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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के बीच समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) इकाई में बड़ा बदलाव किया है. पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की जगह अब श्याम लाल पाल को अध्यक्ष बनाया गया है.
चलिए आपको बताते हैं कि समाजवादी सुप्रीमो ने लोकसभा चुनाव के बीच यूपी का प्रदेश अध्यक्ष क्यों बदला? इसका प्रदेश स्तर पर क्या असर होगा?
नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल की बात करें तो वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव भी रह चुके हैं. नरेश उत्तम पटेल ने उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया था. बीते साल ही पार्टी ने उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी.
श्याम पाल प्रयागराज के जन सेवा इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य रह चुके हैं. वह पहले पार्टी की पाल महासभा से जुड़े थे और उनकी पहचान एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में रही है.
पाल ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्होंने साल 2007 में अपना दल के टिकट पर प्रयागराज की प्रतापपुर विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. बाद में उसी साल वह एसपी में शामिल हो गये थे.
एसपी ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘श्याम लाल पाल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.''
इस घोषणा के बाद श्याम पाल ने कहा, ‘‘हम डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया की विचारधारा का अनुसरण करते हुए पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे.''
दरसल, नरेश उत्तम पटेल यूपी की फतेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें अखिलेश यादव का करीबी भी माना जाता है. कहा जा रहा है कि उनका पूरा फोकस चुनाव अभियान पर रहे, इसको देखते हुए ही अखिलेश ने उनसे जिम्मेदारी लेकर श्याम लाल पाल को सौंपी है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में पार्टी को सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए एक नई ऊर्जा मिलेगी.
क्विंट हिंदी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं, "नरेश उत्तम पटेल को लेकर पहले ही साफ हो गया था कि चुनावी नतीजा कुछ भी रहे, उन्हें आगे प्रदेश अध्यक्ष नहीं रखा जाएगा. उनको बदलने का मन बना लिया गया था, जब उनको टिकट दिया गया था."
राजनीति के जानकारों की मानें तो श्याम लाल पाल को यूपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अखिलेश यादव ने ओबीसी वोटर्स को साधने का प्रयास किया है.
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं, "समाजवादी पार्टी ने पाल समुदाय के लोगों को जोड़ने की बहुत कोशिश की थी लेकिन पार्टी को इसमें बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिली. अब सीधे तौर पर पाल ओबीसी समुदाय को अपने साथ जोड़ने के लिए उनके नेता को इस तरह का पद किसी भी पार्टी में मिला है."
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल आगे कहते हैं, "बचे हुए लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि वो जरूरत पड़ने पर किसी ऐसे समुदाय के व्यक्ति को भी जिम्मेदारी दे सकते हैं, जिनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है."
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