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असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने सोमवार, 20 दिसंबर को कहा कि असम सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 (AFSPA) राज्य में जारी रहेगा और इसे वापस लेने का निर्णय तभी लिया जाएगा जब शांति लंबे समय तक बनी रहे.
उन्होंने आशंका व्यक्त की कि अगर राज्य से अफ्सपा वापस ले लिया जाता है तो आतंकवादी समूहों के खिलाफ उसी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकते.
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी राज्य सरकार AFSPA को जारी नहीं रखना चाहती, यदि कानून-व्यवस्था की स्थिति शांतिपूर्ण और अनुकूल है.
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "असम सरकार का मानना है कि अगर बाद में भी इस तरह की शांतिपूर्ण स्थिति बनी रहती है तो हम फैसला कर पाएंगे कि क्या हमें पूरे असम में अफस्पा की जरूरत है या हमें कुछ हिस्सों में इसकी जरूरत है।"
उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण दिया, जिसने तीन जिलों को छोड़कर राज्य के कई हिस्सों से केंद्रीय गृह मंत्रालय के परामर्श के बाद अधिनियम को वापस लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा,
नागालैंड विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र से उत्तर पूर्व और विशेष रूप से राज्य से AFSPA को हटाने की मांग की गई ताकि 'नागा राजनीतिक मुद्दे का शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान खोजने के लिए चल रहे प्रयासों को मजबूत किया जा सके.'
नागालैंड के मोन जिले में चार दिसंबर को एक उग्रवाद-विरोधी कार्यवाई में सुरक्षा बलों ने 13 नागरिकों को मार गिराया था, जिसके बाद नागरिक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं ने कानून को निरस्त करने के मांग ने जोर पकड़ ली है.
नागालैंड और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने भी अधिनियम को रद्द करने की मांग की थी. असम सरकार ने 28 अगस्त से राज्य के मौजूदा "अशांत क्षेत्र" की स्थिति को छह महीने के लिए बढ़ा दिया था, जिससे राज्य में AFSPA जारी रहा.
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