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उपराष्ट्रपति पद पर रहा है दक्षिण भारतीयों का दबदबा

देश के पहले उपराष्ट्रपति भी दक्षिण के रहने वाले थे. दक्षिण भारत के लोग उपराष्ट्रपति पद के लिए पहली पसंद रहे हैं

सुदीप्त शर्मा
पॉलिटिक्स
Updated:
दक्षिण भारत से वेंकटरमन, राधाकृष्णन, के आर नारायणन और बीडी जत्ती जैसे लोग उपराष्ट्रपति बने हैं
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दक्षिण भारत से वेंकटरमन, राधाकृष्णन, के आर नारायणन और बीडी जत्ती जैसे लोग उपराष्ट्रपति बने हैं
फोटो: द क्विंट

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उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू का नामांकन हो चुका है. एनडीए की ओर से उन्‍हें उम्‍मीदवार बनाए जाने के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं. पहला आरएसएस में उनकी खासी पैठ. दूसरा उनका दक्षिण भारत से आना.

वैसे भी आरएसएस दक्षिण भारत में अपनी पैठ बनाना चाहती है. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब उपराष्ट्रपति उम्मीदवारी में दक्षिण भारत से आने वाले व्यक्ति को वरीयता दी जा रही हो.

दक्षिण भारत से आने वाले व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए कई बार देश की पसंद बने हैं. यहां हम आपको ऐसे ही उपराष्ट्रपतियों के बारे में बता रहे हैं.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

सर्वपल्ली राधाकृष्णन बीसवीं सदी में भारत के सबसे बड़े स्‍कॉलरों में से एक थे. राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति थे. वे 1952 से 1962 तक इस पद पर रहे. इसके बाद वे राष्ट्रपति बने. उनका जन्म 1888 में उस समय की मद्रास प्रेसिडेंसी के थिरूत्तनी में हुआ. थिरूत्तनी को अब थिरूवल्लूर नाम से जाना जाता है. आज यह तमिलनाडु का एक जिला है.

चक्रवर्ती राजगोपालचारी (दाएं)से मुलाकात करते सर्वपल्ली राधाकृष्णन (बाएं)(फोटो:rashtrapatisachivalay)

उपराष्ट्रपति बनने से पहले राधाकृष्णन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ईस्टर्न रिलीजन एंड एथिक्स पढ़ाते थे. 1962 से उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में जाना जाता है. राधाकृष्णन को 1954 में भारत रत्न भी दिया गया.

जाकिर हुसैन

देश के दूसरे उपराष्ट्रपति और तीसरे राष्ट्रपति रहे जाकिर हुसैन का जन्म तेलंगाना के हैदराबाद में एक पश्तून परिवार में हुआ. हालांकि उनके जन्म के बाद उनका परिवार उत्तर प्रदेश में फर्रूखाबाद के पास कैमगंज चला गया. जहां उनकी परवरिश हुई. उन्होंने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई की, जहां छात्र नेता के तौर पर वो सक्रिय रहे.

1962 में जाकिर हुसैन उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए. बगल में खड़े हैं राधाकृष्णन . कुर्सी पर बैठे हैं राजेंद्र प्रसाद

इसके बाद जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापना में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई. बाद में 21 साल वे इस यूनिवर्सिटी के हेड रहे. इस दौरान वे देश के बड़े स्कॉलर के तौर पर पहचाने गए. 1957 में उन्हें बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया. इसके बाद 1962 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद उन्हें देश का दूसरा उपराष्ट्रपति बनाया गया.

वराहगिरि वेंकटगिरि

वेंकटगिरी 1967 से 1969 तक देश के तीसरे उपराष्ट्रपति रहे. वराहगिरी तेलुगू मूल के थे. उनका जन्म उड़ीसा के बेरहामपुर जिले में हुआ. गिरि पेशे से वकील थे. बाद में उन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई और राजनीति में भी आए. गिरि स्वतंत्र भारत की ओर से सीलोन (श्रीलंका) के पहले उच्चायुक्त थे. बाद में वो नेहरू सरकार में मंत्री बने.

इंदिरा गांधी और वी वी गिरि

उपराष्ट्रपति बनने के दो साल बाद ही सिंडिकेट (कामराज, नीलम संजीव रेड्डी जैसे सीनियर लीडर्स का ग्रुप) और इंदिरा गांधी की लड़ाई में वो इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर ही राष्ट्रपति चुनाव जीत गए. गिरि अकेले ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो इंडिपेंडेंट चुनाव जीते. उन्होंने कांग्रेस समर्थित नीलम संजीव रेड्डी को हराया था. फेमस एग्रीकल्चर जर्नलिस्ट पी साईंनाथ इनके पोते हैं.

बी डी जत्ती

राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेते बी डी जत्ती (बाएं)
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बसप्पा दनप्पा जत्ती कर्नाटक के बागलकोट जिले के एक लिंगायत परिवार से ताल्लुक रखते थे. वो 1974 में देश के पांचवें उपराष्ट्रपति बने. कोल्हापुर से कानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कुछ समय वकालत की प्रैक्टिस भी की. बाद में वो मैसूर के सीएम बने. फखरुद्दीन अली अहमद की 1977 में मौत के बाद जत्ती 6 महीने के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने का भी मौका मिला था.

रामास्वामी वेंकटरमन

देश के सातवें उपराष्ट्रपति वेंकटरमन 1984 से 1987 तक पद पर रहे. पेशे से वकील रहे वेंकटरमन तमिलनाडु के तंजौर जिले से थे. वेंकटरमन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था.

मदर टेरेसा से मुलाकात करते वेंकटरमन

बाद में राजनीति में आने के बाद वो चार बार लोकसभा सांसद बने. इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री भी रहे. कुछ समय के लिए उन्होंने गृह मंत्रालय भी संभाला. 1987 में वे देश के आठवें राष्ट्रपति भी बने.

के आर नारायणन

देश के पहले दलित राष्ट्रपति रहे केआर नारायणन 1992 से 1997 के बीच देश के 9वें उपराष्ट्रपति थे. नारायणन का जन्म उस समय के त्रावणकोर राज्य में हुआ था. अपने करियर की शुरुआत उन्होंने पत्रकारिता से की. लेकिन जल्द इस नौकरी को छोड़ एक स्कॉलरशिप की मदद से विदेश पढ़ने चले गए.

के आर नारायणन(फोटो: photodivision.gov.in)

नेहरू सरकार के समय उन्होंने इंडियन फॉरेन सर्विस ज्वाइन की. उन्हें अपने समय का सबसे बेहतरीन डिप्लोमेट माना जाता था. वे थाइलैंड, तुर्की और चीन जैसे देशों में एंबेसडर भी रहे. बाद में जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने. रिटायरमेंट के बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें अमेरिका में एंबेसडर नियुक्त किया.

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Published: 18 Jul 2017,02:11 PM IST

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