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बिहार (Bihar) सरकार में SC/ST कल्याण विभाग के मंत्री, बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार 'सुमन' ने नीतीश कुमार कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. सुमन ने बिहार के वित्त मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा है. संतोष मांझी के इस्तीफे ने मुख्यतः तीन सवाल खड़े किये हैं. पहला सुमन ने इस्तीफा क्यों दिया? इस्तीफे के क्या मायने हैं? और अब उनका अगला कदम क्या होगा? आइये आपको अब इन तीनों सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करते हैं.
संतोष मांझी ने इस्तीफा देने के बाद पटना में कहा कि जेडीयू की तरफ से उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कहा जा रहा था, जिसके लिए वो तैयार नहीं हैं.
दरअसल, पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक में HAM को आमंत्रित नहीं किया गया है, जिससे जीतनराम मांझी नाराज हैं. उन्होंने इसको लेकर इशारा भी किया था. मांझी ने 12 जून को कहा था कि उनकी पार्टी लोकसभा में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी.
हालांकि, कुछ लोग इसे प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा बता रहे हैं. उनका कहना है कि मांझी पहले भी ऐसा करते रहते हैं. क्योंकि इस्तीफा सीएम को सीधे न देकर, वित्त मंत्री विजय चौधरी को सौंपा गया है.
क्विंट हिंदी से बात करते हुए जीतन राम मांझी के एक करीबी व्यक्ति ने कहा, "हम लगातार कोआर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री उसको अनसुना कर रहे थे. सत्ता परिवर्तन के बाद हमारा मंत्रालय कम कर दिया गया. बार-बार विलय का दबाव बनाया जा रहा था. ऐसे में हमें यह कदम उठाना पड़ा है."
HAM के एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर क्विंट हिंदी से कहा, "हम नीतीश कुमार के साथ गये थे, ना कि महागठबंधन के. मुख्यमंत्री लगातार हमारी बातों को नकार रहे हैं. सत्ता परिवर्तन के बाद से आये दिन नीतीश कुमार के बयान बदल रहे हैं. ऐसे में स्थिति ठीक नहीं थी."
दरअसल, पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक से पहले मांझी के बगावती तेवर और संतोष सुमन का इस्तीफा महागठबंधन से अधिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए खतरा है. मांझी पहले भी आरजेडी से विवाद के चलते कई बार अलग हो चुके हैं. लेकिन वो ये कहते आये हैं कि वो नीतीश कुमार के साथ हमेशा खड़े हैं. मांझी ने कई बार इसका परिचय भी दिया है. नीतीश जब NDA से अलग हुए, तब मांझी JDU के साथ गये.
विपक्षी दलों की बैठक से पहले सुमन के इस्तीफे ने बीजेपी को बूस्टअप होने का बड़ा मौका दे दिया है. बीजेपी अब खुलकर प्रचार कर रही है कि बैठक के पहले विपक्षी एकता फेल साबित हो रही है. इसका नुकसान नीतीश कुमार को होगा, क्योंकि RJD पहले से ही मजबूत है, जबकि कांग्रेस और वामदल बिहार में JDU से अधिक RJD को तवज्जो देते आये हैं.
संतोष कुमार सुमन ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि उन्होंने अभी NDA में शामिल होने के बारे में नहीं सोचा है. जबकि विजय चौधरी से मुलाकात के बाद जीतनराम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार अगर उनकी शर्तों को मानते हैं तो वे महागठबंधन के साथ बने रहेंगे.
दरअसल, जीतन राम मांझी पिछले कुछ महीनों से लगातार बगावती तेवर दिखा रहे हैं. उन्होंने कुछ महीनों पहले कहा था कि उनके बेटे संतोष सुमन के अंदर सीएम बनने की सारी काबिलियत है. इस पर RJD-JDU दोनों ने आपत्ति जताई थी. वहीं, मांझी ने ये भी कहा था कि राजनीति में कुछ पक्का नहीं होता है.
इस बीच, कुछ महीने पूर्व, जीतनराम मांझी ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात भी की थी. इसके बाद से ही, मांझी किस नाव पर सवार होंगे, इसपर संशय किया जा रहा है.
बिहार बीजेपी से जुड़े एक नेता ने क्विंट हिंदी से कहा, "जीतनराम मांझी वरिष्ठ नेता हैं, अगर वो बीजेपी में आते हैं, तो उनका स्वागत है."
दरअसल, बीजेपी की निगाह वोटबैंक पर हैं. जीतन राम मांझी महादलित समाज से आते हैं और इसकी राज्य में 10 प्रतिशत आबादी है. पार्टी महागठबंधन की काट निकालने के लिए लगातार छोटे दलों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. लेकिन अब क्या मांझी भी बीजेपी के 'कमल' पर सवाल होंगे, ये देखना दिलचस्प है, पर मांझी के बेटे ने इस्तीफा देकर बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल जरूर मचा दी है.
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