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‘सचिन वझे और शिवसेना के करीबी रिश्ते, हिरेन का हुआ खून’- फडणवीस

फडणवीस ने पूछा- इतना खराब रिकॉर्ड होने के बावजूद एपीआई सचिन वाझे को नौकरी में वापस क्यों लिया गया?

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बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस
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बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस
फोटो:PTI

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मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी कार और धमकी मामले में अब मुंबई पुलिस कमिश्नर का तबादला कर दिया गया है. इंस्पेक्टर सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद से ही मुंबई पुलिस पर सवाल उठ रहे थे. अब इस मामले को लेकर बीजेपी ने भी महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार से पूछा कि सचिन वझे के इतने खराब रिकॉर्ड के बावजूद उसे सेवा में वापस क्यों लिया गया?

ऐसा महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार- फडणवीस

फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि, मुंबई में एंटीलिया के सामने जिलेटिन स्टिक से भरी एक कार पाई गई, उसके बाद जो घटनाएं घटी वो आप सभी के सामने हैं. इस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,

"जिस तरह से पुलिस महकमे से इस प्रकार की गाड़ी प्लांट की जाती है और उसके बाद की घटनाओं में इसमें सबसे बड़ी कड़ी मनसुख हिरेन का जिस प्रकार से खून किया जाता है ये सभी चीजें मुंबई और महाराष्ट्र के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुई. हमने 90 के दशक में राजनीति का अपराधीकरण देखा था, उसी तरह अब हो रहा है. अगर रक्षा करने वाले इस प्रकार से अपराधी तत्व बन जाए तो सुरक्षा कौन करेगा ये सवाल है?"

बीजेपी नेता फडणवीस ने सचिन वझे को लेकर कहा कि,

“एपीआई सचिन वझे को नौकरी में वापस क्यों लिया गया? वो 2004 में सस्पेंड हुए, 2007 में उन्होंने वीआरएस दिया, जो स्वीकार नहीं हुआ क्योंकि उन पर इनक्वॉयरी चल रही थी. जिस समय मैं 2018 में मुख्यमंत्री था तो शिवसेना की तरफ से ये दबाव बनाया जा रहा था कि वाझे को एक बार फिर पुलिस महकमे में लिया जाए. उस समय मैंने उनका पास्ट रिकॉर्ड देखकर एडवोकेट जरनल की सलाह ली. जिसमें उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने उन्हें सस्पेंड किया है, बहुत गहरी जांच चल रही है इस समय उन्हें लेना सही नहीं होगा. इसीलिए मैंने उन्हें वापस नहीं लिया.”

वझे और शिवसेना के करीबी रिश्ते- फडणवीस

फडणवीस ने कहा कि 2008 में सचिन वझे ने शिवसेना भी ज्वाइन की और कुछ वक्त तक वो बतौर प्रवक्ता काम करते रहे. शिवसेना के साथ वझे के गहरे रिश्ते रहे हैं. कुछ कंपनियां भी तैयार की गईं. उन्होंने आगे कहा,

“जब उद्धव ठाकरे सरकार आई तो फिर एक बार सचिन वझे को वापस लाने का प्रयास शुरू किया और जैसे ही मार्च में कोरोना आया, इसका बहाना बनाकर एक रिव्यू कमेटी बनाई गई. जिसमें कहा गया कि अधिकारियों की जरूरत है, इसलिए हम सचिन वझे को वापस ले रहे हैं. खास बात ये है कि उन्हें और उनके साथियों को छोड़कर बाकी किसी पुलिस अधिकारी को वापस नहीं लिया गया.”
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कमिश्नर के बाद वझे का था दबदबा

इतना खराब रिकॉर्ड होने के बावजूद सचिन वझे को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का चीफ बना दिया गया. मुंबई में जितने हाई प्रोफाइल केस हुए वो केस सीआईयू के पास आता था. ये केस भी सीआईयू के पास आने का कोई कारण नहीं था. अगर कमिश्नर के बाद किसी का कद मुंबई पुलिस में था तो वो सचिन वझे का था. वो सीएम के साथ और तमाम शिवसेना मंत्रियों के साथ नजर आते थे. फडणवीस ने कहा कि हमें ये साफ तौर पर लगता है कि सीआईयू प्रमुख के तौर पर नहीं बल्कि वझे को वसूली अधिकारी के तौर पर वहां रखा गया.

मनसुख हिरेन को मारकर खाड़ी में फेंका गया

फडणवीस ने मनसुख हिरेन की मौत को लेकर कहा कि, वझे पहले से ही हिरेन को जानते थे. वझे ने स्कॉर्पियो मनसुख हिरेन से खरीदी थी. लेकिन पैसे नहीं दिए थे. जब मनसुख ने 4 महीने बाद कहा कि पैसे दीजिए या फिर गाड़ी वापस कर दीजिए. फिर वाझे ने उनके पास गाड़ी दी, लेकिन फिर मंगवाई गई. इसके बाद उनसे गाड़ी एक सड़क पर पार्क करने को कहा गया. इसके बाद वाझे ने मनसुख से पुलिस कंप्लेंट करवाने को कहा. इस घटना के बाद वझे ने ही मनसुख से पूछताछ की. ये पूरी प्लानिंग तैयार हो रही थी. जिस दिन मनसुख को रात में फोन आया और जिस इलाके में उन्हें बुलाया गया, वो वही इलाका है जहां वझे पर वसूली का केस लगा है. इसके अलगे दिन हिरेन की लाश बरामद हुई. हमें लगता है कि मनसुख हिरेन को वहीं मार दिया गया और लाश को खाड़ी में फेंका गया.

बता दें कि इस मामले को लेकर अब एनआईए सचिन वझे की पूरी प्लानिंग और मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. बुधवार 17 मार्च को एनआईए ने उनके घर पर भी तलाशी ली, साथ ही पूछताछ भी की गई. इससे पहले वझे के ऑफिस में भी छापेमारी हुई थी, जहां से मोबाइल, लैपटॉप और कई दस्तावेज भी बरामद किए गए. मामले की जांच अभी जारी है.

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Published: 17 Mar 2021,07:17 PM IST

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