दिल्ली का बजट होने से पहले भी हुई है, जिसे वह पेश करने वाले थे.
2022 में पंजाब में आप की जीत कई मायनों में दिल्ली की जीत से भी बड़ी थी, क्योंकि 10 साल पुरानी पार्टी ने एक पूर्ण राज्य में सत्ता पर कब्जा कर लिया था.
हालांकि, पंजाब में पॉलिटिकल नैरेटिव अक्सर राष्ट्रीय नैरेटिव से अलग रहा है. उदाहरण के लिए, पिछले पांच विधानसभा चुनावों में, पंजाब ने राज्य स्तर पर एक ऐसी पार्टी को वोट दिया है, जो राष्ट्रीय स्तर पर सत्ताधारी पार्टी के विरोध में रही हो..
पंजाब में BJP/केंद्र सरकार और आप सरकार के बीच खींचतान अलग-अलग स्तरों पर चल रहा है.
जैसा कि हमने पहले बताया कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अपने हालिया पत्र में सीएम भगवंत मान को उनके द्वारा किए गए कुछ कथित अपमानजनक ट्वीट्स को लेकर राज्य के बजट सत्र की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. अब इन सब से अलग राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को लेकर बहस.
बीजेपी कहती रही है कि पंजाब में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. अजनाला हिंसा जैसी घटनाओं को 'बढ़ते खालिस्तानी खतरे' के सबूत के रूप में पेश किया जा रहा है. इसके कारण पंजाब के मामलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का बहुत अधिक हस्तक्षेप हुआ है.
आम आदमी पार्टी इस मामले पर इंतजार करेगी और पुलिस की बजाय राजनीतिक रूप से जवाब देना चाहेगी, लेकिन इससे बीजेपी को आप पर सुरक्षा मामलों में 'कमजोर' और 'अयोग्य' होने का आरोप लगाने में मदद मिल रही है.
बीजेपी का उद्देश्य पंजाब में बहुत नहीं है, लेकिन आप को राष्ट्रीय स्तर पर जड़ से उखाड़ना हो सकता है, और ये बताकर कि उसने यानी aap ने खालिस्तान समर्थक तत्वों को बढ़ने दिया है.
दिल्ली में आप सरकार का कई मुद्दों पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ टकराव चल रहा है. सबसे हालिया संघर्ष एमसीडी पर था, जहां एल-जी ने नगर निगम में कुछ सदस्यों को नामांकित किया था, जो संभावित रूप से मेयर चुनाव से पहले सदन में संख्याओं को बदल सकते थे. मामला कोर्ट में जाकर तय हुआ और आम आदमी पार्टी के हक में फैसला हुआ.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी एलजी पर नौकरशाही को नियंत्रित करने और उन्हें काम नहीं करने देने का आरोप लगाया है. यहां तक कि सरकारी शिक्षकों को विदेश में प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए जाने से एलजी के इनकार के खिलाफ केजरीवाल ने सड़कों पर विरोध मार्च भी निकाला था.
दिल्ली के वरिष्ठ मंत्री सत्येंद्र जैन धनशोधन के एक मामले में जेल में बंद हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है. मामले के सही गलत या फैसले के आए बिना फिलहाल यह कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी को इसके कारण राजनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा है.
इन चार मामलों के जरिए आप के दो प्रमुख नेताओं सिसोदिया और सतेंद्र जैन को एक्शन से बाहर कर दिया गया है. दूसरी तरफ आप की दोनों सरकारों को भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
अब ये सारे हालात केजरीवाल को पार्टी की राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं में तेजी से रोकता है और आगे बढ़ने की रणनीति को बहुत सीमित कर देता है. ऐसे में राघव चड्ढा और संदीप पाठक जैसे युवा नेताओं को अधिक संगठनात्मक जिम्मेदारियां देने की कोशिश की जा रही है.
लेकिन मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी एक बहुत बड़ी घटना है. आम आदमी पार्टी के अंदर इसके नतीजे आने वाले दिनों में ही स्पष्ट होंगे.
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