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दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में एंट्री ली है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने मंडी में रोड शो किया. भारत माता और वंदे मातरम के जयकारे लगाए गए. ऐसे में समझते हैं कि 'आप' (Aam Aadmi Party) ने हिमाचल प्रदेश को क्यों चुना और इससे प्रदेश की राजनीति पर क्या फर्क पड़ सकता है?
हिमाचल प्रदेश में 12 राज्य कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी, बिलासपुर, ऊना, चंबा, लाहौल-स्पीती, सिरमौर, किन्नौर, कुल्लू, सोलन और शिमला हैं. कुल 68 विधानसभा सीटें हैं. ये उत्तर में जम्मू-कश्मीर, दक्षिण-पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड और पूर्व में तिब्बत की सीमाओं से घिरा है.
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस और बीजेपी दो बड़े प्लेयर हैं. यहां बारी-बारी से दोनों की सरकार बनती रही है. अभी यहां पर बीजेपी की सरकार है और जयराम ठाकुर सीएम हैं. उन्होंने दिसंबर 2017 को कार्यभार संभाला. 6-7 महीने में यहां विधानसभा के चुनाव होने हैं.
हिमाचल प्रदेश में पहली बार 1977 में गैर कांग्रेसी सीएम बना. नाम शांता कुमार. भारत सरकार में मंत्री रहे. जनता पार्टी की तरफ से जून 1977 में सीएम पद की शपथ ली. 1986 से 1990 तक ये राज्य बीजेपी के अध्यक्ष रहे. फिर मार्च 1990 में बीजेपी के टिकट पर पालमपुर से चुने गए और सीएम पद की शपथ ली. इनके बाद बीजेपी की तरफ से प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर ने सीएम पद संभाला.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की बात करें तो यशवंत सिंह परमार, ठाकुर राम लाल, वीरभद्र सिंह ने सीएम पद संभाला. वीरभद्र सिंह तो 4 बार प्रदेश के सीएम रहे.
ये तो रही हिमाचल प्रदेश की राजनीति, जो अब तक कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द घूमती रही है. लेकिन दो राज्यों में सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद बहुत कुछ बदल सकता है.
हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के आने से पहले कोई प्रभावी थर्ड फ्रंट नहीं था. कांग्रेस और बीजेपी दो बड़े प्लेयर थे, इसलिए इनका वोट प्रतिशत हर चुनाव में ज्यादा रहा है. हिमाचल प्रदेश में पिछले 9 विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि यहां पर बीजेपी को कभी भी 35% से कम वोट नहीं मिले. सिर्फ 1985 में 30% वोट के साथ 7 सीट मिली थी. पार्टी का प्रदेश में सबसे अच्छा प्रदर्शन 2017 में रहा और 49% वोट मिले थे.
हिमाचल प्रदेश: 9 विधानसभा चुनावों के नतीजे | |||||||||
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साल | 2017 | 2012 | 2007 | 2003 | 1998 | 1993 | 1990 | 1985 | 1982 |
बीजेपी | 44(49) | 26(38) | 41(43) | 16(35) | 31(39) | 8(36) | 46(41) | 7(30) | 29(35) |
कांग्रेस | 21(42) | 36(42) | 23(38) | 43(41) | 31(43) | 52(48) | 9(36) | 58(55) | 31(42) |
ऊपर के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में थर्ड फ्रंट न होने की वजह से पूरा वोट सिर्फ दो पार्टियों के बीच घूमता रहा. नहीं तो 30% वोट मिलने पर तो कई प्रदेशों में सरकार तक बन जाती है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में अभी तक ऐसा नहीं हुआ. लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत कम होकर आप की तरफ शिफ्ट हो सकता है. यानी कम वोट प्रतिशत में भी सरकार बनाई जा सकेगी.
राज्य में करीब 50 लाख वोटर हैं, जिनमें से 3 लाख से अधिक राज्य सरकार के कर्मचारी हैं. राज्य की आबादी का 97% हिंदू है. पड़ोसी राज्य यूपी-उत्तराखंड के विपरीत यहां बीजेपी सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पर है. राजपूतों की आबादी 35% है. इसके बाद लगभग 25% दलित हैं.
हिमाचल प्रदेश के अधिकांश जिले पंजाब से सटे हैं. इनमें ऊना सहित चंबा, सोलन, सिरमौर और बिलासपुर हैं. ऐसे में आम आदमी का सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं जिलों पर है. इससे कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी को चुनौती मिल सकती है, क्योंकि ऊपरी हिमाचल के निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस के गढ़ रहे हैं, जबकि निचले हिमाचल के जिले बीजेपी के प्रभाव में हैं. जैसे- पंजाब से सटे हमीरपुर, बिलासपुर, चंबा और ऊना. निचले हिमाचल में विधानसभा की अधिकांश सीटें (68 में से 46) हैं. हालांकि दिल्ली और पंजाब का ट्रेक रिकॉर्ड ये भी बताता है कि दोनों जगहों पर बीजेपी से ज्यादा आप ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है.
पंजाब में जीत के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शिमला में रोड शो किया था. उन्होंने घोषणा की कि इस साल होने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर 'आप' चुनाव लड़ेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि हिमाचल प्रदेश के लिए आम आदमी पार्टी क्या लेकर आएगी?
अरविंद केजरीवाल ने रोड शो में कहा कि आपने 30 साल कांग्रेस और 17 साल बीजेपी को मौका दिया. अब 5 साल आम आदमी पार्टी को मौका दे दीजिए. हम दिखा देंगे कि वास्तव में विकास क्या होता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब में सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल का बढ़ा कॉन्फिडेंस कितनी सीटों पर जीत दिला पाता है.
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