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अगर ट्वीट को बॉस के रीट्वीट करने को बॉस के करीबी होने का पैमाना माना जाए, तो आम आदमी पार्टी (AAP) छोड़ चुके आशुतोष और आशीष खेतान इस पैमाने पर काफी पहले ही पिछड़ चुके थे. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के ट्विटर टाइमलाइन पर नजर डालें, तो पाएंगे कि केजरीवाल आशुतोष और आशीष खेतान के ट्वीट को नजरअंदाज करने लगे थे.
पत्रकारिता से राजनीति में आए इन दोनों का पार्टी नेतृत्व से मनमुटाव भले ही अब सामने आया हो, लेकिन पार्टी के मुखिया केजरीवाल की ट्विटर टाइमलाइन से साफ पता चलता है कि बीते दो महीने से इन दोनों नेताओं की अनदेखी की जा रही थी. मतलब साफ है कि पार्टी में इन दोनों नेताओं का कद कम होने लगा था.
18 जून से 15 अगस्त तक केजरीवाल ने आशुतोष के केवल दो ट्वीट और आशीष खेतान के केवल तीन ट्वीट रीट्वीट किए. ये संख्या पार्टी के बाकी नेताओं के ट्वीट को रीट्वीट किए जाने के मुकाबले बेहद कम है.
ट्विटर पर केजरीवाल के 14 मिलियन फॉलोवर हैं. देश में ट्विटर पर वह सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले दूसरे नेता हैं, जबकि पहले नंबर पर पीएम नरेंद्र मोदी हैं. दोनों ही नेता ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं.
पार्टी के एक नेता ने बताया कि एक वक्त पार्टी के सबसे भरोसेमंद रहे इन दो सहयोगियों को केजरीवाल लगभग नजरअंदाज कर रहे थे.
इसी दो महीने की अवधि के दौरान केजरीवाल ने अपनी पार्टी के दूसरे नेताओं के 102 ट्वीट को रीट्वीट किया. केजरीवाल ने पत्रकारों के 80 ट्वीट को रीट्वीट किया, जबकि 11 ट्वीट दूसरी पार्टी के नेताओं के रीट्वीट किए.
केजरीवाल की ट्विटर टाइमलाइन पर गौर करें, तो पता चलता है कि उन्होंने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के 31 ट्वीट रीट्वीट किए, जबकि पार्टी की दिल्ली यूनिट के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज को 19 बार रीट्वीट किया.
पार्टी के एक नेता ने बताया कि केजरीवाल अपना ट्विटर अकाउंट खुद हैंडल करते हैं. सोशल मीडिया टीम उनको सिर्फ इनपुट देती है. सीएम केजरीवाल आमतौर पर वैसे ट्वीट रीट्वीट करते हैं, जिसमें दिल्ली सरकार के कामकाज की तारीफ और पीएम मोदी या बीजेपी के कामकाज की आलोचना होती है.
पार्टी सूत्रों की मानें, तो पार्टी के बागी नेता कुमार विश्वास और केजरीवाल के बीच तनाव की खबरें भी तभी साफ हुई थीं, जब केजरीवाल ने कुमार के ट्वीट को रीट्वीट करना छोड़ दिया था. कहा जा रहा है कि आशुतोष और खेतान ने 15 अगस्त को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और बाद में उन्होंने इसकी घोषणा की थी. हालांकि केजरीवाल ने अब तक इन नेताओं के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं.
आशुतोष ने बीती 15 अगस्त को इस्तीफा दिया था. उन्होंने ट्विटर पर पार्टी से इस्तीफा देने की जानकारी दी थी, साथ की पार्टी प्रमुख केजरीवाल से इस्तीफा स्वीकार करने की अपील की थी.
हालांकि, केजरीवाल ने ट्विटर पर इसके जवाब में कहा था, 'आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर लूं सर? इस जन्म में तो नहीं.’ एक अन्य ट्वीट में केजरीवाल ने आशुतोष के लिए लिखा, ‘सर, हम सब आपको प्यार करते हैं.'
आशुतोष को केजरीवाल का करीबी और विद्रोहियों के साथ बैक डोर वार्ताकार माना जाता रहा है. आशुतोष साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पत्रकारिता को अलविदा कह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे.
अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव के साथ मनमुटाव के वक्त भी आशुतोष और आशीष खेतान ने विवाद सुझलाने के लिए बतौर वार्ताकार भरसक कोशिश की थी. पार्टी सूत्रों की मानें, तो कुमार विश्वास और आशुतोष जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में तभी से मनमुटाव दिखने लगा था, जब पार्टी ने राज्यसभा के लिए बिजनसमैन सुशील गुप्ता और चार्टेड अकाउंटेंट एनडी गुप्ता को नॉमिनेट किया था.
सूत्रों की मानें, तो आशुतोष, कुमार विश्वास और आशीष खेतान पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से काफी नाराज थे. इतना ही नहीं, पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक से आशुतोष की जगह पंकज गुप्ता को उतारने का मन बना लिया था.
बता दें कि 2014 में चांदनी चौक से आशुतोष ने इलेक्शन लड़ा था, हालांकि वह हार गए थे. आशीष खेतान ने साल 2014 में नई दिल्ली सीट से किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी. खेतान 2019 में एक बार फिर इसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं था.
(इनपुटः PTI)
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