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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई में बिहार की तर्ज पर महागठबंधन की स्क्रिप्ट तैयार है. कांग्रेस ने इसमें शामिल होने का ऐलान कर दिया है. इसमें अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के जुड़ने की बात हो रही है.
खास बात यह है कि इस महागठबंधन के स्टार प्रचारक होंगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव.
मोदी लहर के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी को देखते हुए बिहार में महागठबंधन बना. चिर प्रतिद्वंद्वी एक-दूसरे के साथ आए. 'सुशासन बाबू' की छवि रखने वाले नीतीश ने लालू के साथ मिलकर बिहार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
अब यूपी में चुनाव की घोषणा होने से पहले तक ‘27 साल यूपी बेहाल’ का नारा देकर समाजवादी पार्टी का विरोध कर रही कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार है. कांग्रेस की सीएम कैंडिडेट शीला दीक्षित ने कहा है कि गठबंधन होने पर वह अपना नोमिनेशन वापस ले लेंगी. कांग्रेस खुलकर समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव में जाने का ऐलान कर चुकी है. हालांकि समाजवादी पार्टी की ओर से ऐलान होना बाकी है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या बिहार वाला फॉर्मूला यूपी में भी काम करेगा?
आइए एक नजर डालते हैं यूपी इलेक्शन 2012 के परिणामों पर-
समाजवादी पार्टीः साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ा. पार्टी ने सूबे की कुल 403 सीटों में से 401 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. इनमें से कुल 224 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई, जबकि 53 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.
कांग्रेस पार्टीः साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 355 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से कांग्रेस ने कुल 28 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि 240 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.
आरएलडीः इसके अलावा महागठबंधन का हिस्सा बनने जा रही राष्ट्रीय लोकदल ने इस चुनाव में 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से महज 9 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी, जबकि 20 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.
पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर बात तय हुई और फिर आरएलडी और एनसीपी जैसे दलों की ओर से दिलचस्पी दिखाए जाने पर महागठबंधन की संभावनाएं बनीं. सूत्रों की मानें, तो फिलहाल बात सीटों पर फंसी हुई है.
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आरएलडी के साथ चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में कांग्रेस शुरुआत से ही मजबूत रही है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुल इलाकों में आरएलडी का वर्चस्व है. ऐसे में इन पार्टियों को मिलने वाली सीटें तो सपा के काम आएंगी ही, साथ ही दोनों पार्टियों के साथ आने से इन मुस्लिम और जाट वोट कटने से भी बच जाएगा.
इस इलेक्शन में सबसे खास बात ये है कि तीन पार्टियों के 'युवराज' के अलावा बहू और बेटी चुनाव प्रचार करेंगी. समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, कांग्रेस से राहुल गांधी और राष्ट्रीय लोकदल से जयंत चौधरी मिलकर जनता के बीच जाएंगे और महागठबंधन को वोट करने की अपील करेंगे.
इनके अलावा कांग्रेस की स्टार कैंपेनर प्रियंका गांधी और यादव परिवार की बहू डिंपल यादव भी महिलाओं से अखिलेश यादव के पक्ष में वोट करने की अपील करती दिखेंगी. अखिलेश यादव- डिंपल यादव और प्रियंका गांधी को लेकर जनता के बीच खासा आकर्षण है. उम्मीद है कि ये युवा चेहरे जनता को वोटिंग बूथ तक खींचने में कामयाब रहेंगे.
यूपी की सत्ता पर काबिज होने से सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए एक बार फिर एकजुट होने की अपील की जा रही है. बिहार के बाद अब यूपी में महागठबंधन होने को तैयार है. महागठबंधन की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है और महज ऐलान होना बाकी है. बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव ने भी सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए एकजुट होने की अपील की है. लालू के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी अखिलेश यादव के समर्थन में चुनाव प्रचार करने के लिए तैयार हैं.
आरजेडी चीफ और मुलायम के समधी लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि यूपी में समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए उनकी पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. इसके अलावा लालू ने कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी से भी अखिलेश के साथ गठबंधन करने की अपील की थी.
चुनाव आयोग का फैसला अखिलेश के पक्ष में आने के बाद लालू ने मुलायम से बेटे अखिलेश को आशीर्वाद देने की भी अपील की थी. गौरतलब है कि लालू समाजवादी ‘दंगल’ की शुरुआत के साथ से ही अखिलेश के पक्ष में बोलते रहे हैं.
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