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बिहार कांग्रेस का पुराने चेहरों पर दांव: कटिहार से तारिक अनवर, भागलपुर से अजीत शर्मा

Congress List: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 11वीं लिस्ट जारी की है, इसमें 4 राज्यों के 17 कैंडिडेट के नाम हैं.

मोहन कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>बिहार कांग्रेस का पुराने चेहरों पर दांव: कटिहार से तारिक अनवर, भागलपुर से अजीत शर्मा</p></div>
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बिहार कांग्रेस का पुराने चेहरों पर दांव: कटिहार से तारिक अनवर, भागलपुर से अजीत शर्मा

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए कांग्रेस (Congress) ने बिहार की 3 सीटों- किशनगंज, कटिहार और भागलपुर पर अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है. पार्टी ने किशनगंज से मौजूदा सांसद मोहम्मद जावेद को टिकट दिया है. वहीं कटिहार से तारिक अनवर और भागलपुर से अजीत शर्मा पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने अपनी 17वीं लिस्ट में बिहार के साथ ही ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की अलग-अलग सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी की है.

बता दें कि बिहार में महागठबंधन के तहत कांग्रेस 9 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है.

बिहार में पुराने चेहरों पर दांव

कांग्रेस की बिहार के लिए ये पहली लिस्ट है. इसमें दो मुस्लिम नेताओं को टिकट मिला है. मोहम्मद जावेद किशनगंज से मौजूदा सांसद हैं. अजीत शर्मा विधायक हैं. वहीं, तारिक अनवर पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक हैं और पार्टी का बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं.

किशनगंज सीट पर कांग्रेस जीत की हैट्रिक लगा चुकी है. 2009 से ये सीट पार्टी के कब्जे में है. मोदी लहर में भी कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी. 2009 और 2014 में असरारुल हक कासमी सांसद चुने गए थे. वहीं 2019 में मोहम्मद जावेद ने यहां से जीत दर्ज की थी. बिहार में वो कांग्रेस के एकमात्र सांसद हैं. उन्होंने जेडीयू प्रत्याशी सैयद महमूद अशरफ को 34 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.

किशनगंज एक मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र है जहां लगभग 70 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, किशनगंज जिले में 67.98 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. मुस्लिम वोटों का एकजुट होना इस निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी सफलता की कुंजी है. 1967 को छोड़ दें तो यहां से सिर्फ मुस्लिम प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज की है.

किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा आती हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं एक सीट कांग्रेस के खाते में थी. इसके बाद साल 2022 में अख्तरुल ईमान को छोड़कर 4 AIMIM विधायक RJD में शामिल हो गए थे. ऐसे में 5 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा होने से वोट कांग्रेस उम्मीदवार की ओर शिफ्ट हो सकता है.

इस बार कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद जावेद का मुकाबला जेडीयू प्रत्याशी मुजाहिद आलम और AIMIM प्रत्याशी अख्तरुल ईमान से होगा. अगर 2019 के चुनाव की बात करें तो हार-जीत का अंतर 3.13 फीसद रहा था. कांग्रेस प्रत्याशी को 3,67,017 वोट मिले थे. वहीं जेडीयू उम्मीदवार के खाते में 3,32,551 वोट आए थे. तीसरे नंबर पर AIMIM रही थी. अख्तरुल ईमान को 2,95,029 वोट मिले थे.

तारिक अनवर पर फिर भरोसा

सीमांचल में कटिहार लोकसभा सीट भी आती है. कटिहार सीट कांग्रेस का गढ़ रह चुकी है. यहां से तारिक अनवर कांग्रेस और NCP के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं.

साल 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव जीता था. इसके बाद 1984 में भी वह इस सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार लोकसभा पहुंचे. साल 1989 और 1991 में शिकस्त झेलने के बाद वो साल 1996 लोकसभा चुनाव में जीतकर तीसरी बार सदन पहुंचे. इसके बाद उन्होंने 1998 के चुनाव में चौथी बार इसी सीट से जीत हासिल की.

साल 1999 में तारिक अनवर ने कांग्रेस से बगावत कर शरद पवार और पीए संगमा के साथ मिलकर एनसीपी बनाई. हालांकि उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा और कटिहार सीट से लगातार तीन लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा.

NCP के टिकट पर 2014 लोकसभा चुनाव लड़ रहे तारिक अनवर ने मोदी लहर के बावजूद कटिहार सीट पर 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की और 5वीं बार लोकसभा पहुंचे. साल 2018 में वो एनसीपी छोड़कर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में आ गए. कांग्रेस पार्टी के टिकट पर तारिक अनवर ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि इस चुनाव में उन्हें जेडीयू प्रत्याशी से हार झेलनी पड़ी थी.

कटिहार से फिलहाल JDU के दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद हैं. उन्हें इस बार फिर से टिकट मिला है. ढाई दशक से इस सीट पर NDA का ही दबदबा रहा है. बीजेपी के निखिल चौधरी लगातार तीन बार सांसद रहे हैं.

कटिहार लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में बीजेपी और कांग्रेस के पास दो-दो और JDU और भाकपा (माले) के पास एक-एक सीट है. चुनाव आयोग के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, कटिहार लोकसभा क्षेत्र में 9 लाख 39 हजार 260 मतदाता पुरुष हैं. 8 लाख 65 हजार 305 महिला वोटर हैं और 102 थर्ड जेंडर के वोटर हैं.

जातीय जनगणना के मुताबिक, 41 फीसदी मुस्लिम, 11 फीसदी यादव, 8 फीसदी सवर्ण, 16 फीसदी वैश्य, 18 फीसदी पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 6 फीसदी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं.

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भागलपुर से अजीत शर्मा को टिकट

भागलपुर से 2019 और 2014 में RJD ने चुनाव लड़ा था. 2014 में पार्टी को जीत मिली थी, जबकि पिछली बार जेडीयू प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार ये सीट कांग्रेस को मिली है. कांग्रेस ने विधायक अजीत शर्मा को यहां से टिकट दिया है.

अजीत शर्मा की पहचान कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती है. उन्होंने 2014 (उपचुनाव), 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में भागलपुर सीट से जीत हासिल की है.

कांग्रेस करीब 15 साल बाद इस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर रही है. ऐसे में पार्टी ने सेफ खेलते हुए मौजूदा विधायक और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा पर भरोसा जताया है.

सीट बंटवारे से पहले अजीत शर्मा ने अपनी बेटी और बॉलीवुड एक्ट्रेस नेहा शर्मा को कांग्रेस से टिकट दिए जाने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस पार्टी को भागलपुर सीट गठबंधन में मिलती है तो मैं चाहूंगा कि मेरी बेटी नेहा शर्मा चुनाव लड़े, क्योंकि मैं पहले से ही विधायक हूं. लेकिन अगर पार्टी चाहती है कि मैं लड़ूं, तो मैं ऐसा करूंगा.

आंध्र सीएम जगन मोहन की बहन शर्मिला को टिकट

कांग्रेस की 11वीं लिस्ट में बिहार के 3 उम्मीदवारों के साथ ही ओडिशा के 8, आंध्र प्रदेश के 5, पश्चिम बंगाल के 1 नाम शामिल हैं. अब तक 231 प्रत्याशियों का ऐलान किया जा चुका है.

कांग्रेस की इस लिस्ट में आंध्र प्रदेश से YS शर्मिला का नाम शामिल है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शर्मिला को कडप्पा से पार्टी ने टिकट दिया है. कडप्पा YSRCP का गढ़ माना जाता है. विधानसभा चुनावों में जिले की 6 में से 5 सीट पर YSRCP ने रेड्डी कैंडिडेट ही उतारे हैं. वहीं लोकसभा चुनाव के लिए YSRCP ने कडप्पा से वाईएस अविनाश रेड्डी को टिकट दिया है. 2019 लोकसभा चुनाव में अविनाश कांग्रेस की टिकट पर लड़े थे.

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