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उपचुनाव नतीजे: BJP को मिली 2 सीटें, लेफ्ट और कांग्रेस को 1-1 सीट 

एलडीएफ ने केरल की पाला सीट पर और कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा सीट में जीत हासिल की.

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पीएम मोदी का जादू अभी भी बरकरार है
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पीएम मोदी का जादू अभी भी बरकरार है
(फोटो:PTI)

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देश में अलग-अलग राज्यों में चार सीटों पर हुए उपचुनाव के शुक्रवार को घोषित नतीजों में बीजेपी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं केरल में वामपंथी गठबंधन एलडीएफ ने एक सीट पर जीत दर्ज की. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में जीत हासिल की.

ये रहे नतीजे

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार युवराज सिंह ने समाजवादी पार्टी के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मनोज कुमार प्रजापति को 17 हजार 846 वोटों से हरा दिया.

त्रिपुरा में बधरघाट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार मिमी मजूमदार ने अपनी निकटवर्ती प्रतिद्वंद्वी सीपीएम उम्मीदवार बुल्टी बिस्वास को 5,276 वोटों के अंतर से हराया.

केरल में पाला विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में एलडीएफ उम्मीदवार मणि सी कप्पेन ने यूडीएफ के जोस टॉम पुलिक्कुनेल को नजदीकी मुकाबले में हरा दिया.

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने बीजेपी को 11 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर भगवा पार्टी से यह सीट छीन ली है.

हमीरपुर में बीजेपी ने बरकरार रखी अपनी सीट

उत्तर प्रदेश की हमीरपुर सीट पहले से बीजेपी के खाते में थी. बहुजन समाज पार्टी तीसरे स्थान पर जबकि कांग्रेस चौथे स्थान पर रही. इस सीट पर 23 सितंबर को मतदान हुआ था और 51 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था . निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी को 74 हजार 374 वोट, जबकि एसपी को 56 हजार 528 वोट मिले . बीएसपी के नौशाद अली को 28 हजार 790 वोट हासिल हुए.

बता दें कि बीजेपी विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल को हत्या के एक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद अयोग्य घोषित किया गया था. इस वजह से यहां उपचुनाव कराने की जरूरत हुई थी.

इस सीट पर बीजेपी की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन चौतरफा मुकाबले में ये देखा जा रहा था कि कौन सी पार्टी दूसरे पायदान पर आती है. इस मामले में समाजवादी पार्टी ने ये साबित कर दिया है कि वो यूपी में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर मौजूद है. वहीं बीएसपी और कांग्रेस के कैंडिडेट की जमानत भी जब्त हो गई.

बीजेपी ने हमीरपुर सीट पर जीत तो हासिल कर ली, लेकिन साल 2017 के मुकाबले उपचुनाव में वोट प्रतिशत में गिरावट आई है. जहां 2017 में इस सीट पर 44.5 फीसदी वोट मिले थे, वहीं इस बार 38 फीसदी वोट मिले हैं.

बधरघाट में बीजेपी और सीपीएम दोनों को कम वोट मिले

त्रिपुरा की बधरघाट सीट अप्रैल में बीजेपी विधायक दिलीप सरकार के निधन की वजह से खाली हुई थी. उपचुनाव 23 सितंबर को हुआ था. बीजेपी उम्मीदवार को 20,487 वोट मिले जबकि सीपीएम उम्मीदवार को 15,211 वोट मिले. कांग्रेस उम्मीदवार को 9,105 वोट मिले. विधानसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी और सीपीएम दोनों के उम्मीदवार को कम वोट मिले. बीजेपी उम्मीदवार को उस वक्त 28,561 वोट मिले थे, जबकि वाम दल को 23,113 वोट मिले थे.

कांग्रेस के रतन दास पिछले विधानसभा चुनाव में बधरघाट से चुनाव लड़े थे और उन्हें महज 505 वोट मिले थे . इस बार उन्हें 9105 वोट मिले.

दंतेवाड़ा में 11,192 वोटों के अंतर से जीती कांग्रेस

छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा के जिले के निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस की देवती कर्मा ने भारतीय जनता पार्टी की ओजस्वी मंडावी को 11,192 वोटों से हराया है. उन्होंने बताया कि इस उपचुनाव में कांग्रेस को 50,028 वोट मिले, जबकि बीजेपी को 38,836 वोट हासिल हुए हैं. उन्होंने बताया कि तीसरे स्थान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भीमसेन मंडावी रहे हैं और उन्हें 7664 वोट हासिल हुए हैं.

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी, उसके बाद से यह सीट खाली थी. इस सीट पर चुनाव इसलिए भी दिलचस्प था, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों के पतियों की माओवादी हमले में मौत हुई थी.

इस विधानसभा सीट के लिए इस महीने की 23 तारीख को मतदान हुआ था, जिसमें क्षेत्र के 60.59 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

कांग्रेस को मिली इस जीत को चौकाने वाला नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कांग्रेस ने बस्तर में ‘मोदी लहर’ के बीच जीत दर्ज की थी. दंतेवाड़ा, बस्तर के अंतर्गत आता है.

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पाला सीट की जीत LDF के लिए बड़ी राहत

केरल की पाला सीट पारंपरिक रूप से कांग्रेस नीत यूडीएफ का गढ़ रही है. पूर्व वित्त मंत्री और केरल कांग्रेस (एम) के नेता केएम मणि के अप्रैल में निधन के चलते यहां उपचुनाव की जरूरत पड़ी. मणि ने पांच दशक तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद यह जीत एलडीएफ के लिए एक बड़ी राहत है.

कांग्रेस की इस हार की वजह पार्टी के अंदर चल रहे पीजे जोसेफ और जोस के मणी की गुटबाजी को बताया जा रहा है. इसके साथ ही इस सीट पर बीजेपी के वोट में भी गिरवाट आई है. साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी को लगभग 26 हजार वोट मिले थे, जो इस बार घटकर 24 हजार 821 हो गए.

इस उपचुनाव को यूडीएफ और बीजेपी नीत एनडीए के लिए परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था. इस सीट पर जीत से 21 अक्टूबर को पांच और विधानसभा क्षेत्रों के होने वाले उपचुनावों में उस गठबंधन की संभावना बेहतर हो जाती.

इन नतीजों का क्या है मतलब?

  • राष्ट्रीय राजनीति में ‘मोदी फैक्टर’ होने के बावजूद दंतेवाड़ा में बीजेपी की हार, हमीरपुर, बधरघाट और पाला में वोट प्रतिशत में गिरावट आने का मतलब है कि वो राज्य और स्थानीय चुनाव में अभी भी पकड़ बना पाने में कमजोर है. इन नतीजों से ऐसा लग रहा है कि आर्टिकल 370 के हटाए जाने जैसे राष्ट्रीय मुद्दों का इन चुनावों पर असर नहीं हुआ
  • कांग्रेस के लिए ये मिले जुले नतीजे हैं. जहां एक तरफ दंतेवाड़ा में जीत मिलने से पार्टी के आत्मविश्वास को मजबूती मिली है. वहीं हमीरपुर में हार से ये साबित होता है कि पार्टी का प्रियंका गांधी को प्रोजेक्ट करना काम नहीं आया. केरल में मिली हार पार्टी के लिए चेतावनी है कि पार्टी में चल रही गुटबाजी से निजात पाकर काम करने की जरूरत है.
  • समाजवादी पार्टी ने ये साबित किया है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद वो उत्तर प्रदेश में वो मजबूत विपक्षी पार्टी है. एसपी का वोट फीसदी बढ़ा है और ये कहे जाने के बावजूद कि वो बुंदेलखंड में कमजोर है एसपी दूसरे पायदान पर रही.
  • इन उपचुनावों में लेफ्ट पार्टियों के लिए थोड़ी खुशखबरी है. पाला में जीत से इस बात के संकेत मिलते हैं कि अक्टूबर में 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. बधरघाट में सीपीएम के प्रदर्शन और कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत देबबर्मन के इस्तीफे से ये साफ हो गया है कि वो त्रिपुरा में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर वापसी कर रही है.

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Published: 27 Sep 2019,09:05 PM IST

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