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बिहार के गोपालगंज के डीएम कृष्णैया हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) की रिहाई को लेकर बिहार (Bihar) समेत पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है.
सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने इसका विरोध किया, उधर यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने बिहार सरकार के इस फैसले को दलित विरोधी करार दिया. बिहार में बीजेपी भी लगातार इसका विरोध कर रही है.
दरअसल घमासान की वजह बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई से जुड़ा है. इसके साथ ही बिहार अन्य 27 कैदियों को भी रिहा कर रही है.
बिहार सरकार ने विधि विभाग के तहत आनंद मोहन की रिहाई को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. 2012 की नियमावली को संशोधित कर अधिसूचना जारी किया गया है.
रिहाई की खबर से बाहुबली नेता आनंद मोहन ने खुश नजर आए, उन्होंने कहा कि, अपनी आजादी से कौन खुश नहीं होता. नीतीश कुमार शादी के समारोह में आए तो इसमें क्या गलत है, मांगलिक कार्य में तो सब हंसी खुशी के साथ ही होता है.
उन्होंने कहा कि, "इस दौरान दो ही परिवार है जिन्हें सबसे ज्यादा झेलना पड़ा है. एक है लवली आनंद (आनंद मोहन की पत्नी) दूसरा परिवार उमा कृष्णैया का है, बाकी सब तो झालमेल है."
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि, बेचारे आनंद मोहन जी को तो बली का बकरा बना रहे हैं, वे तो काफी समय से जेल की सजा काट रहे हैं. उनकी रिहाई पर तो किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन इनकी आड़ में जो बिहार सरकार कर रही है, इसे समाज कभी माफ नहीं करेगा.
वहीं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आनंद मोहन से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन 27 अपराधी को छोड़ना ठीक नहीं. उनमें से 8-9 ऐसे अपराधी जिन्हें हर महीने थाने में आकर हाजिर होना पड़ेगा. आनंद मोहन से हमारा विरोध नहीं है, लेकिन 27 खतरनाक अपराधी को रिहा किया जा रहा है जो सरकारी सेवकों की हत्या के दोषी हैं. सरकार का यह निर्णय असंवैधानिक है. सरकार का यह निर्णय चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है.
( इनपुट- महीप राज)
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