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17 जिले, 94 विधानसभा सीट, 1463 कैंडिडेट, सबकी किस्मत अब EVM में कैद हो गयी है. इस चरण के चुनाव में महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 27 प्रत्याशी हैं जबकि दरौली विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. बिहार में दूसरे फेज में वोटरों ने 'अर्धशतक' जड़ दिया है, दूसरे फेज में 53.51 फीसदी मतदान हुए हैं. बता दें कि पहले फेज में 71 सीटों पर हुए चुनाव में 55 फीसदी वोट हुए थे. ऐसे में दूसरे फेज में वोटिंग का फीसदी पहले के मुकाबले कम हुआ है. ऐसे में सवाल है कि इस ट्रेंड का मतलब क्या है? वोटिंग फीसदी कम होने के मायने क्या हैं?
बिहार में फ्रीलांस पत्रकार उमेश कुमार राय कहते हैं, "बिहार में वोटिंग कम होने को जीत-हार का पैमाना नहीं मान सकते हैं, 2005 के अक्टूबर में हुए चुनाव में 46-47 फीसदी वोटिंग हुई थी, और लालू यादव का 15 साल का राज खत्म हो गया था." उमेश कहते हैं, "दूसरे फेज में शहरी इलाके ज्यादा थे और शहर में वोटिंग कम होती है, ये एक वजह हो सकती है कि वोटिंग कम हुई हो."
बता दें बिहार के इतिहास में तीन बार ही 60 फीसदी मतदान हुए हैं,जिसमें से सबसे ज्यादा साल 2000 में हुआ था. 2015 विधानसभा चुनाव में 56.66 फीसदी वोटिंग हुई थी. तब लालू और नीतीश कुमार एक साथ थे. लेकिन अब नीतीश दोबारा BJP के साथ हैं.
पटना के सीनियर पत्रकार नीरज सहाय कहते हैं, "दूसरे चरण में सभी 17 जिलों में मतदान फीसदी सामान्य रहा. अमूमन हर चुनाव में मतदान का प्रतिशत लगभग यही रहता है. अपवाद सिवान, नालंदा और पटना रहा जहां मतदान प्रतिशत 50 से कम रहा. शहरी क्षेत्र विशेषकर पटना में इसका एक कारण कोरोना रहा."
बिहार चुनाव कब दूसरे फेज में लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप की साख दाव पर है, तेज प्रताप महुआ छोड़कर हसनपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव अपनी पुरानी सीट राघोपुर से मैदान में हैं.
पटना के एक बड़े हिंदी अखबार में काम करने वाले पत्रकार कहते हैं, "कम वोटिंग नीतीश कुमार को सुखद खबर लगे, लेकिन दूसरे फेज में आरजेडी गठबंधन बेहतर परफॉर्म कर रही है. हालांकि लालू यादव के बेटे और आरजेडी के सीएम चेहरा तेजस्वी यादव के लिए राघोपुर में संघर्ष की स्थिति है. एक तरफा मामला नहीं कह सकते हैं."
बिहार में दूसरे चरण में एनडीए में शामिल बीजेपी के 46, जेडीयू के 43 और वीआईपी के पांच उम्मीदवार मैदान में हैं. वही महागठबंधन में आरजेडी के 56 उम्मीदवार, कांग्रेस के 24, वामदलों के 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा बिहार एनडीए से अलग होकर चिराग पासवान कक लोकजनशक्ति पार्टी के 52 उम्मीदवार मैदान में हैं. अगर बात 2015 के विधानसभा चुनाव रिजल्ट की बात करें तो दूसरे फेज की इन 94 विधानसभा सीटों में से 29 सीट जेडीयू को मिली थी और 30 सीटें आरजेडी के हिस्से में आई थी, लेकिन तब ये दोनों एक साथ थे. वहीं, बीजेपी को 19 सीट, कांग्रेस को 6, सीपीआई को एक, एलजेपी को एक और दो निर्दलीय विधायक जीते थे.
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Published: 03 Nov 2020,07:58 PM IST