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Tamil Nadu Lok Sabha Election: कोयंबटूर के रहनेवाले ड्राइवर, 55 साल के गुणशेखरन ने लगभग 37 साल से अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) का समर्थन किया है. हालांकि, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्रियों एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता के प्रशंसक गुणशेखरन कहते हैं कि पिछले 1.5 वर्षों में वह पार्टी की कार्यप्रणाली से नाराज हैं.
2018 में, यह (AIADMK) ही थी, जिसने जे. जयललिता की मृत्यु के बाद उथल-पुथल भरे दौर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन किया था, जब बीजेपी ने आंतरिक संघर्षों का सामना कर रही AIADMK को समर्थन देने का वादा किया था.
2019 लोकसभा चुनाव और 2021 विधानसभा के दोनों चुनाव एक साथ लड़ने और दोनों हारने के बाद, यह वही AIADMK थी, जिसने सितंबर 2023 में गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला किया और तमिलनाडु में बीजेपी के साथ पांच साल की लंबे गठबंधन को समाप्त कर दिया.
अब, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु के तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल में दोस्त से दुश्मन बने दोनों 15 से अधिक संसदीय सीटों पर सीधे मुकाबले में हैं.
गुणशेखरन जैसे मतदाताओं के लिए, जिन्होंने 2019 से AIADMK-BJP गठबंधन का समर्थन किया है, अब उनके लिए भ्रम है.
AIADMK के इस कदम से तमिलनाडु की राजनीति पर काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है.
गठबंधन का अंत पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं था. पिछले कुछ समय से गठबंधन के भीतर परेशानी चल रही थी, कई मुद्दों पर नेतृत्व में लगातार मतभेद थे. इसका सबसे बड़ा कारण पिछले साल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीएन अन्नादुरई की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता पर एक कथित टिप्पणी थी.
तमिलनाडु स्थित पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मालन नारायणन ने क्विंट हिंदी को बताया कि दो प्रकार के पारंपरिक AIADMK मतदाता हैं - एक, जिन्होंने जयललिता के लिए पार्टी को वोट दिया. दो, वे जो DMK विरोधी हैं.
45 वर्षीय रंगनाथन, जाति से ब्राह्मण और कोयंबटूर में एक निजी रियल-एस्टेट कंपनी में कर्मचारी हैं. उन्होंने क्विंट हिंदी को बताया कि उन्होंने ऐतिहासिक रूप से AIADMK का समर्थन किया है, उसकी विचारधारा या नेताओं के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कि वह "DMK विरोधी" हैं.
हालांकि, सभी मतदाताओं को गुनाशेखरन और रंगनाथन की तरह ऐसा नहीं लगता है.
चेन्नई के एक AIADMK समर्थक ने नाम न छापने की शर्त पर क्विंट हिंदी को बताया, "भले ही मैं AIADMK के प्रदर्शन से नाखुश हूं, फिर भी मैं पार्टी को वोट देना जारी रखूंगा. मैं DMK विरोधी मतदाता हूं. मैं नहीं चाहता कि BJP अपनी नफरत की राजनीति के कारण दक्षिण भारत में प्रवेश करे, इसलिए AIADMK मेरी एकमात्र विकल्प है."
गठबंधन टूटने के तुरंत बाद, दोनों दलों ने 2024 के चुनावों के लिए गठबंधन सहयोगियों को खोजने में जुट गए हैं.
जबकि BJP पट्टाली मक्कल काची (PMK) और टीटीवी दिनाकरन और ओ पनीरसेल्वम जैसे AIADMK विद्रोहियों के साथ गठबंधन बनाने में कामयाब रही, जिससे राज्य के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में पार्टी को मदद मिल सकती है, उसे पश्चिमी तमिलनाडु में पैठ बनाने की उम्मीद है. ऐसा इसलिए क्योंकि अन्नामलाई स्वयं इसी क्षेत्र से हैं.
इस बीच, AIADMK पश्चिमी क्षेत्र को बरकरार रखना चाहती है, जो मुख्य रूप से उसका गढ़ रहा है।
इस बार बीजेपी और AIADMK के बीच चेन्नई उत्तर, चेन्नई दक्षिण, वेल्लोर, तिरुवन्नामलाई, नामक्कल, नीलगिरी (एससी), पोलाची, कोयंबटूर और पेरम्बलुर, तेनकासी (एससी), चिदंबरम (एससी), नागापट्टिनम, तंजावुर , शिवगंगा, मदुरै, तेनकासी, तिरुनेलवेली, तिरुप्पुर, तिरुवल्लूर, करूर और पांडिचेरी में सीधी टक्कर होगी.
वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और विश्लेषक डॉ अरुण कुमार जी ने कहा, "AIADMK और BJP दोनों ने गौंडर समुदायों के भीतर अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है, इस जनसांख्यिकीय/क्षेत्र के व्यक्तियों को पार्टी और सरकार दोनों में प्रमुख पद सौंपे हैं."
अरुण कुमार के अनुसार, पारंपरिक मतदाता किस ओर झुकेंगे, यह तय करने में जाति प्रमुख भूमिका निभाती है.
राजनीतिक विश्लेषक और मद्रास विश्वविद्यालय के राजनीति और लोक प्रशासन विभाग के पूर्व प्रमुख रामू मणिवन्नन ने क्विंट हिंदी को बताया:
एआईएडीएमके और बीजेपी दोनों का मानना था कि गठबंधन के टूटने से उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
एआईएडीएमके के एक नेता ने पूछा, "बीजेपी का वोट शेयर 3% से भी कम है. उन्होंने 2021 में केवल हमारी वजह से चार सीटें जीतीं, तो वे हमारे वोट कैसे विभाजित कर सकते हैं?."
इस बीच, जब पूछा गया कि क्या एआईएडीएमके-बीजेपी के बंटवारे से डीएमके को फायदा होगा, तो डीएमके सांसद कनिमोझी ने क्विंट हिंदी से कहा:
राजनीतिक विश्लेषकों ने क्विंट हिंदी को बताया कि यह बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है कि वोटों में भारी विभाजन होगा.
उनका मानना था कि भले ही एआईएडीएमके और बीजेपी के अलग होने के परिणामस्वरूप डीएमके विरोधी वोटों का विभाजन होता है, लेकिन अगर एआईएडीएमके अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से हासिल कर लेती है तो उसे लंबे समय में अपने लिए फायदा नजर आएगा.
अरुण कुमार के अनुसार, एआईएडीएमके अपने मूल वोट बैंक पर निर्भर है, जो लगभग 30 प्रतिशत है, और डीएमके सरकार के खिलाफ "सत्ता-विरोधी लहर" है जो उसके प्रदर्शन में सहायता करेगी
उन्होंने आगे कहा, "बीजेपी को केवल उन क्षेत्रों में वोट विभाजन का फायदा होगा, जहां AIADMK के कमजोर उम्मीदवार हैं, जैसे कोयंबटूर, चेन्नई दक्षिण, चेन्नई उत्तर और चेन्नई मध्य. लेकिन इसके अलावा मुझे कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आता."
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