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अहमदाबाद में 'नॉन-वेज' बैन के बाद हटाए हए ठेले, प्रशासन से सवाल- घर कैसे चलाएं?

लाइसेंस होने के बावजूद ये दुकानदार अपनी दुकानें नहीं लगा सकते. इससे प्रशासन के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं.

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>अहमदाबाद में 'नॉन-वेज' बैन के बाद हटाए हए ठेले, प्रशासन से सवाल- घर कैसे चलाएं?</p></div>
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अहमदाबाद में 'नॉन-वेज' बैन के बाद हटाए हए ठेले, प्रशासन से सवाल- घर कैसे चलाएं?

(फोटो:क्विंट हिंदी)

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अहमदाबाद (Ahmedabad) की सड़कों पर बेचे जा रहे नॉनवेज (NonVeg Ban) पर बैन लगाने के बाद अब प्रशासन ने रेहड़ी पटरी और ठेला वालों को सड़कों से हटाना शुरू कर दिया है.

अहमदाबाद में 16 नवंबर से सड़कों पर नॉनवेज बेचने पर प्रशासन ने बैन लगा रखा है. अहमदाबाद नगर निगम द्वारा जारी आदेश के अनुसार नॉनवेज बेचने वाले स्टालों को सार्वजनिक सड़कों पर और स्कूलों, कॉलेजों और धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के दायरे में प्रतिबंधित कर दिया गया है.

अब प्रशासन ने लोगों का ठेला हटाना शुरू कर दिया है, जिससे सड़कों पर नॉन वेज के स्टॉल लगाने वाले लोग दहशत में हैं.

सरकार की इसपर दलील है कि ये फैसला परंपरा, पहचान और अतिक्रमण को देखते हुए लिया गया है.

तत्काल निर्णय के कारण लोगों को भारी परेशानी

अहमदाबाद प्रशासन के इस फरमान के कारण नॉनवेज की दुकान लगाने वाले लोगों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. गुजरात स्ट्रीट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश महरेरिया ने कहा कि

प्रशासन के इस फैसले से नॉन वेज के ठेले वाले खासे दहशत में हैं. उनको ये है कि हमारा ठेला कब्जा हो गया तो 45 दिन बाद वापस देते हैं. उन्हें डर है कि अगर उनका ठेला चला गया तो वो क्या करेंगे. इसी डर से वो 9 दिन से ठेला नहीं लगा रहे हैं
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एक रेहड़ी वाले प्रेम कुमार ने कहा कि रेहड़ी चली जाती है तो वो टूट फूट जाती है. उन्होंने आगे कहा कि अगर हम 6 महीने में अपनी रेहड़ी न छुड़ा पाए तो लोग उसको बेच देते हैं.

लोग हुए बेरोजगार

अहमदाबाद प्रशासन के फैसले से नॉनवेज का ठेला लगाने वाले लोगों में अब रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. एक रेहड़ी लगाने वाले अरुण कृुमार ने बताया कि हम लोगों के बीबी बच्चे हैं. हम क्या खाएंगे, क्या पीएंगे. हम लोग भाड़े के मकान में रहते हैं अपना मकान तो है नहीं. हमारा धंधा बंद है लेकिन भाड़ा चालू है."

हैरानी की बात है कि लाइसेंस होने के बावजूद ये दुकानदार अपनी दुकानें नहीं लगा सकते. इससे प्रशासन के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं.

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