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लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं. चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने मांग की है कि केजरीवाल को पार्टी संयोजक का पद छोड़कर संजय सिंह को दे देना चाहिए. इसके साथ ही अलका ने भविष्य में खुद भी पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं.
पार्टी छोड़ने का संकेत देते हुए अलका ने लिखा है, ''2013 में AAP के साथ शुरू हुआ मेरा सफर 2020 में समाप्त हो जाएगा. मेरी शुभकामनाएं पार्टी के समर्पित क्रांतिकारी जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा रहेंगी, आशा करती हूं आप दिल्ली में एक मजबूत विकल्प बने रहेगें. आप के साथ पिछले 6 साल यादगार रहेंगे. आप से बहुत कुछ सीखने को मिला.''
हालांकि अलका तुरंत इस्तीफे की खबरों को खारिज किया है. इसे बारे में उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''अभी तो चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र की जनता के साथ किए गए वादे पूरे करने के लिए 7 महीने बचे हुए हैं- तब तक नहीं.''
AAP और अलका लांबा के बीच खटपट के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब AAP विधायक अनिल वाजपेयी बीजेपी में शामिल हुए थे, तब भी अलका लांबा पार्टी लाइन से अलग दिखी थीं. उस दौरान लांबा ने कहा था कि वाजपेयी आत्म सम्मान बचाने के लिए बीजेपी में शामिल हुए. इससे पहले लांबा चांदनी चौक में अरविंद केजरीवाल के रोड शो में भी शामिल नहीं हुई थीं. लांबा ने कहा था कि पार्टी ने उनका अपमान किया था इसलिए वह रोड शो में शामिल नहीं हुई थीं.
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