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महागठबंधन पर मायावती की सख्ती और अखिलेश की नरमी के क्या हैं मायने

SP को भारी न पड़ जाए अखिलेश की बेसब्री

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महागठबंधन को लेकर अखिलेश की बेसब्री
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महागठबंधन को लेकर अखिलेश की बेसब्री
(फोटोः The Quint)

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2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी मैजिक को फेल करने के लिए महागठबंधन की रस्साकशी जारी है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इसे लेकर अकसर सार्वजनिक मंचों से पहल करते दिख रहे हैं. वह चाहते हैं कि यूपी में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए महागठबंधन तैयार हो. खास तौर पर वह बीएसपी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बीएसपी चीफ मायावती इसे लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं. रविवार को भी उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कह दिया कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही बीएसपी महागठबंधन का हिस्सा बनेगी.

मायावती भले ही महागठबंधन को लेकर ज्यादा उत्सुक न हों, लेकिन अखिलेश हर हाल में यूपी में महागठबंधन तैयार करना चाहते हैं.

सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही महागठबंधन का हिस्सा बनेगी बीएसपी

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी चीफ मायावती ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये साफ कर दिया कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) यूपी में महागठबंधन का हिस्सा तभी बनेगी, जब उसे अच्छी संख्या में सीटें मिलेंगी.

हम किसी भी जगह और किसी भी चुनाव में गठबंधन के लिए तैयार हैं लेकिन यह तभी होगा जब हमें सम्मानजनक सीटें मिलेंगी. ऐसा नहीं हुआ तो बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी. 
मायावती, बीएसपी चीफ

मायावती के बयान से बढ़ी सियासी गलियारों की हलचल

मायावती के एक और बयान ने सियासी गलियारों की हलचल बढ़ा दी है. दरअसल, मायावती ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपना नाम मुझसे जोड़ते हैं. मुझे बुआ कहते हैं.'

वैसे तो इस बयान को भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद मायावती को बुआ कहा था.

कहीं अखिलेश पर इशारा तो नहीं...

लेकिन मायावती ने चंद्रशेखर का नाम लिए बिना बुआ-भतीजे के संबंध को खारिज कर दिया. हालांकि, उनके इस बयान का एक और सियासी मतलब निकाला जा रहा है. वो ये कि अखिलेश यादव भी मायावती को बुआ कहते हैं. कई मौकों पर बयानों के जरिए 'बुआ-बबुआ' के बीच नोंकझोंक भी होती रही है. लेकिन जब अखिलेश महागठबंधन के लिए बीएसपी को हर हाल में मनाने की कोशिशों में जुटे हैं, तब मायावती के 'बुआ-भतीजे' के रिश्ते को खारिज करने वाले बयान ने सियासी गलियारों की हलचल बढ़ा दी है.

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गठबंधन के लिए दो कदम पीछे हटने को भी तैयार’-अखिलेश

राज्य में महागठबंधन को लेकर भले ही बीएसपी चीफ मायावती की अपनी शर्तें हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इसके लिए हर संभव कोशिश करते दिख रहे हैं. माया के बयान के बाद अखिलेश ने नरमी दिखाते हुए कहा कि उनका मकसद देश को बीजेपी और आरएसएस से बचाना है. इन्हें रोकने के लिए ही गठबंधन किया जा रहा है और वह इसके लिए दो कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं.

बीजेपी से हर वर्ग परेशान हैं, व्यापारी, किसान, युवा सभी निराश हैं और वे उन्हें सत्ता से बाहर कर देना चाहते हैं. मैं आपको यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि यूपी में महागठबंधन बनेगा. वक्त आने दीजिए. हम निश्चित रूप से 2019 के लिए महागठबंधन करेंगे. सारा विपक्ष अगले आम चुनाव में बीजेपी को हराना चाहता है.
अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष

अखिलेश ने कहा कि इस चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी. वही बीजेपी का मुकाबला कर सकेंगी. उन्होंने कहा कि देश को बचाने के लिए आरएसएस से दूर रहना होगा. आरएसएस ने 70 साल तिरंगा नहीं लगाया. अखिलेश ने आरएसएस पर पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के खिलाफ नफरत और झूठ फैलाने का आरोप भी लगाया.

SP को भारी न पड़ जाए अखिलेश की बेसब्री

बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए महागठबंधन को लेकर अखिलेश की बेसब्री समाजवादी पार्टी पर भारी पड़ सकती है. अखिलेश के हालिया बयानों को देखें तो वह बीएसपी को महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए कुछ ज्यादा ही उत्सुक हैं. ऐसे में मजबूत राजनीतिक समझ रखने वाली मायावती, अखिलेश के इस लचीलेपन का फायदा उठा सकती हैं.

गोरखपुर-फूलपुर के बाद से ही अखिलेश कहते रहे हैं कि वह महागठबंधन बनाने के लिए जो भी संभव होगा, वो करेंगे. वहीं, मायावती समय-समय पर उन्हें ये एहसास कराती रहीं हैं, कि बीएसपी महागठबंध का हिस्सा तभी बनेंगी, जब उसे सम्मानजनक सीटें मिलेंगी. जाहिर है कि मायावती महागठबंधन के संभावित साथी एसपी और कांग्रेस में से कांग्रेस के खाते से कुछ और सीटें झटकना चाहती हैं. महागठबंधन के लिए हो रही इस राजनीतिक सौदेबाजी में अगर मायावती, अखिलेश को झुका पाईं तो यह समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं पर नकारात्मक असर भी डाल सकता है.

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Published: 17 Sep 2018,04:28 PM IST

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