Home News Politics आप Vs एलजी: SC के फैसले का शीला और सुब्रह्मण्यम ने भी किया सपोर्ट
आप Vs एलजी: SC के फैसले का शीला और सुब्रह्मण्यम ने भी किया सपोर्ट
आम आदमी पार्टी ने फैसले को बताया बड़ी जीत
क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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उपराज्यपाल बनाम केजरीवाल सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
(फोटोः द क्विंट)
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दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के लिए बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. वहीं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की सीनियर नेता शीला दीक्षित और बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया है.
इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है.
‘लोकतंत्र के लिए बड़ी जीत’
“सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अब दिल्ली सरकार को अपनी फाइलें मंजूरी के लिए राज्यपाल को नहीं भेजनी पड़ेगी, अब काम बंद नहीं होगा. मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करता हूं, यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत है.”
मनीष सिसोदिया, उपमुख्यमंत्री
सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल साफ: शीला दीक्षित
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अब साफ कर दिया है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले भी उनकी सरकार में काम आसानी से होता था.
“मुझे लगता है सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा, वो बिल्कुल साफ है. संविधान की धारा 239 (एए) के मुताबिक, दिल्ली एक राज्य नहीं, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश है. अगर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल मिलकर काम नहीं करेंगे, तो दिल्ली को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. कांग्रेस ने 15 सालों तक दिल्ली में सरकार चलाई है. उन दिनों तो कभी किसी तरह का टकराव नहीं हुआ.”
“सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जमीन, पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर सरकार के अधीन नहीं आएंगे. इन तीन विषयों को छोड़कर चाहे वो बाबुओं के ट्रांसफर का मसला हो या और अन्य शक्तियां अब दिल्ली सरकार के अधीन आ जाएंगी. शीला दीक्षित की सरकार के पास जो शक्तियां थी. वही शक्तियां अब हमारे हाथ में होगी.”
राघव चड्ढ़ा, आप प्रवक्ता
‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही’
बीजेपी के सीनियर नेता सुब्रह्मण्य स्वामी ने सुप्रीम कोर्टे के फैसले को जायज ठहराया है. साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार के लोगों की तुलना नक्सलियों से भी की है.
“सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, सही है कि उपराज्यपाल को दिल्ली कैबिनेट के फैसलों का सम्मान करना चाहिए. लेकिन अगर दिल्ली सरकार कोई राष्ट्र विरोधी या संविधान विरोधी फैसला लेती है, तो उपराज्यपाल इसका विरोध कर सकते हैं. वैसे भी दिल्ली को चलाने वाले लोग नक्सली टाइप हैं.”