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शिवसेना का नाम आते ही 'मराठी अस्मिता', बाला साहेब की पॉलिटिकल स्टाइल और हिंदुत्व का मुद्दा जैसे 'प्रतीक' दिखने लगते हैं. लेकिन अब दौर है पार्टी में बदलाव का. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है, वैसे-वैसे कभी बाला साहेब ठाकरे की शैली को आगे बढ़ाते दिखती उद्धव ठाकरे की ये पार्टी अब आदित्य ठाकरे 'स्टाइल' की नजर आ रही है.
शिवसेना का फोकस अब शिफ्ट हो रहा है. आदित्य ठाकरे की 'राजनीति' में उत्तर भारतीयों से मेलजोल भी दिखता है, साथ ही पैन इंडिया कवरेज की बात भी नजर आती है. ऐसे में आइए नजर डालते हैं शिवसेना के बदलते हुए 3 ट्रेंड पर.
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अच्छी-खासी संख्या में उत्तर भारतीय बसते हैं. जाहिर है कि राजनीतिक पार्टियां इस वोट बैंक के लिए कोशिश करती भी नजर आती हैं. वहीं शिवसेना और उत्तर भारतीयों के बीच के मतभेद जगजाहिर हैं. लेकिन तेजी के साथ बदलते सियासी समीकरण में अब शिवसेना ने भी अपनी स्ट्रेटेजी बदली है. हाल ही में आदित्य ठाकरे उत्तर भारतीयों लोगों के आयोजित एक कार्यक्रम में गमछा बांधे नजर आए. इससे पहले शायद ही कोई 'ठाकरे' ऐसे गमछे में नजर आया होगा. ये कार्यक्रम कांग्रेस से शिवसेना में आए आनंद दुबे ने आयोजित कराया था.
19 जून, 1966 को शिवसेना की स्थापना करने वाले शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने राज्य में पार्टी मजबूत किया लेकिन वे खुद कभी चुनावी अखाड़े में नहीं उतरे. शिवसेना प्रमुख के निधन के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को लेकर भी शुरुआत में चुनाव लड़ने की खबरें आईं लेकिन उद्धव ठाकरे ने बाला साहब की तरह कभी चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन हाल ही में ऐसी भी खबरें आईं कि आदित्य ठाकरे विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं. शिवसेना के कई नेता भी ऐसे संकेत दे रहे हैं कि आदित्य चुनाव लड़ेंगे और सीएम पद के दावेदार भी हो सकते हैं. हालांकि, अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
तीसरा बड़ा ट्रेंड है पार्टी का सोशल मीडिया पर फोकस. आदित्य के नेतृत्व में शिवसेना सोशल मीडिया पर भी पूरे दमखम के साथ अपनी मौजदूगी दिखाने में जुटी हुई हैं. हाल ही में कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में शामिल हुई हैं. मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रियंका चतुर्वेदी जाना पहचाना नाम हैं. अब वो भी पार्टी के मुद्दों को पुरजोर तरीके से रखती दिख रही हैं.
आदित्य ठाकरे खुद भी अंग्रेजी, हिंदी और मराठी तीनों भाषाओं पर पकड़ रखते हैं और सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रहते हैं. वहीं आदित्य के पिता और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे का अपना खुद ट्विटर हैंडल नहीं हैं और पार्टी का मुखर चेहरा माने जाने वाले वरिष्ठ नेता संजय राउत भी जब सोशल मीडिया पर हिंदी लिखने की कोशिश करते हैं, कहीं न कहीं कमी रह ही जाती है.
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