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सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अयोध्या विवाद पर सुनवाई के दौरान ऐसी बात कही कि कोर्ट के बाहर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस को घेर लिया. कांग्रेस ने फौरन पलटवार किया कि बीजेपी की भूमिका मंथरा की है. दरअसल कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई में कहा कि इस मामले की नियमित सुनवाई 2019 के आम चुनाव के बाद ही शुरू की जाए.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा अमित शाह को नहीं पता कि वो क्या कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर कांग्रेस का रुख स्पष्ट है या तो बातचीत से हल निकले या फिर अदालत का जल्द से जल्द फैसला हो. पार्टी के रुख इसमें स्पष्ट है.
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि कपिल सिब्बल वरिष्ठ वकील हैं और कोई भी केस लेना उनका निजी फैसला है. अमित शाह दरअसल सिब्बल पर निशाना इसलिए लगा रहे हैं क्योंकि वो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व टेलीकॉम मंत्री भी रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद मामले में सिब्बल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील भी हैं.
अमित शाह ने कांग्रेस से पूछा कि वो साफ साफ बताए कि अयोध्या में राम मंदिर चाहती है या नहीं. कपिल सिब्बल की दलील पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस को घेरने के लिए सवाल पर सवाल दाग दिए. सिब्बल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और इसके जरिए कांग्रेस को निशाना बनाया जा रहा है. ये करीब करीब साफ है कि बीजेपी गुजरात विधानसभा में चुनाव प्रचार के दौरान इसे जोर शोर से उठाएगी.
अमित शाह ने कपिल सिब्बल के बहाने कांग्रेस से स्पष्टीकरण मांग लिया. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार ने मंगलवार को अयोध्या विवाद की सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 8 फरवरी से नियमित सुनवाई का फैसला किया.
सिब्बल की दलील थी कि मामला इतना संवेदनशील है कि 2019 के पहले सुनवाई होना ठीक नहीं है क्योंकि इसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश भी हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई फऱवरी तक टाल दी है. लेकिन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा है कि 8 फरवरी के बाद सुनवाई आगे नहीं टलेगी.
मामले के एक पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दस्तावेजों के अध्ययन के लिए सुप्रीम कोर्ट से और वक्त मांगा था. जस्टिस मिश्रा ने कहा है कि 8 फरवरी तक पूरी तैयारी कर लें. इसके बाद सुनवाई आगे नहीं टलेगी.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच में सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच गर्मागर्म बहस भी हुई. सुन्नी वक्फ बोर्ड चाहता है कि पूरे मामले की सुनवाई 2019 में आम चुनाव के बाद की जाए. अदालत ने इस मांग को खारिज करते हुए इसे खारिज कर दिया.
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि अयोध्या में विवादित स्थल हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को बांट लेना चाहिए. फैसले में विवादित जगह का दो तिहाई हिस्सा हिंदुओं को दिया गया था. इसमें व्यवस्था थी कि बाबरी ढांचा गिराने के बाद बने अस्थायी मंदिर हिंदू के हिस्से में रखा जा सकता है.
1. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अलग अलग मुस्लिम याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और राजीव धवन ने सुनवाई टालने की मांग की. तीनों ने शिकायत की कि उन्हें पर्याप्त मौका नहीं दिया जा रहा है.
2. सिब्बल की दलील थी विवादित जगह पर राम मंदिर बनाना बीजेपी के घोषणापत्र में शामिल है और बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी कई बार कह चुके हैं कि 2019 के पहले राम मंदिर बन जाएगा, इसलिए अदालत को इस ट्रैप में नहीं आना चाहिए. सिब्बल के मुताबिक ये संपत्ति का कोई सामान्य मामला नहीं है बल्कि ये देश सेक्युलर ढांचे का सवाल है. उन्होंने कहा इसके अलावा 90 हजार पेजों के दस्तावेज पढ़ने के लिए उन्हें वक्त चाहिए.
3. हिंदू संगठनों की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और सी एस वैद्यनाथन ने सिब्बल की दलील पर ऐतराज किया और कहा कि अयोध्या मामले को दूसरे मामलों की तरह ही देखा जाना चाहिए.
4. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा वो इन दलीलों से हैरान और चकित हैं. उन्होंने कहा कि जजों के इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाहर क्या चल रहा है. जस्टिस मिश्रा ने कहा इस साल अगस्त में आप कह रहे थे कि सुनवाई जनवरी से शुरू हो जानी चाहिए, अब आप इसे आगे टालना चाहते हैं.
1. हिंदू संगठनों से जुड़े हजारों कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. उनका दावा था कि यह भगवान राम का जन्मस्थान है और 16वीं सदी में इसकी जगह मस्जिद बना दी गई थी.
2. करीब 7 साल पहले 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला दिया था कि विवादित स्थल हिंदुओं और मुसलमानों में बांट दिया जाए. अस्थाई मंदिर के आसपास की दो तिहाई जमीन हिंदुओं को दे दी जाए.
3. लेकिन हिंदू और मुसलमानों दोनों पक्षों के संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट करने की सलाह दी थी.
4. हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक तिहाई जमीन सौंपने का आदेश दिया था. देश में मुसलमानों की करीब 14 परसेंट आबादी है जिसमें ज्यादातर सुन्नी हैं. शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित जगह पर मंदिर बनाने और लखनऊ में भव्य मस्जिद बनाने का सुझाव दिया है. इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पूरी तरह खारिज कर दिया है.
5. बीजेपी 1990 से विवादित जगह पर राम मंदिर की मांग करती आई है. पिछले कुछ सालों से बीजेपी ने यह मुद्दा नहीं उठाया था पर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में सरकार बनने के बाद बीजेपी ने दोबारा इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी है.
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Published: 05 Dec 2017,07:57 PM IST