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चिराग के खिलाफ चाचा पारस की ‘बगावत’ के पीछे क्या JDU है?

पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार को बताया विकास पुरूष.

शादाब मोइज़ी
पॉलिटिक्स
Published:
चिराग ने लिया था नीतीश कुमार से पंगा.
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चिराग ने लिया था नीतीश कुमार से पंगा.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में अंदरूनी कलह अब खुलकर सबके सामने है. चाचा पशुपत‍ि पारस vs भतीजा चिराग पासवान (Chirag Paswan) का हाई वोल्टेज ड्रामा जारी है. लेकिन ये ‘जंग’ अभी शुरू नहीं हुई है, साल 2019 के नंवबर में चिराग पासवान को पार्टी का अध्यक्ष बनाने के साथ ही माहौल बदलने लगा था. लेकिन अभी एलजेपी की ताबूत में आखिरी कील डालने का काम क्या JDU ने किया है, ये सवाल बिहार के सियासी गलियारों में उठ रहा है.

LJP सांसद और चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को पार्टी के 6 में से 5 सांसद संसदीय दल का नेता बनाना चाहते हैं. जिसे लेकर पांचों सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को एक चिट्ठी भी दी है.

पारस के मन में नीतीश

अब इस पूरे मामले पर पशुपति कुमार पारस ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं. पशुपति पारस ने मीडिया से बात करते हुए बिना चिराग पासवान का नाम लिए जमकर हमला बोला. उन्होंने नीतीश कुमार की तारीफ भी की और कहा, “मैं नीतीश कुमार को अच्छा नेता मानता हूं. नीतीश कुमार विकास पुरुष हैं.”

“ये जो कल का फैसला हुआ है, मजबूरी का फैसला हुआ है. हम राम विलास पासवान जी के भाई हैं. हम 3 भाई थे. दुनिया जानती है कि हम तीनों भाई में अटूट प्यार था. 28 नवंबर 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी का रामविलास पासवान जी ने गठन किया. पार्टी बहुत अच्छे से चल रही थी. मेरा दुर्भाग्य कहिए कि मेरे बड़े और छोटे दोनों भाई दुनिया से चले गए. मैं अकेला महसूस कर रहा हूं, मैं अकेला रह गया. पार्टी के 99 फीसदी कार्यकर्ता सांसद, विधायक सभी लोग चाहते थे कि हम 2014 में एनडीए के गठबंधन का हिस्सा बनें और 2020 के विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा बने रहें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.”

पारस ने 2020 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने पर भी चिराग पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि 99 फीसदी पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी करते हुए गठबंधन तोड़ा गया.

किसी से प्यार करेंगे किसी से दुश्मनी करेंगे. इसका परिणाम ये हुआ कि बिहार में एनडीए कमजोर हुई. हमारी पार्टी समाप्ती के कगार पर चली गई. हमारे 6 सांसद हैं, जिसमें से 5 सांसदों की 6 महीने से मांग थी कि पार्टी को बचा लीजिए. तो मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है बल्कि पार्टी को बचाया है.

चिराग पर क्या बोले पारस

चिराग पासवान अध्यक्ष रहेंगे या नहीं इस सवाल के जवाब में पशुपति पारस ने कहा, “चिराग हमारे परिवार के हैं, भतीजा हैं, वो हमारे पार्टी के अध्यक्ष अभी तक हैं. हमको उनसे कोई शिकवा नहीं है. चिराग पासवान पार्टी में रहें.”

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क्या है ‘JDU चक्र’

अब आते हैं नीतीश कुमार पर. दरअसल, 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को जेल भिजवाने की बात कहने से लेकर उनकी पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार तक उतारे. खुद को प्रधानमंत्री का हनुमान कहने वाले चिराग ने नीतीश को हराने के लिए सभी दाव चले. हालांकि 143 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली एलजेपी सिर्फ 1 सीट जीत पाई. हालांकि चिराग के इस पैंतरे से बीजेपी को फायदा हुआ लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी की सीट घटकर 43 पर पहुंच गई. नीतीश के लिए बड़ा नुकसान था.

चुनाव में हार और चिराग के तेवर से पार्टी में असंतोष की आवाज उठने लगी. चिराग नीतीश चक्र में पहली बार तब फंसे जब एलजेपी के कई जिलाध्यक्ष समेत 200 से ज्यादा नेता जेडीयू में शामिल हो गए थे. इन नेताओं को पार्टी में शामिल कराने के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह खुद मौजूद थे.

एलजेपी के एक प्रवक्ता ने क्विंट को बताया,

नीतीश कुमार जानते थे कि पशुपति पारस चिराग के अध्यक्ष बनने से लेकर विधानसभा चुनाव के दौरान लिए फैसले से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे थे. नीतीश कुमार के करीबी और जेडीयू सांसद ललन सिंह का इस टूट में बड़ा अहम रोल है. पशुपति पारस से उनकी नजदीकी है. अभी हाल ही में पटना में जेडीयू के अध्यक्ष आरसीपी सिंह, जेडीयू सांसद ललन सिंह और पशुपति पारस के बीच एक बैठक हुई थी. पशुपति पारस खुद जेडीयू में नहीं जाएंगे लेकिन जेडीयू का समर्थन हासिल है.

बिहार एलजेपी के प्रवक्ता संजय सिंह ने क्विंट से कहा कि भले ही पारस जी संसदीय दल का नेता बन रहे हों लेकिन वो अध्यक्ष पद पर नहीं बैठना चाहेंगे. क्योंकि उन्हें भी पता है कार्यकर्ताओं की पसंद चिराग पासवान हैं.

इससे पहले अप्रैल के महीने में भी नीतीश कुमार ने चिराग पासवान के ‘बंगले’ पर हमला बोला था. बंगला सिंबल वाली पार्टी एलजेपी के एक मात्र विधायक राजकुमार सिंह ने जेडीयू का दामन थाम लिया था. राजकुमार सिंह बेगूसराय के मटिहानी विधानसभा सीट से एलजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे. वहीं बाद में बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने एलजेपी विधायक दल के जेडीयू में विलय की मान्यता दे दी थी. मतलब अब बिहार विधानसभा में एलजेपी का एक भी विधायक नहीं है.

सियासत की एक सच्चाई ये है कि जिस बीजेपी के लिए चिराग ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला था, आज वही बीजेपी चिराग के खिलाफ चली आंधी से उन्हें बचाने आगे नहीं आ रही.

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