मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019असम के अखाड़े में BJP,कांग्रेस के क्या हैं दांव, क्या हैं मुद्दे?

असम के अखाड़े में BJP,कांग्रेस के क्या हैं दांव, क्या हैं मुद्दे?

क्या असम विधानसभा चुनाव 2021 में BJP को भारी पड़ेगा CAA का मुद्दा?

अक्षय प्रताप सिंह
पॉलिटिक्स
Updated:
राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी
i
राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

आगामी विधानसभा चुनाव की वजह से असम लगातार सुर्खियों में है. इस चुनाव में जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का मुद्दा उठा है, उसने केंद्र और असम, दोनों में सत्तारूढ़ बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वहीं, खुद के अंदर नई जान फूंकने की कोशिश में जुटी कांग्रेस जिस रणनीति और एनर्जी के साथ इस चुनाव में उतरी है, उससे यह बेहद दिलचस्प हो गया है.

असम चुनाव के बड़े मुद्दे क्या हैं? यहां की कैंपेनिंग में क्या खास देखने को मिला है? और तमाम समीकरणों के बीच किसका पलड़ा भारी है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब तलाशते हैं:

लड़ाई किस-किसके बीच है?

असम विधानसभा चुनाव की लड़ाई मुख्य तौर पर बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व में बने महागठबंधन के बीच है. इस लड़ाई में सीएए का विरोध करते हुए बीजेपी को निशाना बना रहे दो नए क्षेत्रीय दलों (असम जातीय परिषद और राइजोर दल) का गठबंधन भी है, जिसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा महागठंधन से जुड़ने का न्योता भी दे चुके हैं.

साल 2001 से लेकर 2016 तक असम में लगातार शासन करने वाली कांग्रेस ने चुनाव में एआईयूडीएफ, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई-एमएल, आचंलिक गण मोर्चा के साथ मिलकर एक महागठबंधन बनाया है. हाल ही में बीजेपी का साथ छोड़कर बीपीएफ भी इस महागठबंधन का हिस्सा बनी है.
(फोटो; क्विंट हिंदी)

2016 के असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 60 सीट जीतकर 12 सीट जीतने वाले बीपीएफ और 14 सीट जीतने वाले एजीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. बीजेपी इस बार एजीपी और यूपीपीएल के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है.

असम चुनाव के बड़े मुद्दे क्या हैं?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

कांग्रेस ने सीएए को बनाया बड़ा मुद्दा, शुरू किया 5 गारंटी अभियान

कांग्रेस ने इस बार के असम चुनाव में सीएए को बड़ा मुद्दा बनाया है. इसकी वजह यह है कि असम में दिसंबर 2019 में इस कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हिंसा हुई थी, जिसमें 5 लोगों की जान भी चली गई थी. उस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि सीएए राज्य के मूल निवासियों की पहचान, भाषा और सांस्कृतिक धरोहर के खिलाफ है. उन्होंने कानून को वापस लेने की मांग की थी. उस वक्त राज्य में सीएए को लेकर जो नाराजगी और आशंकाएं दिखी थीं, कांग्रेस उसे पूरी ताकत के साथ भुनाने के मूड में दिख रही है.

बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार साल 2019 में सीएए लेकर आई थी. यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम 6 धर्म के ‘प्रताड़ित अल्पसंख्यकों’ को नागरिकता देना का प्रावधान करता है. कानून के मुताबिक, 31 दिसंबर 2014 तक इन देशों से भारत आ चुके हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. हालांकि सीएए का विरोध करने वालों की दलील है कि यह कानून 1985 में हुए असम अकॉर्ड के प्रावधानों का उल्लंघन है, जो कहता है कि 25 मार्च 1971 के बाद बांग्लादेश से जो आए हैं, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो, उन्हें राज्य से निर्वासित किया जाए. यहां जिस असम अकॉर्ड का जिक्र आया है, उस पर 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे. इससे पहले असम में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का पता लगाने के लिए 1979 से 1985 के बीच 6 साल आंदोलन हुआ था. 

कांग्रेस भी सीएए के मुद्दे के साथ असम अकॉर्ड का जिक्र कर रही है. पिछले दिनों पार्टी नेता राहुल गांधी ने कहा था कि असम अकॉर्ड से राज्य में शांति आई है, ''मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता समझौते के हर सिद्धांत की रक्षा करेंगे. इससे बिल्कुल नहीं भटकेंगे.''

कांग्रेस ने असम में अपने ‘5 गारंटी अभियान’ के तहत कहा है कि अगर वो राज्य की सत्ता में आई तो सीएए को अमान्य करने के लिए नया कानून बनाएगी. इतना ही नहीं उसने गुवाहाटी में सीएए-विरोधी आंदोलन की याद में एक स्मारक बनाने का वादा भी किया है.

सीएए विरोधी आवाज को आगे बढ़ाने के लिए असम कांग्रेस के सदस्यों ने एक लाख से ज्यादा गमोसा (गमछा) भी इकट्ठे किए हैं, जिन पर सीएए विरोधी संदेश लिखे हैं. पार्टी ने कहा है कि इनको स्मारक पर प्रदर्शित किया जाएगा.

असम में चुनावी अभियान के दौरान प्रियंका गांधी समेत पार्टी के नेता ऐसा ‘गमछा’ पहने हुए दिखे हैं, जिस पर ‘सीएए’ लिखकर उसके ऊपर क्रॉस लगा था.
(फोटो: प्रियंका गांधी/ट्विटर)

सीएए के अलावा कांग्रेस ने असम में रोजगार, महिला सम्मान, बिजली और चाय श्रमिकों से जुड़े मुद्दों को अहमियत दी है. कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 'असम बचाओ' अभियान के तहत राज्य का दौरा किया है और लोगों के मुद्दे जानने की कोशिश की है.

पार्टी ने '5 गारंटी अभियान' के तहत ये 5 बड़े चुनावी किए हैं:

  • सीएए को अमान्य करने के लिए नया कानून बनाया जाएगा
  • पूरे राज्य में गृहिणी सम्मान के तौर पर गृहणियों के लिए हर महीने 2000 रुपये दिए जाएंगे
  • सभी परिवारों को हर महीने 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी
  • चाय बागान मजदूरों की न्यूनतम दिहाड़ी बढ़ाकर 365 रुपये कर दी जाएगी
  • अगले 5 सालों में युवाओं को 5 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी
रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस की सहयोगी सीपीआई का दावा है कि असम में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने बेरोजगार शिक्षित युवाओं के लिए 25 लाख नौकरियां देने के अपने वादे के खिलाफ पिछले पांच साल में केवल 80000 युवाओं को ही नौकरी दी है. महागठबंधन के बाकी सहयोगियों के नेताओं का आरोप है कि बीजेपी सरकार असम के हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशनों, तेल क्षेत्र की परियोजनाओं और यहां तक कि गुवाहाटी चिड़ियाघर को निजी दलों को बेच और पट्टे पर दे रही है. 

सरकारी संपत्तियों के निजीकरण के मुद्दे पर राहुल गांधी ने भी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके 'दो करीबी कारोबारियों' पर कटाक्ष करते हुए कहा था, ''मैंने असम के लिए एक नया नारा तैयार किया है- हम दो, हमारे दो, असम के लिए हमारे और दो, और सबकुछ लूट लो.''

प्रियंका गांधी ने असम में जिस अंदाज में पार्टी के चुनावी अभियान को आगे बढ़ाया है, वो काफी चर्चा में रहा है. हाल ही में दो दिन के दौरे पर असम पहुंचीं प्रियंका वहां के चाय बागान में महिला श्रमिकों से मिलीं और उन्होंने पीठ पर टोकरी लटकाकर चाय की पत्तियां भी तोड़ीं. गुवाहाटी पहुंचने के तुरंत बाद प्रियंका प्रसिद्ध कामाख्या देवी मंदिर भी पहुंची थीं और वहां उन्होंने पूजा अर्चना की थी.

असम चुनाव के जरिए कांग्रेस ने अपने ‘असंतुष्ट नेताओं’ को भी साधने की दिशा में एक मैसेज देने की कोशिश की है. दरअसल, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को असम के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. स्क्रीनिंग समिति का काम पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति को उम्मीदवारों की सिफारिश करना है. चव्हाण पिछले साल सोनिया गांधी को लेटर लिखने वाले उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पार्टी के भीतर व्यापक सुधार की मांग की थी. असंतुष्ट खेमे के सदस्य कहते रहे हैं कि उन्हें परामर्श प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, लेकिन अब कांग्रेस उनकी शिकायतों को भी दूर करने की कोशिश कर रही है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
(फोटो: क्विंट हिंदी)

बीजेपी का ‘विकास’ पर जोर, चाय बागान मजदूरों पर भी निगाहें

बीजेपी के लिए इस चुनाव में सीएए का मुद्दा बड़ी चुनौती बना हुआ है. असम में पार्टी इस मुद्दे पर कुछ भी खुलकर बोलने से बचती दिख रही है. सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली असम सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में दावा किया था कि युवा इस बात पर चर्चा करने में व्यस्त हैं कि राज्य सरकार युवा पुरुषों के बीच मोटरसाइकिल वितरित करने के लिए योजना शुरू करेगी या नहीं, जैसे कि उसने मेधावी छात्राओं के लिए की है - "यही विषय (चर्चा का) है ...CAA नहीं.''

बीजेपी असम के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं और विकास से जुड़े काम को हाईलाइट करने की कोशिश में लगी हुई है. पार्टी ने हिंसा-मुक्त, घुसपैठ-मुक्त, बाढ़-मुक्त असम बनाने का वादा किया है. इसके अलावा वो उग्रवादी संगठन के नौजवानों को मुख्यधारा में लाने की मुहिम पर भी जोर दे रही है.

बीजेपी ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उसने अपनी सरकार के ये काम गिनाए हैं:

  • गरीबों के लिए डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) वाली ओरुनोदोई योजना
  • 870 ब्रिज, 14 फ्लाईओवर और सड़कों का निर्माण
  • 14 साल से कम उम्र के बच्चों के स्पेशलाइज्ड फ्री ट्रीटमेंट के लिए स्नेह स्पर्श योजना
  • 2021 तक 9 जगहों पर नए कैंसर केयर सेंटर
  • गुवाहाटी और नॉर्थ गुवाहाटी को कनेक्ट करने वाला रोपवे
  • स्टूडेंट्स को फ्री टेक्स्टबुक, यूनिफॉर्म और स्कूटर देने वाली प्रज्ञान भारती योजना
  • टी ट्रायबल सोशल सिक्योरिटी के तहत 7.5 लाख वर्कर्स को डीबीटी के जरिए वित्तीय सहायता
  • किसान क्रेडिट कार्ड रीएक्टीवेशन के लिए वित्तीय इन्सेंटिव
बीजेपी असम में टी ट्राइब कम्युनिटी को लुभाने की कोशिश में है. इसकी वजह यह है कि राज्य की 126 सीटों में से करीब 40 सीटों पर इस कम्युनिटी की आबादी निर्णायक भूमिका में है. हाल ही में सोनोवाल सरकार ने चाय बागान मजदूरों की दिहाड़ी 167 रुपये से बढ़ाकर 217 रुपये करने का ऐलान किया था.

पीएम मोदी ने भी असम में एक रैली के दौरान इस समुदाय को साधने की कोशिश की थी, जब उन्होंने कहा था, ''आज देश को बदनाम करने के लिए साजिश रचने वाले इस स्तर तक पहुंच गए हैं कि भारत की चाय को भी नहीं छोड़ रहे. कुछ दस्तावेज सामने आए हैं जिनसे खुलासा होता है कि विदेश में बैठी कुछ ताकतें चाय के साथ भारत की जो पहचान जुड़ी है उस पर हमला करने की फिराक में हैं.''

हिमंत बिस्व सरमा ने पीएम मोदी के इस बयान के साथ एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था. इस वीडियो में दावा किया गया था कि क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन से जुड़ी जो विवादित टूलकिट शेयर की थी, उसके एक प्वाइंट में “भारत की योग और चाय की छवि को भंग करने” का जिक्र था.

बीजेपी लगातार यूआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल और उनका जिक्र कर कांग्रेस पर तीखे हमले कर रही है. हाल ही में सरमा ने कहा था, ‘‘संभवत: यह असम की राजनीति का सबसे खतरनाक दौर है. वह (अजमल) कट्टरपंथी संगठनों से पैसा ला रहे हैं. समाज सेवा के नाम पर वह नेटवर्क बना रहे हैं जो असम की संस्कृति के हित में नहीं है. इसलिए, मैं उन्हें एक व्यक्ति नहीं बल्कि ऐसे लोगों का प्रतीक मानता हूं जो हमारे दुश्मन हैं.’’

वहीं, अजमल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था, ''जो कांग्रेस अपने को धर्मनरिपेक्ष बताती है...वो असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करती है. कोई ईमान नहीं...कोई विचारधारा नहीं.''

असम में पीएम मोदी, अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी का शीर्ष नेतृत्व काफी एक्टिव दिख रहा है. पीएम मोदी ने पिछले कुछ दिनों में असम को कई ‘सौगातें’ दी हैं, जिनमें ये शामिल हैं:

  • चरैदेओ और विश्वनाथ में दो मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया
  • 'असोम माला' कार्यक्रम की शुरुआत की
  • ‘‘महाबाहु- ब्रह्मपुत्र’’ जलमार्ग का लोकार्पण किया
  • धुबरी-फुलबाड़ी पुल की आधारशिला रखी

इसके साथ ही उन्होंने वादा किया, ''जब असम में नई सरकार बनेगी तो मैं असम के लोगों की तरफ से वादा करता हूं कि असम में हम एक मेडिकल कॉलेज स्थानीय भाषा में शुरू करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि गुवाहाटी में एम्स का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है, पिछली सरकारें क्यों नहीं समझ पाईं कि गुवाहाटी में एम्स होगा तो यहां के लोगों को कितना फायदा होगा.

पीएम मोदी ने हाल ही में जब दिल्ली के एम्स में COVID-19 वैक्सीन की पहली खुराक ली थी, तब वह असम का गमछा पहने हुए थे.   
(फोटो: नरेंद्र मोदी/ट्विटर)

पिछले दिनों असम पहुंचे अमित शाह ने कहा था, "प्रधानमंत्री मोदी, असम को बाढ़ मुक्त बनाना चाहते हैं. यहां सैटेलाइट के माध्यम से ऐसे स्थान ढूंढे गए हैं, जहां से पानी को डायवर्ट करके बड़े-बड़े तालाब बनाए जाएंगे, सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी, पर्यटन स्थल बनाए जाएंगे. प्रधानमंत्री ने समग्र असम के विकास के लिए, असम की छोटी-छोटी जनजातियों की भाषा, संस्कृति के लिए बहुत कुछ किया है. सालों तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन भूपेन हजारिका को कोई भारत रत्न नहीं देता था, मोदी जी ने भूपेन हजारिका को भारत रत्न दिया."

बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को असम विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया है जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह को सह-प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

असम में कौन जीत रहा है?

असम विधानसभा चुनाव को लेकर हाल ही में सीवोटर का एक ओपिनियन पोल सामने आया था. इसके मुताबिक, राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है.

126 सदस्यीय असम विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 64 का है. असम विधानसभा के चुनाव 27 मार्च, 1 अप्रैल और 6 अप्रैल को तीन फेज में होंगे. इसके नतीजे 2 मई को घोषित किए जाएंगे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 07 Mar 2021,04:28 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT