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देश की राजनीति में कांग्रेस अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा मजबूत है तो वह है छत्तीसगढ़. इसकी बड़ी वजह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सक्रियता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बघेल फुल टाइम इलेक्शन मोड में नजर आते हैं और वो बीजेपी के सातों दिन 24 घंटे के नारे पर भारी पड़ रहे हैं.
दरअसल, छत्तीसगढ़ उन राज्यों में से एक है, जहां इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. 90 विधायकों की विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं. कांग्रेस के सत्ता में बने रहने के प्रयास जारी हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जमीनी नब्ज टटोलने के साथ आमजन से संवाद के लिए भेंट मुलाकात अभियान चला रखा है. वे अब तक 90 में से लगभग 85 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं.
इसके अलावा नगरीय निकाय और पंचायतों में भी अधिकांश स्थानों पर कांग्रेस का कब्जा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस की लगातार ताकत में इजाफा हुआ है. हालांकि, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जरूर हार का सामना करना पड़ा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यशैली पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि वह पूरे समय प्रशासनिक कसावट को कसने और सरकारी योजनाओं से आमजन को लाभ दिलाने की कोशिशों में जुटे नजर आते हैं. इसके साथ ही सियासी जमीन को पुख्ता करने की उनकी कोशिशें लगातार जारी रहती हैं.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जहां उन्होंने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की तो वहीं अनेक वनोपज को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया.
हाल ही में उच्च न्यायालय की ओर से 58 फीसदी तक आरक्षण पर लगाई गई रोक को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज किया तो सरकारी नौकरी में भर्ती का सिलसिला भी तेज हो गया.
भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी अस्मिता को नई पहचान देने के प्रयास भी किए. यही कारण रहा कि छत्तीसगढ़ी त्योहारों को मुख्यमंत्री आवास से लेकर गांव तक धूमधाम से मनाया जा रहा है.
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव तंज कसते हुए कहते हैं कि...
वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि बघेल मूलरुप से किसान परिवार से आते हैं और उनमें परिश्रम की आदत है. वे विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने पूरे प्रदेश की पदयात्रा की थी.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की सियासत में कम नेता हैं जो पूरे समय राजनीति करते नजर आते हैं. मुख्यमंत्री बघेल उन कम नेताओं में हैं, जो पूरे समय सक्रिय रहते हैं. एक तरफ जहां वे सत्ता के सहारे जनता तक पहुंच रहे हैं, वहीं सरकार की योजनाओं से जनता को लाभ दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
इसके साथ ही जमीनी हकीकत को जानने के लिए उनका भेंट-मुलाकात अभियान जारी है. एक तरफ सत्ता की कमान उनके हाथ में है, तो दूसरी तरफ वे संगठन की भी नब्ज पर हाथ रखे हुए हैं. कुल मिलाकर एक सफल राजनेता के लिए जो जरुरी है, वह सारे दांव पेंच आजमाने में वे पीछे नहीं हैं.
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