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मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के रुझानों को देखते हुए कांग्रेस में मुख्यमंत्री को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है. रुझानों में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है, जबकि राजस्थान में भी कांग्रेस जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही है. जबकि मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला बना हुआ है.
इन तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए एक नहीं, बल्कि दो-दो दावेदार हैं. अब जबकि कांग्रेस की जीत का अनुमान लगाया जा रहा है, ऐसे में नतीजे आने से पहले ही सीएम को लेकर सुगबुगाहट तेज होने लगी है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ये नहीं चाहता कि मुख्यमंत्री के नाम की वजह से गुटबाजी पनपे.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में कांग्रेस की जीत का अनुमान है. यहां पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को प्रमुख दावेदार माने जाते हैं. गहलोत और पायलट, दोनों ने विधानसभा चुनाव भी लड़ा है, जिससे कंफ्यूजन और बढ़ गया है.
जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला, तो पायलट का दावा मजबूत हो सकता है. लेकिन करीबी मामला रहा, तो अनुभव की वजह से पार्टी गहलोत को पसंद करेगी. कुछ नेताओं की दलील है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय समीकरण और अनुभव को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री का फैसला किया जाएगा.
सचिन पायलट 2004 में सिर्फ 26 साल की उम्र में सांसद बनने का रिकॉर्ड बना चुके हैं. उनके पक्ष में दलील दी जा रही है कि उन्होंने अध्यक्ष के तौर पर राज्य के हर कोने में संगठन को मजबूत किया है और वसुंधरा सरकार के खिलाफ कड़ी मेहनत की, जिसके बाद ही राजस्थान में हवा बदली.
अशोक गहलोत को राजस्थान में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है. अशोक गहलोत राजस्थान में कांग्रेस को दो बार सत्ता में पहुंचा चुके हैं.
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दो बड़े दावेदार हैं. पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ और दूसरे गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया. हालांकि इस बार दोनों ही नेताओं ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है. एग्जिट पोल आने के बाद दोनों के कैंप में एक्शन बहुत तेज हो गया है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल ने पिछले 15 सालों से निराश में डूबी कांग्रेस को उत्साह से भर दिया है. संभावित नतीजों को देखते हुए पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदार दिल्ली में जोड़-तोड़ करने पहुंच गए हैं. इसमें प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता-प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव और सांसद ताम्रध्वज साहू शामिल हैं.
भूपेश बघेल ओबीसी के बड़े नेता हैं. वो साल 2000 में हुए मध्य प्रदेश विभाजन से पहले दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बघेल ने कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए राज्य का पैदल दौरा किया था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का अपने तेवरों से छत्तीसगढ़ की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाले राजनेताओं में शुमार होता है.
छत्तीसगढ़ की आबादी में करीब 36 फीसदी हिस्सेदारी ओबीसी की है.
टीएस सिंह देव यानी त्रिभुवनेश्वर सिंह. टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे अमीर विधायक हैं. वह सरगुजा स्टेट के राजपरिवार से ताल्लुक रखते हैं. देव ठाकुर परिवार से आते हैं.
वो राज्य विधानसभा के अंदर और बाहर कांग्रेस के सबसे जाने-माने नेता हैं.
ताम्रध्वज साहू अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आते हैं. वह ओबीसी वोटरों, खासकर साहू समुदाय में प्रभावशाली नेता हैं. उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है.
साहू दुर्ग से सांसद हैं और पार्टी की ओबीसी सेल के प्रमुख हैं. जातीय समीकरणों की मानें तो सूबे की 20 फीसदी यानी 18 सीटों पर साहू समुदाय निर्णायक भूमिका की स्थिति में है.
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Published: 10 Dec 2018,05:04 PM IST