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महाराष्ट्रः MVA को AIMIM का गठबंधन ऑफर,गरमाई सियासत- समझिए नफा-नुकसान

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री और NCP नेता राजेश टोपे से हुई मुलाकात में जलील ने दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है

ऋत्विक भालेकर
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>एमआईएम और शिवसेना साथ आतें तो क्या होता महाराष्ट्र का पॉलिटिकल रिएक्शन</p></div>
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एमआईएम और शिवसेना साथ आतें तो क्या होता महाराष्ट्र का पॉलिटिकल रिएक्शन

(फोटो- क्विंट)

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एआईएमआईएम (AIMIM) ने दिए एक ऑफर से महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत ने नया मोड़ ले लिया है. औरंगाबाद से एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील (Imtiaz Jaleel) ने महाराष्ट्र में NCP के साथ गठबंधन की पेशकश की है. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री और NCP नेता राजेश टोपे से हुई मुलाकात में जलील ने दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है.

जलील का कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए वो किसी का भी समर्थन करने को तैयार हैं. आगे की चर्चा के लिए NCP प्रमुख शरद पवार के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखने की मांग जलील है. हमेशा बीजेपी की 'बी टीम' होने का आरोप लगने की वजह से बीजेपी के खिलाफ अन्य पार्टियों के साथ आने की हमारी तैयारी होने की बात इम्तियाज जलील ने की है.

क्या है शिवसेना और कांग्रेस का रुख ?

हालांकि इस प्रस्ताव पर NCP का जवाब आने से पहले ही शिवसेना आगबबूला होते दिख रही है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस पेशकश को ठुकराते हुए कहा कि औरंगजेब की समाधि पर झुकनेवालों के साथ और बीजेपी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाने वालों के साथ शिवसेना कभी हाथ नहीं मिला सकती.

साथ ही AIMIM से मिले प्रस्ताव पर बीजेपी ने शिवसेना को निशाने पर लिया है. विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि एआईएमआईएम और महाविकास अघाड़ी में शामिल पार्टियां एक ही हैं. लेकिन कोई किसी के साथ भी गठबंधन कर ले, जनता सिर्फ मोदी जी और हमारे काम को देखकर वोट करती है. वैसे शिवसेना ने अजान प्रतियोगिता का आयोजन कर जनाब बालासाहेब ठाकरे कहना शुरू कर दिया है. तो वो एआईएमआईएम के साथ जा भी सकते हैं. उससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता.

जबकि कांग्रेस ने इस विवाद पर बेहद सावधानी का रुख अपनाया है. महाराष्ट्र कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने साफ किया कि एआईएमआईएम सिर्फ मीडिया के माध्यम से गठबंधन का प्रस्ताव दे रही हैं. उन्हें बीजेपी के 'बी टीम' वाली छवि से उभरने के लिए सभी संदेह और सवालों के परे जाकर खुद को साबीत करना होगा. सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में उन्हें धर्मनिरपेक्षता और अखंडता दिखानी होगी. उसके बाद ही उनके बारे में सोच विचार किया जा सकता है.

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क्या होगा महाराष्ट्र का पॉलिटिकल इक्वेशन ?

अगर बात करें 2019 के लोकसभा चुनाव की तो एआईएमआईएम और प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी ने गठबंधन किया था. जिसमें दोनों को मिलाकर 7.65% वोट शेयर मिला था. इसमें एआईएमआईएम की औरंगाबाद की सीट पर इम्तियाज जलील ने जीत हासिल की. जबकि राज्य में एआईएमआईएम को सिर्फ 0.73% वोट और वंचित बहुजन अघाड़ी को 6.92% वोट शेयर मिले.

महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों में बीजेपी को 23 सीटों के साथ 27.84% वोट्स मिले. शिवसेना ने 18 सीटों के साथ 23.5% वोट्स, एनसीपी को चार सीटों में 15.66% और कांग्रेस को एक सीट के साथ 16.41% वोट शेयर हासिल हुआ

ऐसे में एआईएमआईएम के समर्थन से महाविकास अघाड़ी सरकार को कितना फायदा होगा ये चिंतन का विषय है. लेकिन एआईएमआईएम को साथ लेने पर शिवसेना को मिलने वाले हिंदू मतों का ध्रुवीकरण होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती. जिससे बीजेपी का मौजूदा वोट शेयर बढ़ने के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं.

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